इससे पहले तक ताम्रध्वज के राजनीतिक सफर में उनके ज्यादातर समर्थक ग्रामीण क्षेत्र और हमउम्र थे। दुर्ग ग्रामीण विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने से रिसाली शहरी क्षेत्र में सक्रियता के साथ ही उनके समर्थकों की संख्या भी अब काफी बढ़ गई है। यहां उनके बड़े बेटे जितेंद्र साहू भी अब राजनीति में खुलकर भागीदारी निभा रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस में ओहदा के साथ ही जितेंद्र रिसाली निगम क्षेत्र को संभाल रहे हैं, कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। यहां उनकी अपनी युवाओं की टोली है।
वोरा परिवार के काफी निकट रहे पूर्व साडा उपाध्यक्ष बृजमोहन सिंह बताते हैं कि अरूण वोरा 1982 में दुर्ग शहर जिला एनएसयूआई अध्यक्ष बने। इसके बाद 1984 में दुर्ग शहर जिला युवक कांग्रेस का नेतृत्व उन्हें सौंपा गया। अरूण और उनके बड़े भाई अरविंद वोरा को बाबूजी कहते थे। इसलिए उनके साथ जुड़े युवा भी बाबूजी कहने लगे। बाद में वरिष्ठ कांग्रेसी भी सम्मान के भाव से वोरा को बाबूजी ही संबोधित करने लगे। इस तरह वोरा छत्तीसगढ़ में सियासत के ‘बाबूजीÓ बन गए। बताया जाता है कि यह संबोधन इतना प्रचलित हुआ कि दिल्ली मेंं अन्य प्रदेश के नेता भी बाबूजी ही कहने लगे थे।
हैप्पी बर्थडे बाबूजी संदेश लिखा होर्डिंग लगवाने वाले युवक कांग्रेस के प्रदेश सचिव अमित जैन का कहना है कि ताम्रध्वज के बेटे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री जितेंद्र साहू को हम लोग भैया कहते हैं। उनके साथ अब ताम्रध्वज को भी बाबूजी कहने की आदत हो गई। ताम्रध्वज की सरलता और सहजता को देखकर ऐसी भावना स्वभाविक तौर पर भी आती है।