हालांकि फूसबासन बाई का यह स्पेशल एपीसोड कब दिखाया जाएगा इसे लेकर अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है। फिलहाल गांव की शूटिंग पूरी होने के बाद मुंबई से उन्हें बुलावा आएगा। फूसबासन का कहना है कि केबीसी की हॉटसीट तक पहुंचकर वो जो भी रकम जीतेगी उसे वह अपने उस सपने को पूरा करने में लगाएगी जिसके लिए वह खुद बचपन में तरसी। यानी वह ऐसे बच्चों को पढ़ाना चाहती है, जिनके माता-पिता शिक्षा देने में सक्षम नहीं है। साथ ही ऐसी जरूरतमंद और विधवा महिलाओं के लिए आश्रम बनाना चाहती है, जहां रहकर वे आत्मनिर्भर बनकर समाज में पहचान बना सकें।
हर शाम अपने बच्चों को भूखे पेट देख फूलबासन ने विपरीत परिस्थिति को अवसर बनाया। पहले दस बहनों का गु्रप बनाकर रामकोठी की स्थापना कर दो मु_ी चावल और हर हफ़्ते दो रुपए जमा करने की योजना बनाई उस वक्त गांव में इसका खूब विरोध हुआ। घर में पति से लेकर समाजिक विरोध को झेलकर फूसबासन ने हार नहीं मानी और आगे बढ़ी। एक साल में ही लोगों को समझ आने लगा कि फूसबासन सही कर रही है। पहले पढ़ाई, भलाई और सफाई का नारा देकर गांव में उन्होंने सफाई अभियान शुरू किया।
फूलबासन ने 18 साल से लगातार महिला स्व-सहायता समूह के जरिए गांव की साफफाई, वृक्षारोपण, जलसंरक्षण, सिलाई-कढ़ाई सेन्टर का संचालन, बाल भोज, रक्तदान, सूदखोरों के खिलाफ जन-जागरूकता का अभियान, शराबखोरी एवं शराब के अवैध विक्रय का विरोध, बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ जागरुकता अभियान, गरीब एवं अनाथ बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के साथ ही महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का कार्य कर रही हैं। फूलबासन को 2012 में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने पद्मश्री से नवाजा था।
फूलबासन बाई बचपन में अपने माता-पिता के साथ चाय के ठेले में कप धोने का काम करती थी। गरीबी इतनी थी कि कई बार पूरा परिवार भूखा सोता था तो कई बार तो हफ़्तों खाना नहीं मिलता था। कभी कभी महीनों नमक नसीब नहीं होता और एक ही कपड़े में ही महीने निकल जाते। 12 वर्ष की उम्र में फूलबासन भाई की शादी एक चरवाहे से हुई और 20 साल की उम्र में वह 4 बच्चों की मां बन गई। इस बीच वह पति के साथ बकरी-गाय चराने का काम करने लगी।
अपने भूखे बच्चों के लिए फूलबासन बाई दर- दर अनाज मांगती थी, पर गांव में किसी ने कोई मदद नहीं की, यहां तक कि चावल बनाने के बाद निकला माड़ भी देने को तैयार नहीं था। इसी बीच उनसे ठाना कि वह बच्चों को भूखा नहीं रहने देगी और उस जैसी 10 मां को खोज कर उनसे दो-दो मु_ी चावल जमा कर समूह तैयार किया। फूलबासन के दृढ़ संकल्प से यह 10 महिलाओं का समूह आज 2 लाख महिलाओं में तब्दील हो चुका है और उन समूह का अब करोड़ों का टर्नओर है।