याद रहे कि प्रकरण के मुताबिक हाईकोर्ट के निर्देश पर बीएसपी में टीए प्रशिक्षण लेने वाले सेक्टर २ भिलाई निवासी संतोष सिंह और शांति नगर भिलाई निवासी कुलदीप सिंह ने ३१ मार्च २०१८ को परिवाद प्रस्तुत किया था।
यह है मामला
संतोष सिंह ने बताया कि १९६३ से २००१ तक बीएसपी में टेक्निशियन पदों पर भर्ती टीए और टीओटी प्रशिक्षण देने के बाद की जाती थी। २००३ में प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को बीएसपी ने प्रक्रिया को मापदंडों के विपरीत बताते हुए ज्वाइंनिग नहीं दी। पूर्व प्रक्रिया के तहत भर्ती करना संभव नहीं है। अभ्यर्थियों द्वारा आंदोलन करने पर बीएसपी के अधिकारियों ने गलत आधार और फर्जी तरीके से एक याचिकाकर्ता से हाईकोर्ट में आवेदन प्रस्तुत कराया। बाद में उसी याचिका पर जब हाईकोर्ट ने बीएसपी से जवाब मांगा। गलत तथ्यों का समावेश कर प्रतिवेदन प्रस्तुत कर बीएसपी के अधिकारियों ने अपने पक्ष में फैसला करा लिया। हाईकोर्ट से आए फैसले को आधार बताकर बीएसपी ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी।
संतोष सिंह ने बताया कि १९६३ से २००१ तक बीएसपी में टेक्निशियन पदों पर भर्ती टीए और टीओटी प्रशिक्षण देने के बाद की जाती थी। २००३ में प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को बीएसपी ने प्रक्रिया को मापदंडों के विपरीत बताते हुए ज्वाइंनिग नहीं दी। पूर्व प्रक्रिया के तहत भर्ती करना संभव नहीं है। अभ्यर्थियों द्वारा आंदोलन करने पर बीएसपी के अधिकारियों ने गलत आधार और फर्जी तरीके से एक याचिकाकर्ता से हाईकोर्ट में आवेदन प्रस्तुत कराया। बाद में उसी याचिका पर जब हाईकोर्ट ने बीएसपी से जवाब मांगा। गलत तथ्यों का समावेश कर प्रतिवेदन प्रस्तुत कर बीएसपी के अधिकारियों ने अपने पक्ष में फैसला करा लिया। हाईकोर्ट से आए फैसले को आधार बताकर बीएसपी ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी।
ऐसे खुला मामला
परिवाद प्रस्तुत करने वाले कुलदीप सिंह ने बताया कि वे परिवाद प्रस्तुत करने वाले बैतूल निवासी लाल परते की तलाश की। उसने पूछताछ में बताया कि उसने किसी तरह का हाईकोर्ट में परिवाद प्रस्तुत नहीं किया है। बाद में जब नकल के तहत हाईकोर्ट से जानकारी ली गई तो बीएसपी के अधिकारियों के नाम के नीचे हस्ताक्षर बिलकुल अलग थे। इसे ही आधार बनाकर उन्होंने लड़ाई शुरू की। हस्ताक्षर के नमूना और बीएसपी अधिकारियों के फर्जीवाड़ा के खिलाफ लड़ाई शुरू की।
परिवाद प्रस्तुत करने वाले कुलदीप सिंह ने बताया कि वे परिवाद प्रस्तुत करने वाले बैतूल निवासी लाल परते की तलाश की। उसने पूछताछ में बताया कि उसने किसी तरह का हाईकोर्ट में परिवाद प्रस्तुत नहीं किया है। बाद में जब नकल के तहत हाईकोर्ट से जानकारी ली गई तो बीएसपी के अधिकारियों के नाम के नीचे हस्ताक्षर बिलकुल अलग थे। इसे ही आधार बनाकर उन्होंने लड़ाई शुरू की। हस्ताक्षर के नमूना और बीएसपी अधिकारियों के फर्जीवाड़ा के खिलाफ लड़ाई शुरू की।
