बिना मांगे बहुत अधिक सुविधा देने से संषर्घ खत्म हो जाता है। बच्चा दूसरों पर निर्भर रहेगा, जबकि खुद की ग्रोथ के लिए लगाए जाने वाले एफर्ट से दूर भागेगा। यह पूरा नजारा सेक्टर-४ स्थित एसएनजी विद्यालय का है, जहां सोमवार को पत्रिका और सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज ने पैरेंटिंग टुडे कार्यशाला कराई। इस कार्यशाला में जहां पैरेंट्स ने बच्चों के बिहेवियर में आए बदलावों को समझा तो वहीं स्टूडेंट्स को नए उभरते कोर्स व उनमें भविष्य की संभावनाएं मालूम हुईं। इस दौरान प्राचार्य कोमल बेदी और पीटीए प्रेसिडेंट जमील अहमद भी मौजूद थे।
वर्कशॉप के दौरान सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स ने दसवीं और बारहवीं के बाद विषयों के चयन को लेकर अपनी बात रखी। एक्सपर्ट डॉ. किशोर दत्ता ने उनकी उलझनों को सुलझाया। इंजीनियरिंग और मेडिकल की फील्ड से हटकर लाखों के पैकेज और प्रभावशाली कॅरियर कोर्सेज की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अब वह जमाना नहीं रहा जब इंजीनियरिंग को ही सबसे प्रीसिएस कॅरियर माना जाता था। वक्त बदल रहा है अब प्रोफेशनल डीजे भी कुछ घंटों में अपना हुनर दिखाकर लाखों कमाते हैं। एग्रीकल्चर सिर्फ किसान तक सीमित नहीं रह गया, इसमें दर्जन भर से ज्यादा रास्ते खुल गए हैं। इसी तरह मेडिकल का मतलब सिर्फ डॉक्टर बनना नहीं, बल्कि फार्मा और बायोटेक्नोलॉजी का क्षेत्र भी विकल्प हो सकता है। पैरेंट्स इस बात को समझें कि अब कॅरियर परंपरागत होने से कहीं ज्यादा पैशन ओरिएंटेड हो गए हैं।
एक्सपर्ट चिरंजीव जैन ने कहा कि बच्चे के पहले कदम पर जिस तरह तालियां बजाकर उसे चलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, वैसा ही एप्रीसिएशन उसके पैरों पर खड़े होने तक बरकरार रखना शायद हम भूल गए हैं। हमें अपने लाडले से अपेक्षाएं तो बहुत है, लेकिन उसकी मर्जी का खयाल नहीं। वह कम नंबर लाए तो ट्रार्चर। ज्यादा ले आए तो और ज्यादा की उम्मीद। बतौर पैरेंट्स इस आदत को बदलना होगा। लाडले की कमियों को तरजीह देने के बजाए उसकी खूबियों को प्रोत्साहित करने पर यकीनन वह आपकी बातों को समझेगा। पढ़ाई के साथ-साथ दूसरी गतिविधियों में भी अव्वल आएगा।
कार्यक्रम में पत्रिका भिलाई के यूनिट हेड अखिलेश तिवारी और संपादक नितिन त्रिपाठी भी मौजूद रहे। उन्होंने स्टूडेंट्स से कहा कि पैरेंट्स से बड़ा हितैषी दुनिया में कोई नहीं हो सकता। हमारे पैरेंट्स बच्चों को सुख-सुविधा देने के लिए अपनी कई इच्छाओं को त्याग देते हैं। हमें हर खुशी देना चाहते है, इसलिए यह हमारी भी जिम्मेदारी होती है कि इसके बदले में हम उन्हें संस्कारों का रिटर्न दें। इस दौरान पत्रिका के इवेंट मैनेजर देवेश मिश्रा भी मौजूद रहे।
जवाब – गेम डेवलपर का अगल से कोई फिलहाल कोर्स तो नहीं है, लेकिन इसमें आर्टिस्टिक और कंप्यूटर कोडिंग में माहिर लोग शामिल होते हैं। एक गेम डेवलप करने के लिए दिमाग का इस्तेमाल ३६० डिग्री करना होता है। अगर आप इसमें कॅरियर बनाना चाहते हैं तो पहले बीसीए या एमसीए करें। कोडिंग में परफैक्ट हो जाएं इसके बाद इस फील्ड में काम शुरू करें।
जवाब – कॉमर्स की फील्ड बेशुमार कॅरियर संभावनाएं लिए हुए है। इसका बूम कभी समाप्त नहीं होगा। अब तो बीकॉम ग्रेजुएट्स को भी बड़ी कंपनियां लाखों के पैकेज दे रही है। गे्रजुएशन के बाद आप एमबीए में आसानी से प्रवेश ले सकते हैं।
जवाब – पायलट दो तरह के होते हैं, पहला डिफेंस और दूसरा कमर्शियल। यदि आप कमर्शियल पायलट बनना चाहते हैं इसके लिए डीजीसीए का पायलट एप्टीट्यूड टेस्ट पास करना होगा। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी, बरेली भी इसका प्रशिक्षण देती है। डिफेंस पायलट के लिए आपको एनडीए की परीक्षा देनी होगी। इसमें आप लड़ाकू विमान के पायलट बनेंगे। गणित और फिजिक्स में पढ़ाई इसके लिए अनिवार्य है। लड़कियों को एफकैट की परीक्षा देनी होगी।
जवाब – ऐसा बिल्कुल नहीं है। यह आपकी क्षमता और आगे की प्लानिंग पर निर्भर करता है। जिन स्टूडेंट्स का गोल शुरू से आईएएस होता है, वे आर्ट को बेहतर समझते हैं, क्योंकि इससे उन्हें यूपीएससी में आसानी होगी। सभी क्षेत्र अपने में अपार संभावना लिए हुए हैं। यह बात आपको पैरेंट्स को समझानी होगी।
जवाब – हमारे प्रदेश में भी कई ऐसे डॉक्टर्स हैं, जिन्होंने पहले एमबीबीएस किया है, लेकिन बाद में वे यूपीएससी से कलेक्टर बनें। आपको इन्हें आइडल मनाना होगा। पहले आप स्कूलिंग और फिर ग्रेजुएशन पूरा कीजिए। इसके बाद किसी बेहतर कोचिंग संस्थान से यूपीएससी की तैयारी करें। गोल सेट करने के लिए आपको चाहिए कि आपका इरादा मजबूत हो।