मेधा पाटकर (NBA Leader Medha Patkar) ने कहा कि छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश की सरकार चर्चा तो कर रही है। इसके लिए उनका स्वागत करते हैं। आगे परिणाम क्या आएगा यह बात अलग है।
जिन सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की गई, असल में वे आदिवासियों, किसानों, मजदूरों, दलितों, महिलाओं की आवाज हैं। इनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। सामाजिक कार्यकर्ता लगातार कारपोरेट लूट के खिलाफ संघर्ष कर रही थी। यह सरकार को रास नहीं आया और योद्धा महिला को जेल के चार दिवारी के अंदर बंद कर दिया।
केंद्र सरकार ने सत्ता पर फिर एक बार काबिज होते ही सार्वजनिक उपक्रम को निजी हाथों में देने के लिए चिन्हित किया है। इसे बेचने का फैसला देश हित में कतई नहीं है।
श्रमिक नेता कलादास डहरिया ने बताया कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग को लेकर राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश को पोस्ट कार्ड भेजे जा रहा है। 1 जुलाई को भरेंगे हुंकार
मानव अधिकार कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए सड़क पर उतर कर जनांदोलन किया जाएगा। इसके लिए 1 जुलाई को देशभर से लोग एकत्र होकर रिहाई की मांग को लेकर हुंकार भरेंगे। राजेंद्र सायल, विजेंद्र तिवारी, भीमराव बांगड़े, जनकलाल ठाकुर, राजकुमार साहू, रिनचिन, सुरेंद मोहंती, प्रसाद राव, राजेंद्र परगनिहा मौजूद थे।