कोरोना से सिर्फ सुरडुंग में ही गई 25 की जान
ग्राम सुरडुंग के पार्षद आर वर्मा ने बताया कि एक-एक घर से दो-दो लोगों की मौत हुई है। तब एंबुलेंस आने तक मरीज बच पाएगा या नहीं ऐसा लग रहा था। सांस लेने में जब किसी को तकलीफ होता था तब लोग परेशान हो जाते थे। सिर्फ सुरडुंग में ही करीब 25 से अधिक लोगों ने दम तोड़ा है। अब कम से कम यहां के अस्पताल को अपडेट करके सर्वसुविधा युक्त बनाने की जरूरत है। जिससे मरीज को लेकर जिला अस्पताल जाने की जरूरत न पड़े। सुरडुंग के अस्पताल में ऑक्सीजन बेड से लेकर चिकित्सक और पर्याप्त स्टाफ हो। वर्तमान में इसकी खासी कमी है।
तीसरी लहर आने से पहले जरूरत ऑक्सीजन बेड की
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सुरडुंग व आसपास के मरीजों को ऑक्सीजन व इलाज के लिए करीब 22 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल, दुर्ग लेकर जाना पड़ा था। तीसरी लहर से पहले कम से कम ऑक्सीजन बेड और नियमित चिकित्सक और स्टाफ की व्यवस्था जरूरी है। सवाल उठ रहा है कि इधर अस्पताल में डॉक्टर ही नहीं है तब मरीजों का इलाज कौन करेगा। वह भी मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा का यह हाल है और वह भी तब जब पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है।
पीएससी में किए पदस्थ और ड्यूटी करवा रहे कहीं और
स्वास्थ्य विभाग ने सुरडुंग पीएससी में एक चिकित्सक को पदस्थ किया है, लेकिन उनकी ड्यूटी वीवीआईपी के नाम पर दूसरे जगह लगा दी गई है। इसी तरह से अस्पताल में एक ड्रेसर है, जिसकी ड्यूटी 3 दिन पीएसपी में और 4 दिन जिला अस्पताल में लगाए हैं। इसी तरह से एक नर्स की ड्यूटी अहिवारा में लगा दी गई है। एक आई टेक्नीशियन है जिसकी ड्यूटी 3 दिन सुरडुंग में और 3 दिन कोहका पीएसपी में ड्यूटी दे रहे। ऐसे में हर दिन पीएससी में इलाज के लिए आने वालों को अलग-अलग दिक्कत होना तय है।
बीस फीसदी से अधिक आबादी को लगा टीका
सुरडुंग, खेरधा, रिंगनी, मोंहदी, जरवाय, नंदौरी, पत्थरा और दादर की आबादी करीब 18,000 है। यहां रहने वाले 45 व 60 प्लस वाले करीब 3500 को कोरोना का टीका लग चुका है। वहीं 18 प्लस के करीब 700 युवाओं को टीका लगा है। वर्तमान में एक वायल के लिए कम से कम 10 हितग्राहियों की जरूरत है, उतने भी नहीं आ रहे हैं। इस वजह से वैक्सीनेशन का काम तेजी से नहीं हो रहा है।
अस्पताल परिसर में है जगह
पीएससी के परिसर में जगह पर्याप्त है, जिसमें आइसोलेशन वार्ड शुरू किया जा सकता है। यहां ऑक्सीजन बेड की व्यवस्था की जा सकती है। जिससे अगर गांव के बच्चों पर किसी तरह का असर कोरोना की तीसरी लहर का होता है, तो उनको फौरन यहां लाकर दाखिल किया जा सके। अस्पताल में एंबुलेंस की भी जरूरत है.
अहिवारा विधानसभा क्षेत्र में एक कोविड केयर सेंटर बनाए थे दूसरी लहर में
दूसरी लहर में जब हजारों लोग संक्रमित हुए तब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, अहिवारा क्षेत्र में एक सामुदायिक भवन में बीस बिस्तर का कोविड सेंटर शुरू किया गया था। वहीं भिलाई-तीन के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अपडेट किया जा रहा है। इसके अलावा ग्राम मुरमुंदा में पीएससी है, जिसमें एक डॉक्टर, आरएमओ व स्टाफ है, लेकिन ऑक्सीजन बेड की सुविधा अब तक नहीं है। कमोबेश वैसी ही स्थिति मेडेसरा, जेवरा सिरसा, पीएसपी और चरोदा बस्ती में मौजूद यूपीएससी की भी है।
तीसरी लहर से पहले ऑक्सीजन बेड की हो जाएगी व्यवस्था
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी व ग्रामोद्योग मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन गुरु रुद्र कुमार ने बताया कि सुरडुंग के पीएससी में कोरोना के तीसरी लहर से पहले ऑक्सीजन बेड की व्यवस्था कर ली जाएगी। शासन की भी मंशा है कि पीएससी में व्यवस्था किया जाए। चिकित्सक और स्टाफ की कमी नहीं होने दी जाएगी।