जीवन में कुछ बेहतर करना चाहते हंै तो 18 से 23 के बीच कर लीजिए…. जब मैं कोंडागांव बस्तर से मैट्रिक पूरी कर निकला तो ऐसे ही (पत्रिका पैरेंटिंग टुडे) जैसे कार्यक्रम में गया था। वहां कुछ सरकारी अधिकरी बोले रहे थे। तब मैंने सोचा कि भाई मैं क्यों नहीं बन सकता। मुझे भी अधिकारी बनना है। तभी एक अखबार में पढ़ा कि बस्तर का बेटा अफसर बना। मैंने अखबार के उस कॉलम को काटकर अपने पर्स में रख लिया और सोच भी लिया कि अब तो यही बनना है। जब मैं लोगों को बताता था तो सब कहते थे कि क्या करेगा, कैसा करेगा। पर मैंने पीछे कदम नहीं हटाए, आगे ही बढ़ते चले गए। आज मैं आपके सामने हूं।
कोई जरूरी नहीं है कि IAS ही बनें। सेवा के क्षेत्र में कई विकल्प हैं। एक नांव में तीन विद्वान नदी पार कर रहे थे, वे नाविक को कहते कि तुमने क्या किया, पर जब नांव नदी में पलट गई तो उन्हें तैरना नहीं आता था, जबकि नाविक को आता था। इससे ये सीख मिलती है कि हर कोई सब चीज नहीं कर सकता। सबके लिए अपने काम बने हुए हैं।
पबजी खेलना छोड़ दीजिए, इंटरनेट का करें सही उपयोग नई जनरेशन बहुत बुद्धिमान है। जिस स्पीड से हमारे सामाजिक मूल्य बदल रहे हैं, जनरेशन चेंज हो रही है। आज के बच्चों के पास एक्सेस टू नॉलेज हैं। हम जो चाहते हैं, उसे नहीं पा पाते तो डिस्ट्रेक्शन की ओर बढ़ते हैं। इस समय कोई संदीप महेश्वरी का भाषण काम नहीं करेगा, बल्कि खुद पर विश्वास करना होगा कि मैं सबकुछ कर सकता हूं। आज सबसे बड़ा डिस्टे्रक्शन सोशल मीडिया है। पबजी और गेम्स छोड़ दीजिए। उसे अपनी आदत मत बनाइए। गेम्स में 3 घंटे बर्बाद करके अपना बड़ा नुकसान कर लेंगे। हर कोई आइएएस बनना, सीइओ बनाना चाहता है, लेकिन इसे हर कोई नहीं पा सकता, इसलिए पहली काबलियत देंखे। बहुत से सरकारी वेबसाइट है, आपका स्कूल हैं जो बताएगा कि आपको क्या करना है, काउंसलिंग मिल जाएगी। इंटरनेट का सही उपयोग आपको ज्ञान देगा, वरना बिगड़ेंगे।
दो चीजें होती हैं, एक सेफ गेम खेलना और दूसरा फ्रंटफुट पर आकर 6 मारना। ऐसे में अगर आप सेफ गेम चाहते हैं तो प्रोफेशनल डिग्री जरूर लें। इससे आप लाइफ सेट कर लेते हैं। अंग्रेजी आपको जरूर आनी चाहिए। अंग्रेजी सिर्फ एक बड़ी हिचकिचाहट है, उससे ज्यादा कुछ नहीं। अगर आप सौ वर्ड याद रख लें तो धीरे-धीेरे धारा प्रवाह बोल पाएंगे।
