scriptदुर्ग के ब्लड बैंक में 14 साल से धूल खा रही लाखों की एफरेसिस मशीन | Millions of apheresis machines have been eating dust for 14 years | Patrika News

दुर्ग के ब्लड बैंक में 14 साल से धूल खा रही लाखों की एफरेसिस मशीन

locationभिलाईPublished: Sep 24, 2021 10:58:30 pm

Submitted by:

Abdul Salam

नई मशीन खरीदने तैयार कर रहे प्रपोजल, ब्लड से प्लेटलेट्स अलग करने का करती है काम,

दुर्ग के ब्लड बैंक में 14 साल से धूल खा रही लाखों की एफरेसिस मशीन

दुर्ग के ब्लड बैंक में 14 साल से धूल खा रही लाखों की एफरेसिस मशीन

भिलाई. जिला अस्पताल, दुर्ग के ब्लड बैंक में 2007-8 के दौरान एफरेसिस मशीन खरीदी गई। मशीन को लेने के बाद से रन नहीं किए। जिसकी वजह से 14 साल से यह मशीन धूल खा रही है। अब विभाग नई एफरेसिस मशीन खरीदने प्रपोजल तैयार कर रही है। यह मशीन बहुत ही काम की होती है, इसके सहारे ब्लड डोनर के शरीर से सिर्फ प्लेटलेट्स निकालकर शेष रक्त वापस उसके शरीर में भेज देने की क्षमता होती है। प्लेटलेट्स जिस मरीज का तेजी से घटता जाता है, उसकी जान बचाने में यह मशीन कारगर साबित होती है। इसकी कमी 2018 में बहुत खल रही थी, जब दुर्ग जिला में डेंगू ने पैर पसारा था। अब इस साल रायपुर में डेंगू के केस अधिक आ रहे हैं। यह देखते हुए इस मशीन की कमी विभाग के अधिकारी कर रहे हैं।

क्या है एफरेसिस मशीन
एफरेसिस मशीन से मरीज को दिए जाने प्लेटलेट्स को सीधे डोनर से लिया जा सकता है। इस तरह एक ही डोनर से ज्यादा मात्रा में प्लेटलेट्स लिया जा सकता है और मरीज के लिए अधिक डोनर तलाश करने की जरूरत परिजनों को नहीं पड़ती। मानव शरीर में करीब पांच लीटर ब्लड होता है। इसका लिक्विड हिस्सा प्लाज्मा होता है। कणों के रूप में इसमें इरिथ्रोसाइट्स, ल्यूकोसाइट्स और प्लेटलेट्स पाए जाते हैं। खून में प्लाज्मा 54.3 फीसदी, आरबीसी 45 फीसदी व शेष भाग डब्लूबीसी व प्लेटलेट्स का होता है।

यह है खासियत
एफरेसिस मशीन से डोनर के खून से प्लेटलेट्स निकालकर खून वापस उसके शरीर में ब्लीडिग सेट से चला जाता है। इस मशीन से निकाली गई प्लेटलेट्स से हेमरेजिक डेंगू से पीडि़तों को नई जिदगी दे सकती है। यह प्रक्रिया कुछ जटिल जरूर है, लेकिन इससे प्लेटलेट्स का खर्च भी करीब पांच गुना कम हो जाता है।

यहां भी होती है उपयोग
डेंगू के मरीज के शरीर से प्लेटलेट्स तेजी से कम होता जाता है। मरीजों के प्लेटलेट में सुबह और शाम के बीच बड़ा अंतर देखा जा सकता है। डेंगू के अलावा बर्न इंजुरी में जब प्लेटलेट्स 20 हजार से नीचे चला जाता है, तब मरीज को जल्द ठीक करने के प्लेटलेट्स चढ़ाना होता है। ऐसे में एफरेसिस मशीन का उपयोग हो सकता है। इससे कम डोनर में मरीजो को पर्याप्त प्लेटलेट्स उपलब्ध कराई जा सकती है।

पुरानी मशीन का नहीं मिल रहा पार्ट, एक करोड़ में आएगी नई मशीन
14 साल से बंद पड़ी मशीन को अगर अब एक बार फिर से शुरू करने प्रयास किया जाता है तो इसके पाट्स नहीं मिलेंगे। यह बात सीजीएमएससी वालों ने पहले ही कह दिया है। इस वजह से अब नई मशीन लेने के लिए प्रोसेस शुरू किया गया है। करीब एक करोड़ रुपए में लेटेस्ट एफरेसिस मशीन आएगी।

नई मशीन खरीदने किया जा रहा प्रोसेस
डॉक्टर प्रवीण अग्रवाल, प्रभारी, ब्लड बैंक, दुर्गने बताया कि न्यू एफरेसिस मशीन खरीदने को लेकर प्रोसेस किया जा रहा है। इसकी जरूरत इस वजह से है क्योंकि एफरेसिस मशीन से डोनर के खून से प्लेटलेट्स निकालकर खून वापस उसके शरीर में ब्लीडिग सेट से चला जाता है।

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