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पत्रिका पैरेंटिंग : बिना मांगे बहुत अधिक सुविधा देने से बच्चों का संषर्घ खत्म हो जाता है

locationभिलाईPublished: Sep 11, 2018 02:15:57 pm

पत्रिका और सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज ने पैरेंटिंग टुडे कार्यशाला कराई। इस कार्यशाला में जहां पैरेंट्स ने बच्चों के बिहेवियर में आए बदलावों को समझा तो वहीं स्टूडेंट्स को नए उभरते कोर्स व उनमें भविष्य की संभावनाएं मालूम हुईं।

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पत्रिका पैरेंटिंग टुडे : बिना मांगे बहुत अधिक सुविधा देने से बच्चों का संषर्घ खत्म हो जाता है

भिलाई. हॉल पैरेंट्स और स्टूडेंट्स से भरा हुआ था। हर कोई अपने मन की जिज्ञासा का हल खोजने एक्सपर्ट की बातें सुनने में व्यस्त। तभी माइक एक पैरेंट् के हाथ में पहुंचा और पूरे हॉल में सन्नाटा झा गया। उस मां ने कहा, हम बच्चे को हर सुख-सुविधा दे रहे हैं, लेकिन बावजूद इसके वह आगे नहीं बढऩा चाहता, हमें क्या करना चाहिए? यह सवाल उस मां ने पूछा, लेकिन जवाब का इंतजार हर कोई कर रहा था। सर्टिफाइड पैरेंटिंग कोच व कॅरियर एक्सपर्ट चिरंजीव जैन ने हल्की से मुस्कान दी और बोले, हमें बच्चों को सुविधा सिर्फ उतनी ही देनी चाहिए जितने की जरूरत हो।
पत्रिका और सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज ने पैरेंटिंग टुडे कार्यशाला कराई
बिना मांगे बहुत अधिक सुविधा देने से संषर्घ खत्म हो जाता है। बच्चा दूसरों पर निर्भर रहेगा, जबकि खुद की ग्रोथ के लिए लगाए जाने वाले एफर्ट से दूर भागेगा। यह पूरा नजारा सेक्टर-४ स्थित एसएनजी विद्यालय का है, जहां सोमवार को पत्रिका और सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज ने पैरेंटिंग टुडे कार्यशाला कराई। इस कार्यशाला में जहां पैरेंट्स ने बच्चों के बिहेवियर में आए बदलावों को समझा तो वहीं स्टूडेंट्स को नए उभरते कोर्स व उनमें भविष्य की संभावनाएं मालूम हुईं। इस दौरान प्राचार्य कोमल बेदी और पीटीए प्रेसिडेंट जमील अहमद भी मौजूद थे।
स्टूडेंट्स को बताईं कॅरियर की नई राहें
वर्कशॉप के दौरान सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स ने दसवीं और बारहवीं के बाद विषयों के चयन को लेकर अपनी बात रखी। एक्सपर्ट डॉ. किशोर दत्ता ने उनकी उलझनों को सुलझाया। इंजीनियरिंग और मेडिकल की फील्ड से हटकर लाखों के पैकेज और प्रभावशाली कॅरियर कोर्सेज की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अब वह जमाना नहीं रहा जब इंजीनियरिंग को ही सबसे प्रीसिएस कॅरियर माना जाता था। वक्त बदल रहा है अब प्रोफेशनल डीजे भी कुछ घंटों में अपना हुनर दिखाकर लाखों कमाते हैं। एग्रीकल्चर सिर्फ किसान तक सीमित नहीं रह गया, इसमें दर्जन भर से ज्यादा रास्ते खुल गए हैं। इसी तरह मेडिकल का मतलब सिर्फ डॉक्टर बनना नहीं, बल्कि फार्मा और बायोटेक्नोलॉजी का क्षेत्र भी विकल्प हो सकता है। पैरेंट्स इस बात को समझें कि अब कॅरियर परंपरागत होने से कहीं ज्यादा पैशन ओरिएंटेड हो गए हैं।
 

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एक्सपर्ट बोले, बच्चों को प्रोत्साहित करें
एक्सपर्ट चिरंजीव जैन ने कहा कि बच्चे के पहले कदम पर जिस तरह तालियां बजाकर उसे चलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, वैसा ही एप्रीसिएशन उसके पैरों पर खड़े होने तक बरकरार रखना शायद हम भूल गए हैं। हमें अपने लाडले से अपेक्षाएं तो बहुत है, लेकिन उसकी मर्जी का खयाल नहीं। वह कम नंबर लाए तो ट्रार्चर। ज्यादा ले आए तो और ज्यादा की उम्मीद। बतौर पैरेंट्स इस आदत को बदलना होगा। लाडले की कमियों को तरजीह देने के बजाए उसकी खूबियों को प्रोत्साहित करने पर यकीनन वह आपकी बातों को समझेगा। पढ़ाई के साथ-साथ दूसरी गतिविधियों में भी अव्वल आएगा।
पैरेंट्स से बड़ा हितैषी कोई नहीं
कार्यक्रम में पत्रिका भिलाई के यूनिट हेड अखिलेश तिवारी और संपादक नितिन त्रिपाठी भी मौजूद रहे। उन्होंने स्टूडेंट्स से कहा कि पैरेंट्स से बड़ा हितैषी दुनिया में कोई नहीं हो सकता। हमारे पैरेंट्स बच्चों को सुख-सुविधा देने के लिए अपनी कई इच्छाओं को त्याग देते हैं। हमें हर खुशी देना चाहते है, इसलिए यह हमारी भी जिम्मेदारी होती है कि इसके बदले में हम उन्हें संस्कारों का रिटर्न दें। इस दौरान पत्रिका के इवेंट मैनेजर देवेश मिश्रा भी मौजूद रहे।
बच्चों ने पूछे कॅरियर से जुड़े सवाल

