सवाल यह भी है कि शहर से गांव में पांव पसार चुके डेंगू को लेकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। आठ दिन पहले ही मासूम को डेंगू पीडि़त होने की रिपोर्ट सामने आई थी। इसके बावजूद अब तक चुलगहन में न तो स्वास्थ्य शिविर लगाया गया न ही घरों में दवा का छिड़काव किया गया। पीडि़त परिवार का कहना है कि गगन कक्षा पांचवी की छात्र था। पिछले एक महीने से गांव से बाहर कहीं भी नहीं गया है। इससे यह आशंका जताई जा रही है डेंगू का लार्वा गांव में पनप रहा है इससे और भी लोग पीडि़त होंगे। जागरूकता के अभाव में ग्रामीण सदी, खांसी और सामान्य बुखार समझकर गांव और आस-पास के डॉक्टरों से ही इलाज करा रहे है।
बड़ा सवाल यह है कि डेंगू पाजीटिव का मुफ्त में इलाज नहीं हो रहा है। शासन का स्पष्ट आदेश है कि दुर्ग जिले के डेंगू पाजीटिव मरीज का मुफ्त में इलाज किया जाएगा। इसके बावजूद पीडि़त परिवार से डेंगू के अलावा किडनी और लीवर में बीमारी बताकर 75 हजार रुपए जमा कराया गया। भूषण रघुवंशी का कहना है कि शासन प्रशासन से शिकायत करने के बाद भी जमा कराई गई राशि को वापस नहीं की गई।