दुर्ग जिला शिक्षा अधिकारी प्रवास सिंह बघेल स्वीकारते हैं कि कोरोना की वजह से अगर किसी का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है तो वह है शिक्षा विभाग का। सरकारी स्कूलों में काफी मेहनत के बाद बोर्ड कक्षाओं का रिजल्ट 70 से 80 फीसदी तक पहुंचा था, लेकिन दो साल पढ़ाई ठप होने के बाद शिक्षकों को अब फिर जीरो से शुरुआत करनी होगी।
पूरे जिले की औसत रिजल्ट की बात करें तो बारहवीं को छोड़ 9वीं, 10वीं और 11वीं का रिजल्ट 27 से 30 फीसदी के बीच ही है। जबकि बारहवीं का रिजल्ट कुछ स्कूलों की वजह से 46.47 प्रतिशत तक पहुंचा, लेकिन इसमें भी 50 से ज्यादा स्कूल ऐसे है जिनके परिणाम 50 फीसदी भी नहीं है। सबसे बुरा हाल 9वीं का है। तिमाही में केवल 27.4 फीसदी बच्चे ही पास हो पाए हैं। जबकि 11वीं में 30.63 ही उर्तीण रहे। 10 वीं का परिणाम भी 31.51 फीसदी रहा।
कोविड के बाद ऑनलाइन क्लास के चलते हाई और हायर सेकंडरी की क्लास में कोर्स भी काफी कम कर दिया गया है। बावजूद भी सराकरी स्कूलों के छात्र कुछ बेहतर नहीं कर पाए। शिक्षकों की मानें तो इन दो सालों में बच्चों ने पढ़ाई को गंभीरता से लिया ही नहीं। जनरल प्रमोशन मिलने के कारण उन्हें अब यह लगने लगा है कि हर साल उन्हें ऑनलाइन परीक्षा का फायदा मिलेगा।
सितंबर में स्कूल खुलने के आदेश आने के बाद भले ही शिक्षक फुल टाइम स्कूल में ड्यूटी कर रहे हैं, लेकिन बच्चे अब भी स्कूल तक नहीं पहुंच रहे। वही ऑनलाइन क्लास से भी गिनती के बच्चे जुड़ रहे हैं। सरकारी स्कूलों के अधिकांश बच्चों के पास पर्सनल मोबाइल नहीं होने की वजह से वे ऑनलाइन क्लास में नहीं आते। कई पालक ऐसे है जो बच्चों को स्कूल भेजना ही नहीं चाहते।
पूरे जिले में शासकीय स्कूल उरला ऐसा है जहां 9वीं में एक भी छात्र उत्तीर्ण नहीं हो पाया। यहां9 वीं का परिणाम जीरो रहा। यहां परीक्षा में 40 बच्चे बैठे थे। उनमे से एक भी पास नहीं हो पाया। जबकि इसी स्कूल में 12 का रिजल्ट 22 फीसदी, 10वीं का 4.95 प्रतिशत और 11वीं में 10.31 फीसदी रहा। यानि कुल मिलाकर पूरे स्कूल का औसत रिजल्ट 10 फीसदी भी नहीं पहुंच पाया।
रिजल्ट सिर्फ नंबरों का खेल है। इसे बच्चों पर हावी नहीं होने देना चाहिए। रही बात पढ़ाई की तो, शासन- प्रशासन और एजुकेशन सिस्टम अपना काम कर रहा है। पैरेट्स को ही ध्यान देना होगा कि उनका बच्चा क्या और कैसे पढ़ रहा है। क्योंकि बच्चा उनका ही है। एजुकेशन डिपार्टमेंट ने कोर्स को भी रिडिजाइन किया है, ताकि बच्चे अगली और पिछली क्लास की चीजों को आसानी से समझ सकें, लेकिन इन सबके बीच बच्चों को मोटिवेट कर सके।
चिरंजीव जैन, सर्टिफाइड पैरेटिंग कोच
ऐसे समझे कक्षावार रिजल्ट
कक्षा- 9वीं
कुल छात्र- 13,743
परीक्षा में शामिल- 12,957
उर्तीण- 3554
परीक्षाफल- 27.4 फीसदी कक्षा- 10 वीं
कुल छात्र- 13,299
परीक्षा में शामिल- 12,894
उर्तीण- 4063
परीक्षाफल- 31.51 फीसदी कक्षा- 11 वीं
कुल छात्र- 15,292
परीक्षा में शामिल- 14,167
उर्तीण- 4340
परीक्षाफल- 30.63 फीसदी
कुल छात्र- 10,343
परीक्षा में शामिल- 10,027
उर्तीण- 4660
परीक्षाफल- 46.47 फीसदी