सवाल – गेम डेवलपर कैसे बनते हैं, इसमें कॅरियर बनाना ठीक होगा?
जवाब – गेम डेवलपर का अगल से कोई फिलहाल कोर्स तो नहीं है, लेकिन इसमें आर्टिस्टिक और कंप्यूटर कोडिंग में माहिर लोग शामिल होते हैं। एक गेम डेवलप करने के लिए दिमाग का इस्तेमाल ३६० डिग्री करना होता है। अगर आप इसमें कॅरियर बनाना चाहते हैं तो पहले बीसीए या एमसीए करें। कोडिंग में परफैक्ट हो जाएं इसके बाद इस फील्ड में काम शुरू करें।
सवाल – क्या कॉमर्स इंडस्ट्री का बूम थोड़े समय के लिए ही है, इसमें कॅरियर की क्या संभावनाएं हैं?
जवाब – कॉमर्स की फील्ड बेशुमार कॅरियर संभावनाएं लिए हुए है। इसका बूम कभी समाप्त नहीं होगा। अब तो बीकॉम ग्रेजुएट्स को भी बड़ी कंपनियां लाखों के पैकेज दे रही है। गे्रजुएशन के बाद आप एमबीए में आसानी से प्रवेश ले सकते हैं।

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सवाल – पायलट बनने के लिए क्या करना होता है, इसके एग्जाम कौन-कौन से हैं?
जवाब – पायलट दो तरह के होते हैं, पहला डिफेंस और दूसरा कमर्शियल। यदि आप कमर्शियल पायलट बनना चाहते हैं इसके लिए डीजीसीए का पायलट एप्टीट्यूड टेस्ट पास करना होगा। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी, बरेली भी इसका प्रशिक्षण देती है। डिफेंस पायलट के लिए आपको एनडीए की परीक्षा देनी होगी। इसमें आप लड़ाकू विमान के पायलट बनेंगे। गणित और फिजिक्स में पढ़ाई इसके लिए अनिवार्य है। लड़कियों को एफकैट की परीक्षा देनी होगी।
सवाल – पैरेंट्स अपने बच्चों को गणित या बायोलॉजी विषय चुनने की सलाह देते हैं, लेकिन कॉमर्स और आर्ट के क्षेत्र में जाने कोई नहीं कहता, ऐसा क्यों?
जवाब – ऐसा बिल्कुल नहीं है। यह आपकी क्षमता और आगे की प्लानिंग पर निर्भर करता है। जिन स्टूडेंट्स का गोल शुरू से आईएएस होता है, वे आर्ट को बेहतर समझते हैं, क्योंकि इससे उन्हें यूपीएससी में आसानी होगी। सभी क्षेत्र अपने में अपार संभावना लिए हुए हैं। यह बात आपको पैरेंट्स को समझानी होगी।
सवाल – मैं बायो स्टूडेंट् हूं पर मेरा सपना आइएएस करना है, मेरा गोल कैसे सेट होगा?
जवाब – हमारे प्रदेश में भी कई ऐसे डॉक्टर्स हैं, जिन्होंने पहले एमबीबीएस किया है, लेकिन बाद में वे यूपीएससी से कलेक्टर बनें। आपको इन्हें आइडल मनाना होगा। पहले आप स्कूलिंग और फिर ग्रेजुएशन पूरा कीजिए। इसके बाद किसी बेहतर कोचिंग संस्थान से यूपीएससी की तैयारी करें। गोल सेट करने के लिए आपको चाहिए कि आपका इरादा मजबूत हो।
सवाल – मैं प्रोफेशनल डीजे बनाना चाहता हूं, इसके लिए क्या क्वालिफिकेशन चाहिए?

जवाब – डीजे का कोर्स यूजीसी से एफीलेटेड नहीं है, लेकिन दिल्ली, मुंबई और बैंगलुरु की कई संस्थाएं इसका सर्टिफिकेट कोर्स देती हैं। डीजे बनने से पहले आपको भाषा में पकड़ बनानी होगी। हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा का पूरा ज्ञान और बेहतरीन कम्युनिकेशन स्किल चाहिए। जैसे-जैसे आपकी पॉपुलारिटी बढ़ेगी, वैसे ही इनकम का दायरा भी बढऩे लगेगा।
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