सबसे अधिक आए कमजोरी के मामले
कोरोना होने के बाद जो मरीज होम आइसोलेशन और हॉस्पिटल से ठीक होकर लौटे वे दूसरी समस्या होने पर पोस्ट कोविड क्लीनिक में पहुंचे। एक दिन में दस मरीज पहुंच रहे थे, तो उसमें से सात ऐसे थे जो कोरोना होने के बाद कमजोरी की शिकायत लेकर आ रहे थे। चिकित्सकों ने उन्हें बेहतर खुराक लेने के साथ-साथ ताकत के लिए दवा व टॉनिक लेने का सुझाव दिया। जिसका फायदा भी मरीजों में दिखा।
सांस फूलने से हो रहे थे परेशान
कोविड से जंग जीतने के बाद भी बहुत से मरीजों को अधिक चलने या सीढ़ी में चढऩे से सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। ऐसे मरीज जब अस्पताल पहुंच रहे हैं तो उन्हें इसका इलाज बताया जा रहा है। मरीजों को विशेषज्ञ बता रहे हैं कि उन्हें सुबह उठकर कुछ दूर तक चलना होगा। इस तरह से हर 8 दिन बाद दूरी को बढ़ाते जाना है। जिससे वे धीरे-धीरे चलने के मामले में सामान्य हो जाएंगे। इससे सांस लेने में जो तकलीफ हो रही है, वह भी दूर हो जाएगी।
ब्लैक फंगस की आशंका में आ रहे मरीज
जिला अस्पताल में कोरोना से ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस होने की आशंका में भी मरीज आ रहे हैं। नेत्र विशेषज्ञ उनकी जांच कर बता रहे हैं कि आंख अगर लाल दिख रही है तो उसका मतलब ब्लैक फंगस होना नहीं है। ब्लैक फंगस के लक्षण अलग होते हैं। इस तरह से उन मरीजों के आंखों का सामान्य इलाज कर लौटाया गया।
मानसिक तौर पर ही बीमार हुए लोग
कोरोना होने के बाद ठीक होकर लौटने वालों में बहुत से ऐसे भी रहे जो मानसिक तौर पर बीमार हुए। इनके लिए भी मनोरोग विशेषज्ञ मौजूद रहे। उन्होंने इस तरह के मरीजों उस मानसिक परेशानी से आजाद किया। खासकर वेंटिलेटर और आईसीयू में अधिक दिनों तक रहकर ठीक होने वाले मानसिक रोग से कुछ समय तक ग्रसित रहे।
गंध आना बंद होते ही पहुंचने लगे अस्पताल
पोस्ट कोविड सेंटर में ऐसे लोग भी आ रहे थे, जो कोरोना से संक्रमित होने के बाद ठीक हो गए। इसके बाद उनको जब भी गंध आना बंद हो जाता तो वे परेशान होकर कोरोना होने की आशंका में अस्पताल आते। इनके लिए नाक और गले के विशेषज्ञ की टीम काम कर रही है। उन्हें नाक में गंध नहीं आने की दूसरी वजह के संबंध में जानकारी दी जा रही है।
बाल झडऩे की भी शिकायत
कोरोना संक्रमित होने के बाद जब लोग ठीक हो गए, तो उनमें से कुछ को नई समस्या बाल झडऩे की आने लगी। ऐसे युवक भी हैं जो इस समस्या को लेकर अस्पताल तक पहुंचे। इस समस्या को लेकर आने वालों की संख्या अधिक नहीं थी।
ठीक होने के बाद भी सांस लेने में समस्या
डॉक्टर आकांक्षा गुप्ता दानी, मनोरोग विशेषज्ञ, जिला हॉस्पिटल, दुर्ग ने बताया कि कोरोना की बीमारी से उभरने के बाद लोगों को कभी लगता उनको सांस लेने में समस्या है, जांच करने पर सबकुछ ठीक होता। तब साफ हो जाता कि वे मानसिक तौर पर बीमार हो रहे हैं। तब उनका उसके मुताबिक इलाज किया जाता।
पोस्ट कोविड क्लीनिक में आने वालों का किया जा रहा इलाज
डॉक्टर पुनित बालकिशोर, सिविल सर्जन व प्रभारी जिला अस्पताल, दुर्ग ने बताया कि पोस्ट कोविड क्लीनिक में अब तक करीब सात सौ से अधिक मरीज आ चुके हैं। जिसमें सबसे अधिक कमजोरी की शिकायत लेकर मरीज आए हैं। इसके अलावा सांस लेने में तकलीफ, मनोरोग, आंख लाल होना, नाक की गंध मालूम नहीं होना। इसके अलावा बाल झडऩे की शिकायत लेकर भी मरीज पहुंचे हैं।