बंदरों ने तोड़ा खपरैल
मलेरिया विभाग के भवन में लगे बहुत से खपरैल टूट चुके हैं। छत पर बंदरों का समूह आकर कूदफांद मचाता है, जिसकी वजह से खपरैल टूट-टूट कर गिर रहे हैं। यहां के छत का अब ढलाई करने की जरूरत है। इसी तरह से मेन स्टोर का भी खपरैल बंदर तोड़ रहे हैं। रिकार्ड की माने तो 1933 में यह भवन तैयार किया गया था। पहले यहां औषधालय चलता था बाद में जिला अस्पताल शुरू किया गया। सीएमएचओ का दफ्तर था। 1983 से जिला मलेरिया कार्यालय को मालवीय नगर, दुर्ग के किराए वाले भवन से यहां शिफ्ट किए।
होम आइसोलेशन की दवा यहां से हो रही थी सप्लाई
कोरोना के 70 फीसदी मरीज घर पर रह कर ही दवा का सेवन कर ठीक हुए हैं। होम आइसोलेशन में रहने वाले एक घर के 5-5 तो कभी 7-7 पॉजिटिव सदस्यों के लिए दवा पैक कर मलेरिया के क्लीनिक से ही भेजी जाती रही है। जिलाभर के लिए इस यहां से एक दिन में पहले 1000 से अधिक दवा का पैक कर रवाना किया जाता था। अब वह संख्या घटकर करीब 300 से 400 हो चुकी है। संक्रमित व्यक्ति के परिवार जो सीधे उसके संपर्क में थे, उनको भी दवा दिया जाता रहा है। इस भवन के छत की सीलिंग टूट कर गिर रही है।
मेन स्टोर का पचास फीसदी सीलिंग टूटी
जिला अस्पताल के मेन स्टोर में लगे सीलिंग का पचास फीसदी हिस्सा टूटकर गिर चुका है। यहां लाखों की दवा रखी जाती है। हकीकत में इसके छक की मरम्मत करने के बाद दवाओं के लिए अलग-अलग लोहे की जाली आधूनिक स्टोर बनाने की जरूरत है। दवाओं को रखने का तरीका भी इससे बदल जाएगा और दवा सुरक्षित भी रहेगी। स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है कि इस तरह के मामले में ठोस पहल जल्द करे।
भवन है मजबूत
अंग्रेजों के समय बना मलेरिया विभाग व स्टोर का भवन अभी भी मजबूत है। इसके मेंटनेंस पर कुछ खर्च कर दिया जाए तो यह फिर से चमकने लगेगा। लोक निर्माण विभाग को जिला मलेरिया अधिकारी की ओर से इस संबंध में पत्र भी लिखा गया है। जिसमें भवन को रिनोवेट करने की मांग की गई है।
सीलिंग गिर रही
जिला मलेरिया अधिकारी, दुर्ग डॉक्टर सीबीएस बंजार ने बताया कि भवन बहुत पुराना है। सीलिंग गिर रही है, जिसकी जानकारी संबंधित विभाग के अधिकारियों को दी गई है। उम्मीद है कि मेंटनेंस काम जल्द करवाया जाएगा। बारिश सामने है।