बयान बना आधार
न्यायाधीश प्रवीण मिश्रा के न्यायालय में सुनवाई के दौरान लाल परते उपस्थित हुआ था। उसने न्यायालय को बातया कि बीएसपी के अधिकारियों ने उससे कोरे कागज में हस्ताक्षर कराए थे। हस्ताक्षर क्यों कराए गए, यह उसे नहीं मालूम। उसने हाईकोर्ट में परिवाद प्रस्तुत नहीं किया है। इस बयान को आधार बनाते हुए जांच का निर्देश दिए गए।
न्यायाधीश प्रवीण मिश्रा के न्यायालय में सुनवाई के दौरान लाल परते उपस्थित हुआ था। उसने न्यायालय को बातया कि बीएसपी के अधिकारियों ने उससे कोरे कागज में हस्ताक्षर कराए थे। हस्ताक्षर क्यों कराए गए, यह उसे नहीं मालूम। उसने हाईकोर्ट में परिवाद प्रस्तुत नहीं किया है। इस बयान को आधार बनाते हुए जांच का निर्देश दिए गए।
हाईकोर्ट का यह था डायरेक्शन
फर्जीवाड़ा खुलासा होने के बाद प्रशिक्षण लेने वाले अभ्यर्थियों ने अलग से परिवाद प्रस्तुत किया था। परिवाद पर हाईकोर्ट ने डायरेक्शन दिया कि वे पहले निचली अदालत में याचिका प्रस्तुत करंे। याचिका के फैसले पर संतुष्ट नहीं होने पर वे नियमत: हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत करे।
फर्जीवाड़ा खुलासा होने के बाद प्रशिक्षण लेने वाले अभ्यर्थियों ने अलग से परिवाद प्रस्तुत किया था। परिवाद पर हाईकोर्ट ने डायरेक्शन दिया कि वे पहले निचली अदालत में याचिका प्रस्तुत करंे। याचिका के फैसले पर संतुष्ट नहीं होने पर वे नियमत: हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत करे।
इनके खिलाफ किया है परिवाद प्रस्तुत
गणतंत्र ओझा- ईडी पर्सनल बीएसपी
संतोष कुमार -एजीएम बीएसपी
सीपी मैथ्यू- लॉ ऑफिसर
पीएस रविशंकर-लॉ ऑफिसर
नारायण सिंह-डीजीएम
कौशल किशोर-अधिकारी बीएसपी
इनमें से कई अधिकारी अब रिटायर हो चुके हैं। न्यायालय ने पुलिस को जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने कहा
अधिवक्ता रामबाबू गुप्ता ने बताया कि टीए प्रशिक्षण लेने वाले 600 से अधिक लोगों को बीएसपी ने नौकरी नहीं दी। उनका भविष्य खराब हो गया। लगभग तीन साल तक आंदोलन होते रहे। बीएसपी गलत तथ्यों को आधार बताकर हाईकोर्ट से ऑर्डर लिया था। इस मामले में न्यायालय ने पुलिस को जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने कहा है।
गणतंत्र ओझा- ईडी पर्सनल बीएसपी
संतोष कुमार -एजीएम बीएसपी
सीपी मैथ्यू- लॉ ऑफिसर
पीएस रविशंकर-लॉ ऑफिसर
नारायण सिंह-डीजीएम
कौशल किशोर-अधिकारी बीएसपी
इनमें से कई अधिकारी अब रिटायर हो चुके हैं। न्यायालय ने पुलिस को जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने कहा
अधिवक्ता रामबाबू गुप्ता ने बताया कि टीए प्रशिक्षण लेने वाले 600 से अधिक लोगों को बीएसपी ने नौकरी नहीं दी। उनका भविष्य खराब हो गया। लगभग तीन साल तक आंदोलन होते रहे। बीएसपी गलत तथ्यों को आधार बताकर हाईकोर्ट से ऑर्डर लिया था। इस मामले में न्यायालय ने पुलिस को जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने कहा है।