कुलपति चयन समिति की बैठक के बाद से ही राजभवन के सूत्रों से प्रो. वर्मा को दोबारा मौका देने के कयास लगाए जा रहे थे। पत्रिका ने सबसे पहले खबर प्रकाशित कर बताया था कि विवि के कुलपति का नाम लिफाफे में बंद हो चुका है। इसमें प्रो. वर्मा अपने अनुभव व एकेडमिक पकड़ की वजह से सबसे आगे बने हुए हैं। उनका कार्यकाल बढ़ाए जाने की संभावना अधिक है।
राजभवन में हुई कुलपति चयन समिति की बैठक के बाद 19 अगस्त को दावेदार का नाम लिफाफे में बंद हो चुका था। प्रो. वर्मा ने प्रथम कार्यकाल के रूप में विवि की बागडोर 3 सितंबर 2015 को संभाली थी। 30 सितंबर 2019 को कार्यकाल समाप्त हो गया था।