यश ड्रीम के संचालक नितिन श्रीवास्तव ने राहुल चोपड़ा, दिलीप देवांगन और प्रवीण कुमार परमार (सभी भिलाई निवासी) को पाटन में 1495 वर्ग फीट जमीन पर टूृ-बीएच मकान बनाकर देने के सब्जबाग दिखाया। उन्होंने तीनों हितग्राहियों को साल 2015 में पाटन एसबीआई में बुलाकर बैंक फार्मेलिटी के नाम पर विभिन्न कोरे दस्तावेज में हस्ताक्षर करा लिए। दूसरे महीने से लोन का किश्त कटना शुरु हो गया। जब तीनों हितग्राही बैंक पहुंचे तो प्रबंधक कुमार चामर्थी ने भरोसा दिलाया कि जल्द ही जमीन की रजिस्ट्री होगी और दस्तावेज जमा होने के बाद किश्त कटना शुरू होगा। लगभग 16 लाख नौ हजार कीमत वाली मकान के लिए हितग्राहियों से 10-10 लाख का लोन स्वीकृत कर संचालक के खाते में जमा करा दिया।
0-कोरे काजग पर हस्ताक्षर करवा लिए
0-रजिस्ट्रीकृत जमीन को बंधक बनाए बिना ही ऋण की राशि बिल्डर को दे दी। बैंक प्रबंधन द्वारा स्वयं के नियमों का उल्लघंन।
0-मकान बना ही नहीं और भूखंड की रजिस्ट्री के बिना ही ऋण राशि बिल्डर को कैसे भुगतान हो गया।
0-कोरे स्टाम्प में हस्ताक्षर और कूटरचित दस्तावेज का सहारा।
0-कूट दस्तावेज को असली बताकर प्रयोग करना।
1-नितिन श्रीवास्तव ने छलपूर्वक षडयंत्र करते हुए धन वसूला और इसके लिए फर्जी दस्तावेज भी तैयार करवाया।
2-बैंक प्रबंधक कुमार चामर्थी ने अपने अधिकरों का दुरुपयोग करते हुए अपराधिक कृत्यों में साथ दिया और नियमों के विपरीत बिल्डर को लाभ पहुंचाया।
3-वर्तमान बैंक प्रबंधक संगीता विक्टर ने आरोपियों के अपराधिक कृत्यों को न सिर्फ छिपाया बल्कि आवेदक से ऋण व अन्य राशि की अवैध वसूली भी की।
दुर्ग संभाग में इसके पहले भी कई चिटफंड कंपनियां लोगों को अपने झांसे में फंसाने में सफल रही हैं। लम्बी रकमों से लोगों को ठगा है। यश ग्रुप समेत कई कंपनियों के खिलाफ पुलिस ने अपराध दर्ज किया है। मामला न्यायालय में भी पहुंच गया है। इसी तरह सिन्हा ग्रप ने भी लोगों को अपने झांसे में लिया। अभी तक 26 कंपनियों के खिलाफ शिकायतें मिल चुकी हैं।