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छोटी सी उम्र में टीबी जैसे संक्रामक बीमारी को हराकर चैंपियन बनी हिमानी, अब स्लम बस्तियों के मरीजों का करती है काउंसलिंग

locationभिलाईPublished: Jan 16, 2021 02:14:13 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

टीबी को मात दे चुके मरीज अब टीबी चैंपियन बनकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। इसी में से एक है हिमानी जिसे स्वास्थ्य विभाग ने टीबी चैंपियन की उपाधि दी है।

छोटी सी उम्र टीबी जैसी बीमारी को हराकर चैंपियन बनी हिमानी, अब स्लम बस्तियों के मरीजों का करती है काउंसलिंग

छोटी सी उम्र टीबी जैसी बीमारी को हराकर चैंपियन बनी हिमानी, अब स्लम बस्तियों के मरीजों का करती है काउंसलिंग

दुर्ग. टीबी को मात दे चुके मरीज अब टीबी चैंपियन बनकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। इसी में से एक है हिमानी जिसे स्वास्थ्य विभाग ने टीबी चैंपियन की उपाधि दी है। कभी टीबी की मरीज रही हिमानी पूरी तरह ठीक होकर आप बीती और अनुभवों के जरिए लोगों को जागरूक कर रही है। जिला क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अनिल शुक्ला ने बताया कि छत्तीसगढ़ में राज्य को 2023 तक और केंद्र सरकार ने भारत को 2025 तक टीबी से मुक्ति दिलाने की ओर काम कर रही है। इसी कड़ी में भिलाई की हिमानी को टीबी चैम्पियन बनाया गया है। हिमानी वर्मा बीजेएमसी थर्ड ईयर की छात्रा है। वह पढ़ाई करने के साथ ही संक्रामक बीमारियों के बारे में स्लम बस्तियों में जागरूकता लाने जुटी हुई हैं। अब तक दो सालों में 100 मरीजों की काउंसलिंग और 30 से अधिक टीबी के संभावित मरीजों को जांच के लिए प्रेरित कर चुकी है। इस वर्ष 7 जनवरी से सघन टीबी खोज अभियान दस्तक-2021 के तहत उसने भिलाई इलाके के शांति नगर, वृद्ध आश्रम, गोकुल नगर, लक्ष्मी नगर, शास्त्री चौक, कैम्प-2, बापू नगर खुर्शीपार, श्याम नगर, सूर्या नगर, ओडिया बस्ती, फल मंडी व सेक्टर-2 के स्लम बस्तियों में 336 टीबी के संभावित मरीजों को जांच के लिए भेजा है।
9 महीने में जीता टीबी से जंग
हिमानी ने बताया कि 2017 में उसे अचानक कमजोरी लगने के बाद तेज बुखार और सांस लेने में काफी दिक्कतें आ रही थी। गले में सूजन यानी गठान होने लगी। जिसका टेस्ट कराने पर टीबी रोग का पॉजिटिव बताया गया। दिनोंदिन भूख नहीं लगने से वजन भी कम होने लगा। डॉक्टरों की सलाह के बाद एम्स रायपुर रेफर किया गया जहां 15 दिनों तक भर्ती रखा गया। जांच के बाद एम्स में टीबी की दवाई लेनी शुरु हुई। दवाई लेने से सेहत में सुधार होने लगा तब अस्पताल से डिस्चार्ज के बाद शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुर्सीपार से 9 महीने तक दवा का पूरा कोर्स किया। टीबी को हराने में शहर के ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता दुष्यंत शर्मा ने उसका साथ दिया। इलाज के इन 9 महीनों के दौरान हिमानी 12 वीं कक्षा में थ्री, बोर्ड परीक्षा की भी चिंता सता रही थी। लेकिन समय-समय पर परामर्श के साथ शिक्षकों व परिजनों का भी भरपूर सहयोग मिलता रहा। खाली पेट 8 गोलियों की खुराक लेने से चक्कर व उल्टियां होती थी। इससे पढ़ाई में ध्यान नहीं दे सकती थी। बावजूद इसके 12 वीं बोर्ड की परीक्षा व टीबी रोग से जीतने में कामयाब रही।
रीच संस्था से ली ट्रेनिंग
हिमानी बताती है कि टीबी से पूर्ण रूप से स्वस्थ्य होने के बाद नवंबर-2018 में सामाजिक संस्था रीच की ओर से हुई टीबी कार्यशाला में शामिल हुई और टीबी चंैपियन बनी। अब वह लोगों को टीबी से बचाने (एनटीईपी) के स्टॉफ के साथ मिलकर टीबी मरीजों की काउंसलिंग का कार्य कर रही। टीबी की दवा की पूरी खुराक नियमित लेने के लिए मरीजों को प्रेरित कर रही हूं।

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