साल 2002 से प्रोजेक्ट पर काम
परिवहन अनुप्रयोगों के लिए आईआईटी कानपुर में प्रोफेसर मूना ने यह तकनीक 2002 में विकसित की थी। इसे सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में स्मार्ट कार्ड के तौर पर उपयोग किया जाता है। इस तकनीक से ड्राइविंग लाइसेंस, पंजीकरण कार्ड, विभिन्न आईडी कार्ड (आरएसबीवाय) कार्ड भी जारी होते है। अब इस तकनीक को और भी प्रवानी बनाने के बाद ई-पासपोर्ट में लॉन्च करने की तैयारी है।
परिवहन अनुप्रयोगों के लिए आईआईटी कानपुर में प्रोफेसर मूना ने यह तकनीक 2002 में विकसित की थी। इसे सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में स्मार्ट कार्ड के तौर पर उपयोग किया जाता है। इस तकनीक से ड्राइविंग लाइसेंस, पंजीकरण कार्ड, विभिन्न आईडी कार्ड (आरएसबीवाय) कार्ड भी जारी होते है। अब इस तकनीक को और भी प्रवानी बनाने के बाद ई-पासपोर्ट में लॉन्च करने की तैयारी है।

के्रेडिट कार्ड की तरह दिखने वाले इस पासपोर्ट के चिप में मेमोरी के साथ प्रोसेसर होता है, जो टेम्पर फ्रूप (नकलरोधी) ऑपरेटिंग सिस्टम से चलता है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि चिप सूचनाओं को संग्रहित भी कर सकती है। चिप के अंदर के डाटा को ऑपरेटिंग सिस्टम में एक्सेस कंट्रोल प्रोटोकॉल के माध्यम से एक्सेस किया जाता है। कार्ड की मेमोरी 4 केबी से 150 केबी तक की होती है । स्मार्ट कार्ड के अंदर का प्रोसेसर 8 या 32 बिट का क्रिप्टोग्राफिक प्रोसेसर होता है। वर्तमान में स्मार्टकार्ड का प्रयोग स्वास्थ्य, बैंकिंग और टिकट प्रणाली आदि में हो रहा है।
एडवांस कोडिंग का उपयोग होगा
प्रो. रजत मूना, डायरेक्टर, आईआईटी भिलाई ने बताया कि हाईटेक ई-पासपोर्ट तैयार करने की ओर अग्रसर हैं। पासपोर्ट एक तरह के के्रेडिट कार्ड की तरह दिखेगा, जिसमें आधुनिक चिप और एडवांस कोडिंग का उपयोग होगा। इस पासपोर्ट की नकल नहीं की जा सकेगी।
प्रो. रजत मूना, डायरेक्टर, आईआईटी भिलाई ने बताया कि हाईटेक ई-पासपोर्ट तैयार करने की ओर अग्रसर हैं। पासपोर्ट एक तरह के के्रेडिट कार्ड की तरह दिखेगा, जिसमें आधुनिक चिप और एडवांस कोडिंग का उपयोग होगा। इस पासपोर्ट की नकल नहीं की जा सकेगी।