scriptनेशनल हाइवे 53 के गड्ढे से हर महीने 65 करोड़ की राष्ट्रीय क्षति, ट्रांसपोर्टर, उद्योगपति और BSP को भी लग रहा झटका | National loss of 65 crores every month due to the pit of NH 53 | Patrika News

नेशनल हाइवे 53 के गड्ढे से हर महीने 65 करोड़ की राष्ट्रीय क्षति, ट्रांसपोर्टर, उद्योगपति और BSP को भी लग रहा झटका

locationभिलाईPublished: Sep 29, 2021 05:56:03 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

National Highway 53: सार्वजनिक उपक्रम भिलाई इस्पात संयंत्र से माल का उठाव (डिस्पैच) प्रभावित हो रहा है जो कि एक राष्ट्रीय क्षति ही है। अकेले संयंत्र का ही हर महीने लगभग 65 करोड़ का कारोबार प्रभावित हो रहा है।
 

नेशनल हाइवे 53 के गड्ढे से हर महीने 65 करोड़ की राष्ट्रीय क्षति, ट्रांसपोर्टर, उद्योगपति और BSP को भी लग रहा झटका

नेशनल हाइवे 53 के गड्ढे से हर महीने 65 करोड़ की राष्ट्रीय क्षति, ट्रांसपोर्टर, उद्योगपति और BSP को भी लग रहा झटका

भिलाई. गड्ढों से भरा और अस्त-व्यस्त फोरलेन, नेशनल हाइवे 53 आम राहगीरों के लिए तो आफत है ही। रोज कुम्हारी से लेकर भिलाई तक जगह-जगह लगने वाले जाम न केवल लोगों की सेहत और पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि यह हमारी अर्थव्यवस्था को भी तगड़ा झटका दे रही है। इसके कारण देश के सार्वजनिक उपक्रम भिलाई इस्पात संयंत्र से माल का उठाव (डिस्पैच) प्रभावित हो रहा है जो कि एक राष्ट्रीय क्षति ही है। अकेले संयंत्र का ही हर महीने लगभग 65 करोड़ का कारोबार प्रभावित हो रहा है। निकाय को निर्यात कर और शासन को उद्योगों से मिलने वाले विभन्न कर व शुल्क का हिसाब किया जाए तो यह आंकड़े और बढ़ जाएंगे।
गाडिय़ां जाम में फंस रही
फोरलेन पर लोग तो जैसे-तैसे हिचकोले खाते सफर कर ही रहे हैं, ट्रांसपोर्टर, उद्योगपति और भिलाई इस्पात संयंत्र को भी इससे तगड़ा झटका लग रहा है। गड्ढों के कारण गाडिय़ां जाम में फंस जा रही हंै और इसका असर भारी वाहनों के परिवहन के फेरे पर पड़ रहा है। इससे ट्रांसपोर्टर को सीधे आर्थिक चपत लग रही है। जाम लगने के कारण उद्योगपतियों को भी माल निर्धारित समय से डिलीवर नहीं हो पा रहा है। इधर संयंत्र से उत्पाद का समय पर उठाव नहीं हो रहा, जिससे खरीदी-बिक्री की प्रक्रिया धीमी हो जा रही है।
बीएसपी ट्रक ट्रेलर स्टील ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने बताया कि फोरलेने की बदतर स्थिति का ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर भी असर साफ देखा जा सकता है। भिलाई इस्पात संयंत्र से अंचल के विभिन्न औद्योगिक प्रतिष्ठानों में प्रतिदिन लगभग 200 गाडिय़ां माल परिवहन करती है। जब से सड़क की हालत खराब हुई है, यह संख्या घटकर आधी रह गई है।
ट्रांसपोर्टर की कमाई आधी हो गई है
0. बीएसपी में पहले दिन शाम को गाडिय़ां माल लोड होने के लिए लग जाती थी। दूसरे दिन दोपहर 12 बजे तक गंतव्य तक माल परिवहन कर गाडिय़ां फिर संयंत्र आ जाती थी। इस तरह कुल डेढ़ दिन में एक फेरा हो जाता था।
0. अब गाडिय़ां जगह-जगह जाम में फंस जा रही हैं। इससे जाते और आते दोनों पारी में समय फिजूल जाया हो जा रहा है। डेढ़ दिन के बजाए तीन दिन में गाडिय़ां बीएसपी में लग रही है।
0. इससे ट्रांसपोर्टर की कमाई सीधे आधी हो गई है। दूसरी तरफ लागत बढ़ गई है। खराब सड़क के कारण ईंधन और मेंटनेंस खर्च के साथ-साथ ऑपरेटर और उसके सहायक को वेतन और भाड़ा तो देना ही पड़ता है।
उद्योगपतियों को ब्याज की चपत
0. बीएसपी से विभिन्न मर्चेंट उत्पाद जैसे सरिया, एंगल, वायर, वायर राड्स आदि राज्य के विभिन्न शहरों की रोलिंग मिलों और कुछ पड़ोसी राज्यों में भी सड़क मार्ग से भेजे जाते है।
0 उद्योगपति संयंत्र से महंगी कीमत में माल खरीदते हैं, लेकिन निर्धारित समय से डिलीवर नहीं होने पर उन्हें आगे की प्रोसेसिंग में दिक्कतें होती है। इससे उनके कारोबार पर असर पड़ता है।
0. उद्योगपति भी बाजार से लेन-देन करते हैं। इस देरी का उहें ब्याज के रूप में कीमत चुकानी पड़ती है।
बीएसपी (Bhilai steel Plant) का कारोबार प्रभावित मतलब राष्ट्रीय क्षति
0. बीएसपी सार्वजनिक उपक्रम स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की इकाई है। यहां बिक्री के बाद माल का उठाव समय पर नहीं होने से ब्रांच सेल ऑफिस से समस्त खरीदी-बिक्री की प्रक्रिया धीमी हो गई है।
0. निर्धारित समय से माल डिलीवर नहीं होने के कारण उद्योगपति व अन्य लोहा कारोबारियोंं का बीएसपी के साथ व्यावसायिक रिश्ते में गेप बढ़ रहा है। इसकी वजह सिर्फ खराब सड़क है।
नुकसान का गणित
0. भिलाई स्टील प्लांट में रोजाना लगभग 200 भारी वाहन माल परिवहन के लिए लगते थे।
0. एक फेरे में 30 टन माल लोड होता है। यानि प्रतिदिन 6000 टन विभिन्न उत्पादों का परिवहन संयंत्र से होता रहा है।
0. यदि कीमत के रूप मेंं इसका आंकलन करें तो टीएमटी और वायर रॉडस कीमत 45 से 55 हजार और फ्लैट उत्पादों का 60 से 65 हजार रुपए प्रति टन है।
0. औसत अगर 55 हजार रुपए प्रति टन की दर से भी यदि अनुमान लगाया जाए तो रोजाना लगभग 3.30 करोड़ का कारोबार होता था। यानि महीने में लगभग 1 अरब का।
0. अब जब परिवहन वाले वाहनों की संख्या ही जब आधी रह गई है तो सीधे-सीधे रोजाना यह कारोबार घटकर 1.15 करोड़ पर आ गया है। यानि लगभग 35 करोड़ रुपए प्रति माह। मतलब कारोबार में अंतर 65 करोड़।
0 इसके कारण भिलाई नगर निगम को मिलने वाले निर्यात कर का घाटा उठाना पड़ रहा है।
0 उद्योगों का कारोबार प्रभावित होने से शासन को मिलने वाले विभिन्न प्रकार के टैक्स और शुल्क का नुकसान हो रहा है।
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