सांसद कहा कि राज्य सरकार द्वारा बोनस राशि की तीसरी किश्त 1 नवंबर को जारी करने की घोषणा की गई है। बोनस की राशि देने राज्य सरकार द्वारा 1 हजार करोड़ का कर्जा लिया गया है। छत्तीसगढ़़ की यह पहली सरकार है जो किसानों के कर्ज में डूबी है। सांसद ने कहा है कि 1 दिसम्बर से धान खरीदी शुरू होने पर पिछले वर्ष की बोनस की चौथी किश्त और नई फसल की राशि किसानों को कब मिलेगी, इसका कोई जवाब सरकार के पास नहीं है।
धान खरीदी के लिए राज्य सरकार के पास कोई ठोस योजना नहीं है। जिसकी वजह से धान संग्रहण केन्द्रों व सोसायटियों की व्यवस्था चरमरा गई है। सांसद ने कहा है कि भाजपा की पूर्व रमन सरकार में धान खरीदी नवंबर में शुरू हो जाती थी और दीपावली पूर्व किसानों के खातों में फसलों की राशि आ जाया करती थी। इस दौरान पूर्व मंत्री रमशीला साहू, पूर्व मंत्री जागेश्वर साहू, देवेन्द्र सिंह चंदेल, ललित चंद्राकर, विनायक ताम्रकार, संतोष सोनी, गजेन्द्र यादव, अजय वर्मा, कांशीनाथ शर्मा, शेखर चंद्राकर, मनोज शर्मा, नरेश तेजवानी, मुकेश बेलचंदन मौजूद थे।
सांसद ने बताया कि सरकार की विफलता को देखते हुए इस मामले में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर मांग की गई है। जिसमें धान खरीदी 1 नवंबर को प्रारंभ करने, धान की पूरी कीमत का भुगतान एकमुश्त व पिछला बकाया भुगतान तत्काल करने, केन्द्र सरकार द्वारा एमएसपी में लगातार किए गए वृद्धि का लाभ किसानों को दिलाने, गिरदावरी के बहाने रकबा कटौती पर रोक, किसानों का दाना-दाना धान खरीदने, घोषणा पत्र में किए वादे अनुसार किसानों की दो वर्ष का बकाया बोनस देने की मांग शामिल है।