मां पढ़ी लिखी नहीं, पढ़ाई के लिए किया मोटिवेट
उन्होंने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि मेरी मां पढ़ी-लिखी नहीं है। फिर भी उन्होंने तीनों भाईयों को पढ़ाई के लिए ऐप्रिसिएट किया। परिस्थिति अच्छी नहीं होने के बावजूद प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रेरित किया। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए हर महीना पत्र-पत्रिकाएं खरीदने के लायक स्थिति नहीं थी। इसलिए वह फुटपाथ पर बिकने वाली पत्र-पत्रिकाओं को आधी कीमत पर खरीदकर कर घर लाता था। उसे पढ़कर परीक्षा की तैयारी करते थे। वह दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के एक जिम्मेदार व्यक्ति के रूप में आपके सामने खड़ा है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके दोनों भाई भी अच्छी जगहों पर नौकरी कर रहे हैं।