भिलाई

मोतीलाल वोरा : राजनीतिक सफर पार्षद से सीएम और राज्यपाल तक

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफा सौंपने के बाद राज्यसभा सदस्य मोतीलाल वोरा का नाम बतौर अंतरिम अध्यक्ष सुर्खियों में है।

भिलाईJul 03, 2019 / 09:23 pm

Nitin Tripathi

दुर्ग . कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफा सौंपने के बाद राज्यसभा सदस्य मोतीलाल वोरा का नाम बतौर अंतरिम अध्यक्ष सुर्खियों में है। दुर्ग से नाता रखने वाले 90 वर्षीय मोतीलाल वोरा आज भी राजनीति में सक्रिय हैं। राजस्थान में जन्म लेकर अविभाजित मध्यप्रदेश में रायपुर से पढ़ाई करने वाले वोरा राजनीति के शीर्ष तक पहुंचे। दुर्ग में पत्रकारिता करते हुए पार्षद निर्वाचित होना और फिर विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री बन जाना कम दिलचस्प नहीं रहा। राज्यसभा सदस्य बनते ही वे केंद्रीय मंत्री पद से नवाजे गए थे। कांग्रेस के सबसे भरोसेमंद सिपहसालार माने जाने वाले वोरा राजनीतिक शुचिता के लिए भी पहचाने जाते हैं। आप भी जानिए वोरा के जीवन से जुड़े रोचक पहलुओं को
मोतीलाल वोरा : पत्रकार से राजनीतिज्ञ और फुटबॉल, वॉलीबॉल में दिलचस्पी

– राजस्थान के नागौर में जन्मे मोतीलाल वोरा और उनका परिवार दुर्ग में रहता है।

– मोहनलाल वोरा और अंबा बाई के बेटे मोतीलाल का जन्म 20 दिसंबर 1928 को हुआ था।
– पत्रकारिता और समाजसेवा करते हुए उन्होंने राजनीति में कदम रखा और पहचान बनाई।

– फुटबॉल और वालीबॉल जैसे खेल में दिलचस्पी रखने वाले वोरा को किताबें पढऩे का शौक है।

मोतीलाल वोरा : किशोरीलाल शुक्ल से प्रभावित हो कांग्रेस में आए, बने विधायक
– वोरा ने वर्ष 1968 में दुर्ग नगर निगम में पार्षद निर्वाचित होकर राजनीतिक सफर शुरू किया।

– समाजवादी पार्टी से जुड़े वोरा ने किशोरीलाल शुक्ल से मुलाकात के बाद कांग्रेस की सदस्यता ली।
– वर्ष 1972 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य (विधायक) बने।

– इसके बाद वर्ष 1977 और फिर 1980 में भी लगातार चुनाव जीतकर विधायक निर्वाचित हुए।

– मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने मोतीलाल वोरा को अपनी कैबिनेट में मंत्री बनाया।
– वोरा 13 मार्च 1985 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 13 फरवरी 1988 को इस पद से इस्तीफा दिया।

मोतीलाल वोरा : मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चौंकाया, बने केंद्रीय मंत्री

– मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के तत्काल बाद वोरा को राज्यसभा सदस्य बनाया गया।
– राज्यसभा की सदस्यता के साथ वोरा को केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बना दिया गया।

– उनको स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और नागरिक उड्डयन मंत्रालय का दायित्व सौंपा गया।

– 16 मई 1993 को उत्तरप्रदेश के राज्यपाल बनाए गए, लेकिन वोरा 1998 में लोकसभा चुनाव जीत संसद पहुंचे।
– गांधी परिवार से नजदीकी और पार्टी का उनपर भरोसा कभी कम नहीं हुआ। कई पदों पर रहे।

– अविभाजित मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में कोषाध्यक्ष जैसे शीर्ष पदों पर रहे।
– कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ वोरा का नाम भी नेशनल हेराल्ड केस में शामिल रहा।

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