नक्सलियों ने रेतेगांव, जलवाही, मूरचर व कुंजकनहार समेत एक और गांव के फड़ को आग के हवाले कर दिया हैं। जानकारी के अनुसार करीब छह फड़ को आग के हवाले किया गया है। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जंगल के गांवों में तेंदूपत्ता तोड़ाई के बाद उसे संग्रहण कर रखा गया था। इस तेंदूपत्ता का परिवहन होता, इससे पहले माओवादियों ने इसे आग के हवाले कर दिया।
तेंदूपत्ता की प्रति मानक बोरा कीमत 25 सौ रूपए है। डेढ़ से दो सौ मानक बोरा तेंदूपत्ता जल जाने से वन विभाग को करीब चार से पांच लाख रूपए के नुकसान का अनुमान है। तेंदूपत्ता के जिन फड़ों में माओवादियों ने आग लगाया है, उसके संबंध में पता चला है कि आधे से ज्यादा वन विभाग के पास ही थे। कुछ फड़ जरूर ठेके पर चल रहे थे, शेष वन विभाग के थे। ऐसे में सरकार को अधिक नुकसान होने की खबर है।
माओवादी जंगल में तेंदूपत्ता की कटाई का ठेका लेेने वाले ठेकेदारों से जमकर उगाही करते हंै। जंगल में काम करने के एवज में ठेकेदार माओवादियों से सांठगांठ कर भी काम करते हैं। उगाही के लिए माओवादी हर साल इस तरह की घटनाओं को अंजाम भी देते हैं।
तेंंदूपत्ता ठेकेदारों की नक्सलियों से सांठगांठ होने की शिकायत पूर्व में आईजी जीपी सिंह से शिकायत भी हो चुकी है। राजनांदगांव जिले के दो तेंदूपत्ता ठेकेदारों की नामजद शिकायत आईजी से की जा चुकी है, जिसकी जांच चल रही है।
डीएफओ मोहम्मद शाहिद ने पत्रिका को बताया कि माओवादियों ने छह फड़ को आग के हवाले किया है। घटना के बाद पुलिस की मदद से आसपास के तेंदूपत्ता के फड़ की सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं।