जिला अस्पताल में क्लीनिक का संचालन मरीजों को सुविधा देने किया जा रहा है। दरअसल टीबी अस्पताल जिला अस्पताल भवन से कॉफी दूर है। आरंभ से ओपीडी का संचालन वहीं होता है, लेकिन पंजीयन व जांच सुविधा के लिए जिला अस्पताल आना पड़ता है। बार बार मरीजों को चक्कर न काटना पड़ा इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने एक ही छत के नीचे सारी सुविधाएं देने के उद्देश्य से क्लीनिक का संचालन कर रहा है।
जिला अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि जिला अस्पताल में हर रोज औसत 10-15 मरीज पहुंचते है। जिनकी एक्स-रे व सीबी नॉट मशीन से टीबी की जांच की जाती है। डॉक्टर के नहीं होने से मरीजों को घंटों इतजार करना पड़ता है।
डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मरीज को ज्यादा देर तक बैठाकर नहीं रखना चाहिए। संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। इन मरीजों के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।अन्य संक्रमण भी लग सकता है। टीबी के मरीज ज्यादा पैदल चलने पर हाफने लगता है।
डॉ. पी बाल किशोर, सिविल सर्जन दुर्ग ने कहा कि हमने केवल जगह उपलब्ध कराया है। टीबी अस्पताल व क्लीनिक व्यवस्था की जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की है। शिकायत कईबार आती है। हम शिकायत को सीधे सीएचएमओ के पास स्थानांतरित कर देते हैं।