बीएसपी प्रबंधन ने रावघाट के आयरन ओर ब्लॉक ए एरिया में मौजूद करीब 50 हजार पेड़ के सर्कल को चिन्हित कर दिया है। इन पेड़ों को वन विभाग, छत्तीसगढ़ शासन को कटवाना है। रावघाट में पेड़ कटवाने का ठेका वन विभाग पिछले बार भी किया था। प्रबंधन ने अपनी तरफ से सुरक्षा के इंतजाम किए हैं। इसके बाद भी ठेकेदार यहां काम करने से कतरा रहे हैं। याद रहे कि रावघाट में उच्च क्वालिटी का आयरन ओर है, इस वजह से प्रबंधन यहां खनन के काम को जल्द शुुरू करवाना चाहती है।
24 घंटे दो बटालियन तैनात सेल ने रावघाट के ऊपरी हिस्से में दो बटालियन को २४ घंटे के लिए तैनात कर दिया है। जिससे सेल ने जिस कंपनी को आयरन ओर खनन करने का काम दिया है, वह यहां आराम से बेखौफ काम शुरू कर सकें। एसीबी से करार हो चुका है। कंपनी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर रही है। इसके बाद खनन से जड़ी तैयारियों में जुटेगी। रावघाट में कंपनी बुनियाद डालने का काम जब शुरू करेगी, तब वहां से आयरन ओर ही निकलेगा। कयास लगाया जा रहा है कि हर दिन करीब पांच हजार टन आयरन ओर निर्माण कार्य के दौरान निकलेगा। जिसे सड़क मार्ग से भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए रवाना किया जाएगा।
अब 14 एमटी अयस्क की जरूरत बीएसपी में 7 मिलियन टन विस्तार योजना के तहत ब्लास्ट फर्नेस-8 शुरू हो गया है। रॉ मटेरियल (लौह अयस्क) की कमी के कारण ब्लास्ट फर्नेस-8 में पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं हो रहा है। बीएसपी को सालभर में 14 मिलियन टन आयरन ओर की जरूरत है। यह तय है कि बीएसपी के लिए रावघाट ही अब जीवन रेखा है। एक्सपांशन प्रोजेक्ट पूरा हो रहा है, जिसकी वजह से आयरन ओर की डिमांड तकरीबन 30 फीसदी और बढ़ गई है।
रेलपांत बिछाने के काम में तेजी रेलपांत बिछाने का काम भी तेजी से चल रहा है। उम्मीद है कि पांच वर्ष में रेलपांत ताड़ोकी तक बिछ जाएगा और आयरन ओर का उत्पादन भी शुरू हो जाएगा। रावघाट से आयरन ओर को रेलमार्ग से लेकर राजहरा लेकर जाएंगे, वहां से धुलाई कर उसे बीएसपी के लिए रवाना किया जाएगा। कयास लगाया जा रहा है कि रावघाट में साल 2022 से ही नियमित खनन की तैयारी है।
अयस्क को काटकर निकाला जाएगा बाहर रा वघाट बीएसपी की ऐसी पहली माइंस होगी, जहां दस-दस मीटर का मार्क लगाया जाएगा। दस मीटर का बेंच तैयार कर खनन होगा। ब्लास्ट करने की कोई जरूरत ही नहीं होगी। सरफेश माइनर से आयरन ओर को काटकर बाहर कर लिया जाएगा। दल्ली राजहरा माइंस में तीन मीटर के दायरे को मार्क करके खनन किया जाता है। वहीं रावघाट में बड़े टुकड़ों को निकालकर उसे वहीं क्रेसिंग प्लांट में छोटे साइज में बदला जाएगा। इसके बाद दल्ली, राजहरा लेकर जाएंगे, जहां प्रोसेसिंग के बाद फर्नेस में उपयोग के लायक बनाया जाएगा।