कुलश्रेष्ठ ने कहा कि भारत के संविधान की मूल कॉपी में बिना किसी को बताए, संसद में बहस कराए बगैर कई बदलाव कर दिए गए। कोलकाता के नंदलाल बोस स्केच आर्टिस्ट और शांति निकेतन के छात्रों ने जब इसका अध्ययन किया तो पता चला कि संविधान बनने के 5 साल बाद संविधान समिति ने उसके पृष्ठों के ऊपर छूटी हुई खाली जगहों में भारत की संस्कृति, यहां के महापुरुष, शहीदों की 30 तस्वीरें एप्रुव की थी और प्रथम पृष्ठ पर रामसीता संग हनुमान की तस्वीर रखी, पर ऐसा क्या हुआ कि सारी तस्वीरें हटा दी गई।
उन्होंने कहा कि आजादी के बारे में भी पूरे देश से झूठ बोला गया कि बापू ने देश को आजादी 15 अगस्त के दिन दिलाई, लेकिन ब्रिटेन के संविधान की कॉपी के पहले पेज पर ही लिखा है कि 18 जुलाई 1947 भारत को डोमिनेट स्टेट का दर्जा दिया गया। साथ ही यह भी लिखा है कि भारत का संविधान गवर्नमेंट ऑफ इंडिया इंडिपेंडेट इंडिया के संविधान 1935 की प्रतिलिपि है। अजीबोगरीब स्थिति है। लोग प्रचारित करते हैं, इसे अंबेडकर ने बनाया। इसके लिए उन्हें अंबेडकर की लिखी किताब पढऩी चाहिए।
जिस कश्मीर को उन्होंने गुजरात से दूर रखा, आज उसी कश्मीर के मुद्दे को दो गुजराती हैंडल कर रहे हैं। छुपाकर नहीं बल्कि पूरी दुनिया को बताकर कर रहे हैं। अब सरदार पटेल को पूरा कश्मीर याद रखेगा, क्योंकि उनके जन्मदिन पर ही लेफ्टिनेंट गर्वनर चार्ज लेंगे। इस दिन सभी को घरों से बाहर आकर बताना चाहिए कि कश्मीर मामले में सरकार के साथ पूरा देश खड़ा है।
उन्होंने कहा कि सतानत धर्म पांच हजार साल पुराना है। बाकी सब मजहब है। हमें गर्व होना चाहिए कि हम सनातन हमारे जीवन का हिस्सा है। हमारी संस्कृति में ही धरती और सूर्य को प्रणाम करने के संस्कार है और हम नदियों को भी पावन मां का दर्जा देते हैं। हमारे डीएनए में शौर्य के संग शांति है, हिन्दू चाहे तो हथियार उठा सकते हंै।