नवंबर में हुएविधानसभा चुनाव में सीएम भूपेश बघेल ने पाटन विधानसभा में 27 हजार 477 मतों से जीत दर्ज की है। वहीं 3 माह बाद हुए लोकसभा चुनाव में सांसद विजय बघेल ने 23 हजार 31 वोट से यहां जीत दर्ज की। हालांकि मुकाबले में दोनों आमने-सामने नहीं थे। अब 9 माह बाद नगर पंचायत का चुनाव होने जा रहा है और दोनों के ही समर्थक मैदान में हैं। ऐसे में मुकाबला दिलचस्प होना तय है।
बदले हुए नियम के अनुसार इस बार अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा नहीं किया जाएगा। इसकी जगह निर्वाचित पार्षद अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। इसलिए दोनों नेताओं के सामने दोहरी चुनौती रहेगी। पहले अपने ज्यादा से ज्यादा प्रत्याशियों को जीताकर लाना होगा। ऐसा हुआ तो अध्यक्ष के चुनाव में परेशानी नहीं होगी। परिणाम नजदीकी का रहा तो अध्यक्ष के चुनाव में फिर सिर-फुटौव्वल हो सकती है।
पाटन के 15 वार्डों के 7 हजार 810 मतदाता इस बार अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करेंगे। यहां के मतदाता राजनीतिक दलों के बजाय प्रत्याशियों के व्यक्तित्व को भी महत्व देते रहे हैं। इसके चलते वर्ष 2011 के चुनाव में कांग्रेस व भाजपा के प्रत्याशियों को नकारकर मतदाताओं ने निर्दलीय उपासना चंद्राकर के सिर जीत के सेहरा बांध दिया था। हालांकि चंद्राकर ने बाद में भाजपा का दामन थाम लिया था। पिछली बार भाजपा के कृष्णा भाले ने बाजी मारी थी। इस बार मैदान में उपासना चंद्राकर व भाले के बेटे हर्ष भाले दोनों भाजपा से पार्षद प्रत्याशी हैं।