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जिला अस्पताल के टीबी क्लीनिक में आने वाले मरीजों को लगाने पड़ते है कई चक्कर

locationभिलाईPublished: May 11, 2020 11:38:09 pm

जिला अस्पताल आए टीबी के मरीजों को डॉक्टर के अभाव में भटकना पड़ रहा है। मरीजों को सुविधा देने ओपीडी के प्रथम माले में टीबी क्लीनिक की स्थापना की गई है, लेकिन मरीजों को असुविधा ज्यादा हो रही है। दरअसल अधिकांश समय यहां डॉक्टर नदारद रहते है। मरीजों को जांच के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।

जिला अस्पताल के टीबी क्लीनिक में आने वाले मरीजों को लगाने पड़ते है कई चक्कर

जिला अस्पताल के टीबी क्लीनिक में आने वाले मरीजों को लगाने पड़ते है कई चक्कर

दुर्ग@Patrika. जिला अस्पताल आए टीबी के मरीजों को डॉक्टर के अभाव में भटकना पड़ रहा है। मरीजों को सुविधा देने ओपीडी के प्रथम माले में टीबी क्लीनिक की स्थापना की गई है, लेकिन मरीजों को असुविधा ज्यादा हो रही है। दरअसल अधिकांश समय यहां डॉक्टर नदारद रहते है। मरीजों को जांच के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।
जिला अस्पताल में पिछले एक साल से टीबी क्लीनिक का संचालन किया जा रहा है। टीबी अस्पताल के ओपीडी डॉ सालोमन की ड्यूटी लगाई गई है, लेकिन वे अधिकांश समय टीबी अस्पताल में रहती है। मरीज की कतार लगने के बाद भी डॉक्टर को बुलाना बड़ता है। कईबार स्थिति ऐसी हो जाती है कि मरीज पैदल चलकर टीबी अस्पताल पहुंचते है। जहां से उन्हें वापस जांच के लिए जिला अस्पताल आना पड़ता है। यह सिलसिला पिछले दो माह से चल रहा है।
इसलिए क्लीनिक का संचालन
जिला अस्पताल में क्लीनिक का संचालन मरीजों को सुविधा देने किया जा रहा है। दरअसल टीबी अस्पताल जिला अस्पताल भवन से कॉफी दूर है। आरंभ से ओपीडी का संचालन वहीं होता है, लेकिन पंजीयन व जांच सुविधा के लिए जिला अस्पताल आना पड़ता है। बार बार मरीजों को चक्कर न काटना पड़ा इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने एक ही छत के नीचे सारी सुविधाएं देने के उद्देश्य से क्लीनिक का संचालन कर रहा है।
हर रोज 10 से 15 मरीज
जिला अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि जिला अस्पताल में हर रोज औसत 10-15 मरीज पहुंचते है। जिनकी एक्स-रे व सीबी नॉट मशीन से टीबी की जांच की जाती है। डॉक्टर के नहीं होने से मरीजों को घंटों इतजार करना पड़ता है।
प्रतिरोधक क्षमता कम होती है टीबी के मरीजों में
डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मरीज को ज्यादा देर तक बैठाकर नहीं रखना चाहिए। संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। इन मरीजों के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।अन्य संक्रमण भी लग सकता है। टीबी के मरीज ज्यादा पैदल चलने पर हाफने लगता है।
जिम्मेदारी सीएचएमअ की
डॉ. पी बाल किशोर, सिविल सर्जन दुर्ग ने कहा कि हमने केवल जगह उपलब्ध कराया है। टीबी अस्पताल व क्लीनिक व्यवस्था की जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की है। शिकायत कईबार आती है। हम शिकायत को सीधे सीएचएमओ के पास स्थानांतरित कर देते हैं।
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