प्रकरण के मुताबिक घटना 31 दिसंबर 2012 को रात 9.30 बजे की है। तब पीडि़ता पिता के साथ खाना खाकर घर के बाहर रखे सिगड़ी को गोबर से लीपाई करने के लिए बाहर निकली थी। काफी देर तक पीडि़ता जब वापस नहीं आई तो मां बेटी की तलाश में घर से निकली थी। घर से थोड़ी दूर पैदल चलने के बाद जब वह खण्डहर के पास पहुंची तो उसे कुछ आहट मिली। शंका होने पर दो लड़के के सहयोग से भीतर पहुंची। तब आरोपी पीडि़ता की मां को देख भाग निकला। परिवार के सदस्य पीडि़ता को लेकर सिटी कोतवाली पहुंचे और अपराध दर्ज कराया।
पीडि़ता बचपन से बोल व सुन नहीं सकती। पुलिस ने भी जैसे तैसे पूछताछ की। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने प्रशिक्षित शिक्षिका के माध्यम से बयान कराया। इशारे की भाषा समझने के बाद पीडि़ता ने न्यायालय के सवालों का जवाब इशारे में दिया। उसने बताया कि अभियुक्त ने ही उसके साथ दुष्कर्म किया है।
इस मामले में पुलिस ने न्यायालय में 10 गवाहों का बयान कराया। सभी गवाहों ने पुलिस क ो दिए गए बयान का समर्थन किया। गवाह में दो लोग ऐसे थे जिन्होंने अभियुक्त को युवती को ले जाते हुए देखा था। न्यायालय ने इसे ही आधार बनाकर फैसला सुनाया।
पुष्पारानी पाढ़ी, अतिरिक्त लोक अभियोजक