कार्यक्रम में काउंसलर चिंरजीव जैन ने माता-पिता को संबोधित करते हुए कहा कि वे बच्चों पर अपने सपने का बोझ न थोपें, बल्कि उनके हुनर को पहचानकर उन्हें आगे बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। वहीं जब बच्चा किशोर अवस्था की ओर बढ़ता है तो उसके मन में कई सवाल चलते हैं। बच्चे जब टीनएज में आते हैं तब उनके साथ दोस्त की तरह बात करें तभी वह अपनी समस्या आपसे शेयर करेंगे। कई बार आपके व्यवहार के कारण बच्चे अपनी बातंे छुपाने लगते हैं। उनसे दोस्ताना व्यवहार जरूरी है।
कॅरियर काउंसलर डॉ. किशोर दत्ता ने कॉन्संट्रेशन बढ़ाने के तरीकों से पालकों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि आपने देखा होगा कि कोई बच्चा अधिक देर तक एक जगह बैठकर नहीं पढ़ता, वह कभी यहां भागेगा तो कभी वहां। इसका मतलब है कि वह स्टडी को सही फोकस नहीं कर पा रहा इसके लिए उन्होंने बताया कि अगर आप कॉन्संट्रेट नहीं होते तो पहले एक कुर्सी पर बैठकर हाथ को सीधा करके गिलास पकड़े बैठे रहें जब तक हाथ दर्द न होने लगे। बार-बार यह क्रिया करने से कुछ दिन बाद आप कॉन्संटे्रट होने लगेंगे। इसी तरह पढ़ाई से पहले आप किस विषय को पढ़ रहे हैं उसकी जानकारी होना जरूरी है, तभी उसमें रुचि ले पाएंगे।
छत्तीसगढ़ विधानसभा के सचिव चंद्रशेखर गंगराड़े ने बताया कि जनरेशन गैप में पूरा दोष माता-पिता का है, वे अपने बच्चों को समय नहीं देते तो उनके बारे में समझ ही नहीं पाएंगे। यही कारण बनता है कि बच्चे पेरेंट्स के पास कम समय स्पेंड करने लगते हैं। वहीं अगर बच्चे हाइटेक हैं तो पेरेंट्स को भी थोड़ा हाइटेक बनना होगा। कॉम्पीटिशन की तैयारी किस तरह की जाए?
मुझे स्टेज फीयर है, मैं बहुत कुछ बोलना चाहती हूं, लेकिन लोगों को सामने देख घबरा जाती हूं?
मैं पॉलिटिशियन बनना चाहती हूं, इसके लिए मुझे क्या करना चाहिए? कोई कोर्स है क्या?
मैं यूपीएससी की तैयारी करना चाहता हूं, किस समय शुरू करूं और तैयारी कैसे की जाए?
मेरा बेटे का पढ़ाई में मन नहीं लगता, वह पास तो हो जाता है, लेकिन एवरेज स्टूडेंट है?
बच्चों को मोटिवेट कैसे किया जाए, वो तो पैरेंट्स की बात सुनने को तैयार ही नही हैं?