दास भिलाई प्रवास पर हैं। वे यहां हर तीन साल में सीटू के होने वाले संगठन चुनाव में शिरकत करने पहुंचे हैं। सेक्टर-१ के सांस्कृतिक भवन में उन्होंने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि कार हो या खिलौने सब दूसरे देश से आ रहे हैं। यहां की कंपनी बंद हो रही है। ऐसे हालात में देश को किस तरह से आगे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने केंद्र सरकार की कार्यशैली पर ढेर सारे सवाल खड़े किए।
इधर सीटू में कमान को लेकर कश्मकश बनी हुई है। कार्यक्रम के दौरान उन पूर्व कर्मियों को यूनियन ने सम्मानित किया, जो आज भी हर दिन न सिर्फ कार्यालय पहुंचते हैं, बल्कि चुनाव के दौरान सारे लोगों को खाना बनाकर परोसा। वे ऐसे साथी हैं, जो कर्मियों को एक दूसरे से परिवार की तरह जोड़ते रहे हैं।
इस मौके पर महासचिव डीवीएस रेड्डी ने मौजूद संगठन के सामने पिछले तीन साल के काम को दोहराया। वहीं जहां नाकाम हुए उसकी भी विस्तार से जानकारी दी। पिछले संगठन चुनाव में क्या करना था और क्या नहीं कर पाए, उसे भी बताया। पदाधिकारियों के कमजोरियों को गिनाया और कहां सुधार करना है, उसको लेकर भी सुझाव दिए। इस मौके पर एसपी डे, संजय सोनी, योगेश सोनी, हेमंत जगम, जोगा राव, वेणू समेत तमाम पदाधिकारी मौजूद थे।
संगठन के बड़े पदाधिकारी इस बार सभी की सलाह लेकर एक राय से किसी एक के नाम पर पर मुहर लगा सकते हैं। संगठन को जिस तर्ज पर चलाया जा रहा था, उससे कुछ पदाधिकारी संतुष्ट नहीं है। वे बैठकों में अपनी बात रख भी चुके हैं। संगठन चुनाव से पहले उनको बड़े पदाधिकारियों ने झटका देकर अपनी ताकत का एहसास करवा दिया है।
सीटू के पदाधिकारी इस बात से शुरू से ही इंकार करते रहे हैं, कि सीटू के तात्कीलन कार्यकारी अध्यक्ष पूरन वर्मा और पूर्व सीपीएफ ट्रस्टी शेख महमूद के जाने का संगठन पर असर नहीं पड़ा है। हकीकत यह है कि इस तरह से जब अहम पद पर मौजूद पदाधिकारी जाते हैं, तो उनसे जुड़े कर्मचारी भी दूसरी ओर रुख कर लेते हैं। चुनाव में मिली हार इसके पीछे की वजह ही है। इससे पहले अखिल मिश्रा ने छोड़े या हटाए गए, यह अलग विवाद का मुद्दा है, लेकिन नए संगठन को तैयार कर सीटू को नुकसान पहुंचाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।