नेता प्रतिपक्ष अजय वर्मा ने 4-4 वार्डों में किस्तों में सामग्री वितरण पर सवाल खड़ा किया है। उनका कहना है कि गरीब सभी वार्ड में है और अनाज की जरूरत सबको है। ऐसे में तत्काल सामग्री उपलब्ध कराने के बजाए 4-4 वार्डों की बंदिश किसलिए लगाई जा रही है। निगम में पर्याप्त कर्मचारी है, उन्हें लगाकर एक साथ सभी वार्डों में सामग्री वितरित कराई जा सकती है।
इधर मामले में विधायक अरुण वोरा का अलग ही तर्क है। उनका कहना है कि संकट की घड़ी में किसी भी कार्य को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। इसकी जगह सबको सामने आकर जरूरतमंदों को सहायता उपलब्ध कराया जाना चाहिए। विपक्ष के नेताओं को भी आगे आना चाहिए और जरूरतमंदों तक सामग्री पहुंचाने में मदद करनी चाहिए।
वि पक्ष के नेताओं ने नगर निगम की मेयर इन काउंसिल की बैठक में विधायक अरुण वोरा की मौजूदगी पर भी सवाल खड़ा किया है। महापौर कक्ष में एक दिन पहले पार्षद निधि के उपयोग को लेकर काउंसिल की बैठक की गई। इसमें विधायक की मौजूदगी वाले फोटोग्राफ्स सामने आए थे। हालांकि इस पर सत्ता पक्ष पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि विधायक बैठक के बाद महापौर कक्ष में आए थे।
नेता प्रतिपक्ष ननि दुर्ग अजय वर्मा ने कहा कि सरकार ने पार्षदों की अहमियत बढ़ाने की जिस मंशा से पार्षदों द्वारा प्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर का निर्वाचन कराया, उसकी पूरी तरह धज्जियां उड़ाई जा रही है। महापौर पूरी तरह विधायक के शरणागत हैं। विधायक की राजनीति चमकाने भीड़ जुटाकर किस्तों में सामग्री बांटी जा रही है। जबकि तत्काल सहायता के लिए सामग्री दी है। विधायक दुर्ग अरूण वोरा ने कहा कि गरीबों को सहायता मुहैया कराना सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए, इसमें राजनीति कोई विषय नहीं है। नेता प्रतिपक्ष के वार्ड में भी गरीबों को सामग्री वितरण किया गया। उन्हें भी इसके लिए बुलावा भेजा गया, लेकिन वे कहीं और गए हुए थे। सामग्री वितरण में शामिल होने के लिए किसी को रोका नहीं जा रहा।