पेंशन व पक्र्स में हुआ लाखों का नुकसान संयंत्र कर्मियों को पूरे सेवाकाल में सीलिंग लेस ग्रेच्युटी से 2 से 7 लाख का फायदा होता था। वहीं पक्र्स के मामले में 8 से 12 हजार तक सीधा नुकसान हो रहा है। इसी तरह पेंशन में ग्रेच्युटी के चलते अधिकारियों से 3 फीसदी कम अंशदान पा रहे हैं।
ग्रेच्युटी के बड़े हिस्से में इनकम टैक्स की मार सेल के कर्मचारियों को वर्तमान में मिलने वाली ग्रेच्युटी के एक बड़े हिस्से पर इनकम टैक्स चुकाना होता है। रिटायर होने के बाद कागजों पर भले ही ग्रेच्युटी अधिक दिखती है पर आयकर के बाद यह राशि वर्तमान सीलिंग 20 लाख से भी काफी कम हो कर हाथ में आती है। बीएसपी से रिटायर्ड हुए मंच के उपाध्यक्ष सर्वजीत सिंह ने बताया कि उनके ग्रेच्युटी गणना करने पर 20 लाख से ऊपर थी लेकिन आयकर के बाद वह 20 लाख सीलिंग के स्तर से भी कम हो गई।
नए कर्मियों की ग्रेच्युटी सीलिंग 2014 के वेतन समझौते के बाद से ही सेल में नए ज्वाइन करने वाले कर्मियों की ग्रेच्युटी सील्ड कर दी गई है। इस तरह यह कर्मी अब न तो 46 फीसदी पक्र्स के हकदार है न ही 9 फीसदी पेंशन के। यह दिक्कत केंद्रीय यूनियनों के अदूरदर्शी फैसले के कारण हो रही है। संयंत्र के कर्मियों में ही दो वर्ग पैदा कर दिए हैं। कर्मियों के साथ हुई बैठक में सुभाष महाराणा, विवेकानंद सूर, विमलकांत पांडेय, मंच के राजेश अग्रवाल, सर्वजीत सिंह, मुकुंद गंगबेर मौजूद थे।
यह है ग्रेच्युटी पर टैक्स के नियम संघ के महासचिव अखिल मिश्र ने बताया कि देश में ग्रेच्युटी पर आयकर का नियम सरकारी नियमानुसार बनने वाली ग्रेच्युटी लिमिट 20 लाख या वास्तविक ग्रेच्युटी जो भी कम होगी उस पर टैक्स की छूट मिलेगी। इस तरह सेल में 37 साल तक नौकरी कर रिटायर होने वाले कर्मियों की कुल ग्रेच्युटी सरकारी नियम के मुताबिक 17,65,000 तक ही बन पा रही है। इसके बाद शेष पर टैक्स लग रहा है। वहीं केंद्रीय यूनियन गुमराह करते हुए 20 लाख को ही टैक्स फ्री ग्रेच्युटी बता रही है।