सफलता ऐसी हो जिसे सबके साथ बांट सके आपको इतने अच्छे माक्र्स की शुभकामना। साथ में यह भी कहना चाहता हूं कि अब आपने अपने लिए चुनौती खड़ी कर दी है। यदि आपने यह चुनौती स्वीकार कर ली है तो यकीनन बहुत आगे जाएंगे। आपने हर उस आदमी की एक्सपेक्टेशन बढ़ा दी कि आपको हमेशा अब खरा उतरना है। जो रेस की बहुत तेज शुरुआत करता है वह पीछे हो जाता है, इसलिए अब आगे भी यह स्पीड बरकरार रखनी होगी। सफल होने के लिए हमें उन लोगों को पढऩा जरूरी है जो संघर्ष करके आगे बढ़े। आज मेरा बेटा अगर सक्सेस हो पाता है तो उसका अधिक महत्व नहीं है, लेकिन किसान का बेटा आइएएस बनता है तो वह उदाहरण है। ऐसे लोगों की जीवनी पढ़े। आप भीमराव आंबेडकर की जीवनी जरूर पढ़े। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम की जीवनी जरूर पढि़ए। सोचिए अगर वे संसाधन के बिना यह कर सकते हैं तो हम संसाधनों के साथ क्यों नहीं।
केवल सफल होना ही काफी नहीं, उसकी सार्थकता क्या है, हम अपने समाज के लिए क्या दे रहे हैं, बड़ी जिम्मेदारी है। पैरेंट्स पढ़ाने के लिए इतनी मेहनत करते हैं, वो कुछ बनता है और विदेश चला जाता है। आप सोचिए क्या, उस पालक ने किस परिस्थति में पढ़ाया है, क्या वो इसलिए है। उनका हमें ख्याल रखना होगा। सफलता यह नहीं है कि आप अपने घर या समाज से दूर भाग जाएं। सफलता वो है, जिसे हम सबके साथ बांटे।
मैं 12वीं तक हिन्दी मीडियम का विद्यार्थी रहा हूं। मैंने कॉलेज रेगुलर भी नहीं किया। 1991 में 12वीं पास की, 93 से नौकरी में हूं। मेरे पिता जी मजदूरी करने वाले। पर मैं मेरे जिले का पहला आइपीएस अफसर बना। मैंने नौकरी करते हुए ही शिक्षक, सर्वे इंस्पेक्टर, तहसीलदार जैसे पद हासिल किया। दिमाग से निकाल दीजिए कि मेरे पालक पैसे वाले होने चाहिए। जितना संघर्ष होगा, उतना आगे बढ़ पाएंगे।
भगवान किसी को भी मूर्ख बनाकर नहीं भेजता। यदि मछली को पेड़ पर चढ़ा दें तो क्या चढ़ पाएगी, लेकिन पानी में कितनी तेज चलती है। जंगल के शेर को समुद्र में छोड़ दें तो बता दीजिए कहा का राजा रहेगा? आप जीनियस है, सफलता आपका जन्मसिद्ध अधिकार है। बस वह सफलता समाज व परिवार के काम आनी चाहिए। आइएएस, आइपीएस, डॉक्टर और इंजीनियर यानी सिर्फ 4 लोग मिलकर ही दुनिया नहीं चलाते हैं। बहुत सारे काम है, अमिताभ आइएएस नहीं है, फिर भी उनका मुकाम है। यदि यह नहीं बन पाए तो दुखी न हो बहुत विकल्प है। पालक समझें कि जो आप नहीं कर पाए वो बच्चे करेंगे।
1. कम बच्चे ही यह सोचते हैं कि मेरे पापा-मां ने किस मेहनत से वो दो हजार का नोट कमाया होगा। आप फील कीजिए की उस नोट पर मेरे पालक के पसीने की बंूद है।
2. कई पालक सोचते हैं कि मेरे पालक गरीब है, मैं क्या कर पाऊंगा तो यह बात छोड़ दीजिए। आपको कॉन्फीडेंस आपको आगे बढ़ाता है। अमीरों को देखिए क्या सभी कलक्टर हैं?
