भिलाई

बोर्ड परीक्षा छोड़ने का छत्तीसगढ़ में बना अनोखा रिकॉर्ड, आंकड़े देख रह जाएंगे हैरान

कक्षा 12वीं की परीक्षा को छोड़ने के मामले में 6.2 फीसदी का इजाफा हुआ है। पिछले साल जिले में जहां 562 विद्यार्थियों ने बोर्ड परीक्षा नहीं दी थी, वहीं इस साल यह आंकड़ा बढ़कर 674 हो गया है

भिलाईApr 09, 2024 / 08:41 am

चंदू निर्मलकर

छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की बोर्ड परीक्षा में इस साल नया रिकॉर्ड कायम हो गया। कक्षा 12वीं की परीक्षा को छोड़ने के मामले में 6.2 फीसदी का इजाफा हुआ है। पिछले साल जिले में जहां 562 विद्यार्थियों ने बोर्ड परीक्षा नहीं दी थी, वहीं इस साल यह आंकड़ा बढ़कर 674 हो गया है।
माशिमं के आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों की स्कूली छात्राओं ने सबसे ज्यादा परीक्षाएं छोड़ी है। लड़कियों में से अधिकतर के परिवार से पढ़ाई से दूरी बनाकर उनकी शादियां करवा दी है। वहीं जो लड़के बचे, उन्होंने भी परिवार की जरूरतों को पूरा करने परीक्षा छोड़कर रोजगार को चुन लिया है। जिला शिक्षा विभाग का कहना है कि परीक्षाओं में गैरहाजिर रहे बच्चों से स्कूल प्रबंधन ने संपर्क कर परीक्षा फार्म भराए। ये सभी बच्चे सालभर स्कूल से नदारद रहे, लेकिन स्कूल ने परीक्षाओं में बैठाने के लिए नाम हाजिरी रजिस्टर से नहीं काटा।
इसमें सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे हैं, जिनके परिवार ने बच्चों की बोर्ड परीक्षा को लेकर तवज्जो नहीं दी। ग्राम पंचायतों से मिले आंकड़े बताते हैं कि कोरोना काल के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए स्कूल जाने वाले लड़के-लड़कियों ने भी मनरेगा में अपना पंजीयन कराया और स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी। वे इसी काम में आगे बढ़ रहे हैं।
माशिमं की कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा 1 मार्च से शुरू हुई। दुर्ग जिले से इस साल कक्षा 10वीं में 17,540 और कक्षा 12वीं के 16,840 बच्चे परीक्षाओं के लिए पंजीकृत हैं। कक्षा 12वीं की परीक्षा के दौरान 134 परीक्षा केंद्रों के 13,149 परीक्षार्थियों में से 12809 हाजिर रहे, शेष ने बोर्ड परीक्षा छोड़ दी।
बोर्ड परीक्षा छोड़ने वाले कुछ लड़के और लड़कियों से बात करने पर पता चला कि अधिकतर बोर्ड परीक्षा के लिए तैयार ही नहीं थे। पढ़ने की आदत अब छूट चुकी है। इसलिए उन्होंने पहले नियमित कक्षाओं से दूरी बनाई फिर परीक्षा नहीं देना तय किया। कुछ लड़कियों ने यहां तक कहा कि परिवार ने उनकी पढ़ाई में सहमति नहीं दिखाई। उसमें पढ़ने की ललक थी, लेकिन सालभर पहले से ही मनरेगा सहित अन्य कार्यों में शामिल रहने व शादियों की वजह से पढ़ाई छोड़ना पड़ा।
शिक्षा विभाग के सहायक संचालक अमित घोष ने कहा कि स्कूलों ने अपने स्तर पर सालभर गैरहाजिर रहे बच्चों के फार्म भरवाए ताकि उन्हें परीक्षा में बैठने मिले, लेकिन बड़ी संख्या में बच्चों ने अपने कारणों से परीक्षाएं छोड़ दी है। विभाग इस संबंध में मंथन करेगा।

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