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एनजीटी का आदेश दरकिनार, जिसकी जहां मर्जी, वहां किया प्रतिमा विसर्जन, प्रदूषण से जलीय जीव को खतरा

locationभिलाईPublished: Sep 24, 2018 12:44:57 am

Submitted by:

Bhuwan Sahu

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी )के कड़े निर्देश के बावजूद बावजूद निगम प्रशासन ने विसर्जन कुंड की व्यवस्था नहीं की।

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एनजीटी का आदेश दरकिनार, जिसकी जहां मर्जी, वहां किया प्रतिमा विसर्जन, प्रदूषण से जलीय जीव को खतरा

भिलाई. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी )के कड़े निर्देश के बावजूद बावजूद निगम प्रशासन ने विसर्जन कुंड की व्यवस्था नहीं की। पर्यावरण मंडल बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के जिम्मेदार अधिकारी भी मूकदर्शक रहे। लोगों ने भी प्रतिमा विसर्जन में जागरूकता नहीं दिखाई। जिसकी जहां मर्जी , वहां प्रतिमाओं का विसर्जन किया। ऐसा कोई तालाब नहीं है, जहां रविवार को प्रतिमा विसर्जन नहीं हुआ होगा। तालपुरी, नेहरू नगर भेलवा तालाब सहित छोटे-बड़े २६ तालाबों में प्रतिमा विसर्जन किया गया। रविवार की देर रात तक श्रीगणेश की छोटी- बड़ी ५०० से अधिक प्रतिमाओं का विसर्जन हो चुका था। प्रतिमा के साथ पूजन सामग्री भी पानी में डाल दी गई। इससे जल प्रदूषण और जलीय जीव को नुकसान होने का खतरा बढ़ गया है।
१३ चिन्हित, २५ तालाबों में विर्सजन

निगम ने शहर के १३ तालाब को प्रतिमा विसर्जन के लिए चिन्हित किए थे। चिन्हित तालाबों में फूल माला और उतरन की सामाग्री को पानी डालने से रोकने के लिए दो सफाई कर्मी और सुपरवायजर्स की ड्यूटी लगाई थी। बाकी के तालाबों में इस प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं थी।
प्रतिमा विसर्जन के लिए चिन्हित तालाब

शीतला तालाब सुपेला, स्मृति नगर तालाब, खम्हरिया, आमा तालाब फरीद नगर कोहका रोड, भेलवा तालाब आर्य नगर, सुंदर नगर लिम्हा तालाब, दर्री तालाब कुरुद, घासीदास नगर तालाब, केम्प-१ तालाब, दर्री तालाब छावनी, आमदी नगर हुडको, जयंती स्टेडियम के पीछे, हिंद नगर रिसाली और तालपुरी।
ये खामियां मिली

प्रतिमा विर्सजन के लिए चिन्हित तालाबों की पड़ताल में कई खामियां नजर आईं। अस्थायी विसर्जन कुंड तो दूर, घाट के सामने प्रकाश की व्यवस्था भी नहीं थी। लोग देर रात तक अंधेरे में जान जोखिम में डालकर लबालब भरे तालाबों में प्रतिमा विसर्जन करते हुए नजर आए।
निगम ने सभी तालाबों के घाट के किनारे चेतावनी का बोर्ड लगाया है। पानी में फूल माला और कचरा नहीं डालने की अपील की गई है। अपील व चेतावनी का किसी ने पालन नहीं किया। सफाई कामगारों के मना करने के बावजूद लोगों ने फूल माला और उतरन को पानी में डाल दिए। बाद में जब कचरा किनारे में एकत्र हुआ तो उसी कचर को कर्मचारी एकत्र किया।
मूर्ति विसर्जन के दौरान लोगों की भी लापरवाही देखने को मिली। प्रतिमा विजर्सन के लिए तालाब में ऐसे बच्चे भी उतर गए थे। जिन्हें ठीक से तैरना भी नहीं आ रहा था। उन्हें समिति के लोगों ने भी रोकने का प्रयास नहीं किया। बाक्सविकल्प था, ध्यान ही नहीं दिया – घाट से ५-६ फीट की दूरी पर पानी के अंदर बांस-बल्ली से घेरा बनाकर मूर्ति विर्सजन के लिए अस्थायी व्यवस्था करना था। ताकि तालाब में कचरे को फैलने से रोका जा सके। सुरक्षित एरिया में विसर्जन से किसी प्रकार की दुर्घटना की स्थिति न बनें। तालपुरी को छोड़कर कहीं पर अस्थायी कुंड नहीं बनाया गया।
एनजीटी के आदेश के अनुसार निगम प्रशासन को तालाब के किसी एक कोने में स्थायी कुंड का निर्माण करना था। निगम प्रशासन ने एनजीटी के आदेश को नजर अंदाज किया। सात साल में एक कुंड तक नहीं बना पाए।
आमा तालाब की सैकड़ों मछलियां मर गई थी

पिछले साल कोहका रोड स्थित आमा तालाब में प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद बड़ी संख्या में मछलियां मर गईं थी। प्रतिमाओं के रंगने के लिए इस्तेमाल होने वाले पेंटस व केमिकल पानी में घुलने की वजह से आक्सीजन की कमी हो गई थी। आक्सीजन नहीं मिलने की वजह से मछलियां तड़प रही थी। इतना सब कुछ होने के बावजूद शासन प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया।
ये हैं एनजीटी के कड़े निर्देश

जल प्रदाय वाले स्रोते जैसे नदी में प्रतिमा विसर्जन नहीं किया जाना है।- निस्तारी वाले तालाबों में प्रतिमा विसर्जित नहीं कराया जाए। विजर्सन के लिए अस्थायी कुंड बनाया जाए।
देवी-देवताओं के प्रतिमा के साथ लाए गए पूजन सामग्री को नदी तालाबों के पानी में न डालें।- विसर्जन के २४ घंटे के अंदर पानी से विसर्जित फूल, वस्त्र, एवं सजावटी सामान एवं लकड़ी निकाला जाए।
विजर्सन कुंड के पास ठोस अपशिष्ट को नहीं जलाया जाए।

जिम्मेदार मौन – इस साल निगम, जिला और पुलिस प्रशासन ने प्रतिमा विसर्जन की व्यवस्था को लेकर कोई चर्चा नहीं की। गणेशोत्सव समिति के पदाधिकारियों की बैठक भी नहीं बुलाई। पिछले साल प्रतिमा विसर्जन को लेकर बैठक की गई थी। रात ९ बजे के बाद प्रतिमा विसर्जन नहीं करने की अपील की गई थी। शिवनाथ नदी में प्रतिमा विसर्जन पर प्रतिबंध की जानकारी दी गई थी।
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