याद रखिए.. माता-पिता गलत नहीं सोचते… कलेक्टर अंकित आनंद ने अपनी लाइफ की जर्नी शेयर करते हुए बच्चों को बड़ी सीख दी। उन्होंने बताया कि, मैं आइआइटी से इंजीनियर रहा हूं, पर इंजीनियरिंग कभी नहीं करना चाहता था। यह मेरे पिता चाहते थे। पहला कारण यह था कि मैं लड़का हूं। दूसरा मैं गणित और फिजिक्स विषयों में बेहतर और तीसरा कारण यह की इंजीनियरिंग करने के बाद कुछ न कुछ नौकरी तो मिल ही जाएगी। मैं सिर्फ सामान्य गणित व फिजिक्स ही पढऩा चाहता था, लेकिन मेरे पिता को लगा कि कहीं बेरोजगार न हो जाऊं, क्योंकि सिर्फ गणित पढ़कर नौकरी मिलना मुश्किल होता। उस वक्त लगा कि मुझ पर इंजीनियरिंग थोपी जा रही है, लेकिन अब समझ में आता है कि हर माता-पिता की पीड़ा होती है कि बेटा, बेटी कुछ बेहतर कर लें, जिससे जीवन आसान हो जाए। अब मुझे अपने पैरेंट्स का फैसला सही लगता है। मेरी ही तरह पैरेंट्स यही चाहते हैं कि उनका बच्चा डॉक्टर या इंजीनियर बने, इस तरह उसके पास एक बेस तो होगा।
लड़कियां जरूर बनें कामकाजी : एक जनरेशन पहले तक लड़कियां कामकाजी बनेंगी या नहीं, यह बात बहुत डिफिकल्ट थी। आज ऐसा नहीं है। मैंने रियलाइज किया है कि जो महिलाएं कामकाजी हैं, उनका जीवन के प्रति आउटलुक बेहतर होता है। सभी पैरेंट्स से कहना चाहूंगा कि बेटियों को कामकाजी होने प्रेरित करें। कामकाजी रहना विकल्प नहीं अब अनिवार्यता हो गई है।
अंग्रेजी सीखने की कोई उम्र नहीं है। मैंने सातवीं तक की पढ़ाई हिन्दी माध्यम से की है। 8वीं में मैं अंग्रेजी माध्यम स्कूल गया। स्कूल के पहले दिन लिविंग थिंक्स के बारे में बताया गया। पूरा लेक्चर खत्म हो गया मुझे यही समझ नहीं आया कि लिविंग थिंक क्या होता है। मैंने घर आकर सबसे पहले डिक्शनरी में यह खोजा कि इस शब्द का मतलब क्या होता है। तब समझकर आया कि अंग्रेजी भी सरल है। अंग्रेजी सीखनी ही पढ़ेगी, क्योंकि हर सब्जेक्ट की सबसे अच्छी किताबें अंग्रेजी में लिखी हुई हैं। मैनेजमेंट की दिशा में अगर जाना चाहें तो अंग्रेजी जरूर सीखिए।
0 इंटरनेट पर हर एक चीज अवेलेबल नहीं है, यदि उसके लिए सौ-दो सौ रुपए लगते हैं तो मेरा अनुरोध है कि पैरेंट्सबच्चों के लिए उसे स्पैंड करके दें।
2. कभी यह मत सोचिए कि पापा एक भाई को ज्यादा प्यार करते हैं और दूसरे से कम। पालक बच्चों को हमेशा एक बराबर समझते हैं, उनके पास भेदभाव जैसा कुछ नहीं।
3. जीवन में ऐसा कोई व्यक्ति जरूर होना चाहिए, जिससे आप अहम पल बांट सकते हों। वह आपके माता-पिता, दोस्त, शिक्षक, भाई कोई भी हो सकता है। आप सफल होंगे तो हर व्यक्ति साथ होगा, पर असफलता के पल में वह आपका सबसे बड़ा करीबी ही साथ होता है। इसको पहचाने और संजोकर रखें।