भिलाई

बड़ा खुलासा: 4500 फर्जी राशन कार्ड बनाकर हर माह डकारते रहे 1575 क्विंटल राशन

कई महीनों तक फर्जी राशन कार्ड से खाद्यान्न आवंटन कराया गया है, लेकिन जिला खाद्य विभाग इस मामले की पूरी जांच पड़ताल करने के बजाय टालमटोल कर रहा है।

भिलाईJan 14, 2019 / 10:38 am

Dakshi Sahu

Collector’s bluntly – Ration will be provided to the beneficiaries under the same schemeबड़ा खुलासा: 4500 फर्जी राशन कार्ड बनाकर हर माह डकारते रहे 1575 क्विंटल राशन

भिलाई .निगम की जांच पड़ताल में फर्जी राशन कार्ड का बड़ा खुलासा हुआ है। फर्जी राशन कार्ड से मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना के चावल, शक्कर, अमृत नमक और मिट्टी तेल नागरिक खाद्य आपूर्ति निगम से आवंटित कराए जाने की बात सामने आई है। कई महीनों तक फर्जी राशन कार्ड से खाद्यान्न आवंटन कराया गया है, लेकिन जिला खाद्य विभाग इस मामले की पूरी जांच पड़ताल करने के बजाय टालमटोल कर रहा है।
राशन खुद डकारते रहे
नियमानुसार एक राशन कार्ड से अधिकतम ३५ किलोग्राम चावल दिया जाता था। इस हिसाब से ४५०० फर्जी राशन कार्डों का ३५ किलोग्राम की दर से अनुमान लगाया जाए तो एक माह में १५७५ क्विंटल चावल होता है। इसका बाजार मूल्य करीब ५१ लाख ९७ हजार रुपए होता है। यानी दुकानदार ही महीने इतना राशन खुद डकारते रहे।
दुकानदारों ने खाद्य आपूर्ति निगम से इतना चावल उठाया, लेकिन उसे अपने पास रखे रहे। बाद में उसे मोटी कीमत पर दुकानदारों को बेचकर कमाई की। कई बार दुर्ग-भिलाई के दुकानदारों को चावल बेचते और खरीदते हुए भी पकड़ा गया। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिले में राशन कार्ड से फर्जीवाड़ा का मामला लंबे समय से चल रहा था।
सत्यापन कराया
दुकानदारों ने ४-५ सदस्य वाले परिवार के आईडी पु्रफ मतदाता परिचय पत्र और आधार नंबर के आधार पर राशन कार्ड बनवा लिया था। उसे अपने पास रख लिया था। बैकुंठधाम क्षेत्र के लोगों ने जिला जनदर्शन में इसकी शिकायत की। २०१६ में जिला प्रशासन ने टीम को घरों में भेजकर सत्यापन कराया। हर परिवार का राशन कार्ड का नंबर, आधार नंबर और मोबाइल नंबर एकत्र किया। उसे वेबसाइट से लिंक किया गया, तो कई परिवार के सदस्यों के नाम से २-३ राशन कार्ड जारी होने की बात सामने आई।
इसके बाद खाद्य विभाग ने खाद्यान्न वितरण के लिए बायोमैट्रिक सिस्टम को हर दुकान में अनिवार्य किया,तो फर्जी राशन कार्डधारी दुकान में खाद्यान्न सामग्री लेने ही नहीं पहुंचा। खाद्यान्न का स्टॉक दुकानों में जमा हो गया। इसके बाद जब स्टॉक की जांच की गई तो दुकानदारों की पोल खुलते चली गई।
हैक कर बनाया था कार्ड
इसके बाद विभागीय स्तर पर जांच की गई। तब जिला खाद्य विभाग के संविदा कर्मचारी की मिलीभगत सामने आई। संविदा कर्मचारी ने विभाग की आईडी को हैक कर मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना के हितग्राहियों का उपभोक्ता क्रमांक के आगे का क्रमांक जारी कर पीडीएफ के भिलाई के लोगों के नाम से निकाली। उस पीडीएफ पर जिला खाद्य विभाग व निगम प्रशासन ने सील लगाया। नोडल अधिकारियों ने हस्तारक्षर कर कर्मचारियों को सौंप दिया। कर्मचारियों ने भी राशन कार्ड को दुकानदारों को सौंप दिया। जिसे दुकानदार अपने पास रखे रहे।
संविदा कर्मी बर्खास्त
इस मामले में जिला खाद्य विभाग के संविदा कर्मचारी की मिलीभगत सामने आई थी। उसकी संविदा अवधि समाप्त कर नौकरी से बाहर कर दिया। उनके खिलाफ एफआइआर भी दर्ज कराई गई है, लेकिन फर्जी राशन कार्ड से कई महीनों तक खाद्यान अलॉट कराकर शासन को नुकसान पहुंचाने वाले सहकारी उचित मूल्य का दुकान का संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। बैकुंठधाम और कैंप-२ की तीन स्व सहायता समिति का पंजीयन निरस्त कर खानापूर्ति की गई है।
मुख्यमंत्री खाद्यान्न सुरक्षा योजना
मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना के तहत एकल महिला, परित्क्यता, विधवा और अन्य परिवार का राशन कार्ड बनाया गया है। दिव्यांग को सर्टिफिकेट के आधार पर हरा राशन कार्ड जारी किया गया है।
गंभीर बीमारी से पीडि़तों के लिए अंत्योदय योजना
कैंसर, एड्स, कुष्ठ रोग और सिकलसेल एनीमिया से पीडि़तों का अंत्योदय अन्न योजना के अंतर्गत गुलाबी राशन कार्ड बनाया गया है। गंभीर बीमारियों से पीडि़त परिवार मेडिकल अधिकारी के सर्टिफिकेट के अनुसार राशन कार्ड के लिए निगम में आवेदन कर सकता है। प्रभारी नोडल अधिकारी जितेंद्र हरमुख ने बताया कि जांच प्रतिवेदन जिला खाद्य विभाग को भेज दिया था। बाकी की कार्रवाई खाद्य विभाग को करना है।

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