script

लॉकडाउन में 9000 परिवारों का दावा, गरीब हैं साहब, फिर भी नहीं राशन कार्ड, सकते में अधिकारी

locationभिलाईPublished: Apr 04, 2020 05:15:21 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

शहर के 9000 परिवारों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के अनुरूप चावल की डिमांड किया है। इन परिवारों का कहना है कि ये गरीब है फिर भी राशन कार्ड नहीं बना है। (ration card in chhattisgarh)

लॉकडाउन में 9000 परिवारों का दावा, गरीब हैं साहब, फिर भी नहीं राशन कार्ड, सकते में अधिकारी

लॉकडाउन में 9000 परिवारों का दावा, गरीब हैं साहब, फिर भी नहीं राशन कार्ड, सकते में अधिकारी

दुर्ग. शहर के 9000 परिवारों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के अनुरूप चावल की डिमांड किया है। इन परिवारों का कहना है कि ये गरीब है फिर भी राशन कार्ड नहीं बना है। मुफ्त चावल के दावेदारों की इतनी ज्यादा संख्या से निगम ्प्रशासन भी सकते में है। लिहाजा अब आधार कार्ड से राशन कार्ड बना है अथवा नहीं, इसकी जांच के बाद ही राशन देने का निर्णय लिया गया है। कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरों को देखते हुए देशभर में लॉकडाउन चल रहा है।
इसके चलते व्यवसायिक प्रतिष्ठान और रोजगार देने वाली इकाईयां भी बंद हो गई है। ऐसे में जिनके राशन कार्ड नहीं बन पाए हैं, ऐसे परिवारों को संकट का सामना करना पड़ सकता है। इसे देखते हुए सीएम भूपेश बघेल ने ऐसे परिवारों को भी खाद्यन्न उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत नगर निगम ने सर्वे करवाकर ऐसे परिवारों को चिन्हित कराया है। खास बात यह है कि ऐसे परिवारों को चिन्हित करने पार्षदों की मदद ली गई है। पार्षद के माध्यम से परिवारों की पहचान की गई है। यानि पार्षदों ने भी इन परिवारों के गरीब होने और राशन कार्ड नहीं बनने की पुष्टि की है।
आधार के सत्यापन में चौंकाने वाला खुलासा
मुफ्त चावल के लिए भारी-भरकम दावेदार आने के बाद निगम प्रशासन द्वारा आधार नंबर के आधार पर परिवारों की पड़ताल की जा रही है। इसमें चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। जांच में अधिकतर परिवार के पास पहले से ही राशन कार्ड होने की जानकारी सामने आ रही है। इन परिवारों के नाम सूची के काटकर वास्तविक जरूरतमंदों को चावल उपलब्ध कराया जाएगा।
85 फीसदी के पास पहले ही राशन कार्ड
नगर निगम में करीब 56 हजार परिवार है। इनमें से बीपीएल और एपीएल को मिलाकर पहले ही 85 फीसदी परिवारों का राशन कार्ड बनाया जा चुका है। शेष परिवारों को राशन नहीं लेने वाले परिवार माना जा रहा था, लेकिन फिर करीब 14 से 15 फीसदी परिवारों ने दावा ठोक दिया है। इस आंकड़े से अफसर सकते में हैं। आयुक्त नगर निगम दुर्ग इंद्रजीत बर्मन ने बताया कि सर्वे में बड़ी संख्या में लोगों ने राशन कार्ड नहीं होने की जानकारी देकर चावल मांगा है। आधार नंबर के आधार पर वेरीफाई किया जा रहा है। जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, उन्हें ही सीएम की घोषणा के मुताबिक अलग से चावल दिया जाएगा।

ट्रेंडिंग वीडियो