गुरुवार को सूर्य के उत्तरायण होने का पर्व मकर संक्रांति का पर्व सभी समाज में अलग तरीके से मनाया गया। कही खिचड़ी का दान हुआ तो कही सुबह नदी में स्नान कर तिल दान में दिए गए। बुधवार को शहर के बाजारों में संक्रांति का बाजार गुलजार रहा। संक्रांति पर्व के लिए शाम तक बाजार में लोग तिल, गुड़ खरीदते नजर आए तो कई लोगों ने रेडिमेड तिल, मूंगफली, राजगिरा, मुर्रे के लड्डू खरीदे। इधर शिवनाथ नदी के तट पर सुबह से लोग संक्रांति के स्नान के लिए पहुंचे। वहीं मंदिरों में भी विशेष पूजा और दान हुआ।
तिल, गुड़ रेवडी, फुल्ले(पॉपकान) और मूंगफली के साथ ठंड को भगाती आग के बीच पंजाबी समाज ने लोहड़ी का जश्न मनाया। ऊंची उठती अग्नि शिखाओं के चारों ओर एकत्रित होकर सभी ने लोहड़ी पूजन करने के बाद उसमें तिल, गुड़, रेवडी, फुल्ले(पॉपकॉन) एवं मूंगफली डालकर परिवार के अच्छे स्वास्थ्य, सुख समृद्धि की कामना की। इसके बाद बच्चों ने लोहड़ी के पारंपरिक गीत दे माई लोहड़ी, जीवे तेरी जोड़ी गाकर लोहड़ी भी मांगी। लोगों ने पारंपरिक गीतों और ढोल की थाप पर गिद्दा और भांगड़ा भी किया। कई घरों में नई दुल्हन और बच्चे की पहली लोहड़ी धूमधाम से सेलिब्रेट की गई। मिनी इंडिया में सिख समाज के लोगों के घर पंजाब सा माहौल था। घरों में पारंपरिक व्यंजन सरसो का साग, मक्के की रोटी, गुड़ की खीर, मावा दी दाल आदि भी बनाए गए।
आंध्र समाज के लोगों ने बुधवार को संक्रांति के एक दिन पहले बोगी जलाई। महिलाओं ने घर के कचरे और लकडिय़ों को मिलाकर बोगी तैयार की। इस बोगी को जलाकर महिलाओं ने पारंपरिक तेलुगु गीत गाएं और आग के चारो ओर घूमकर नृत्य भी किया। इससे पहले वे भगवान श्री गणेश के साथ-साथ नए चावल, गन्ने आदि की पूजा की और यह सारी सामग्री बच्चों में बांटी। आंध्र समाज आज पोंगल मना रहा है। इस दौरान घरों में पारंपरिक व्यंजनों के साथ संक्रांति की धूम है।