बेटे ने खुद पर लिया पिता का श्राप
पितृभक्ति पर आधारित नाटक ययाति की प्रस्तुति सत्य नाट्य संस्था ने दी। गुरुवार को प्रतियोगिता में खेले गए इस पहले नाटक में महाभारत के काल के दौर के राजा ययाति पर आधारित थी। जिसमें ययाति और उसके बेटे पुरु के बीच के संबंध को दिखाया गया है। किस तरह राजा ययाति अपनी पत्नी देवयानी के होने पर भी उसकी सहेली शर्मिष्ठा पर मोहित हो जाता है। जिसके बाद देवयानी के पिता शुक्राचार्य उसे श्राप देते हैं कि उसका यौवन वृद्धावस्था में बदल जाए। इस श्राप को ययाति का पुत्र पुरु बर्दाश्त नहीं कर पाता और वह उस श्राप को अपने उपर लेता है। पुरु को सब मना करते हैं,लेकिन वह नहीं मनाता। उसकी पत्नी चित्रलेखा भी उसे आखिर तक मनाती है और जब वह नहीं मानता तो चित्रलेखा विष पीकर अपनी जान दे देती है। इस नाटक में कलाकार देवेन्द्र घोष, पुरु श्रीकांत तिवारी, सिग्मा उपाध्याय, नेहा, प्रतिक्षा यादव एवं अंतरा ने खास भूमिका निभाई। रंगमंच की उभरती कलाकार सिग्मा उपाध्याय ने जहां अपने अभिनय का लोहा मनवाया, वहीं देवेन्द्र घोष ने भी मंच पर अमिट छाप छोड़ी।
पितृभक्ति पर आधारित नाटक ययाति की प्रस्तुति सत्य नाट्य संस्था ने दी। गुरुवार को प्रतियोगिता में खेले गए इस पहले नाटक में महाभारत के काल के दौर के राजा ययाति पर आधारित थी। जिसमें ययाति और उसके बेटे पुरु के बीच के संबंध को दिखाया गया है। किस तरह राजा ययाति अपनी पत्नी देवयानी के होने पर भी उसकी सहेली शर्मिष्ठा पर मोहित हो जाता है। जिसके बाद देवयानी के पिता शुक्राचार्य उसे श्राप देते हैं कि उसका यौवन वृद्धावस्था में बदल जाए। इस श्राप को ययाति का पुत्र पुरु बर्दाश्त नहीं कर पाता और वह उस श्राप को अपने उपर लेता है। पुरु को सब मना करते हैं,लेकिन वह नहीं मनाता। उसकी पत्नी चित्रलेखा भी उसे आखिर तक मनाती है और जब वह नहीं मानता तो चित्रलेखा विष पीकर अपनी जान दे देती है। इस नाटक में कलाकार देवेन्द्र घोष, पुरु श्रीकांत तिवारी, सिग्मा उपाध्याय, नेहा, प्रतिक्षा यादव एवं अंतरा ने खास भूमिका निभाई। रंगमंच की उभरती कलाकार सिग्मा उपाध्याय ने जहां अपने अभिनय का लोहा मनवाया, वहीं देवेन्द्र घोष ने भी मंच पर अमिट छाप छोड़ी।
सड़े बैंगन बन गए आस्था के प्रतीक
इप्टा भिलाई की प्रस्तुति नाटक थाली का बैंगन में निर्देशक चारू श्रीवास्तव एवं शैलेष कोड़ापे ने लोगों की आस्था से खेलते कुछ लोगों की हकीकत को बयां किया कि किस तरह एक गरीब कम दाम में कीड़े लगे बैंगन खरीद कर लाता है। कीड़े की वजह से बैंगन में तरह-तरह की आकृति उभरती है जिसका वह फायदा उठाता है। कभी उसे मुस्लिम समुदाय के लिए पवित्र बताता है। बस्ती में जब यह बात फैलती है तो लोग चढ़ावा लेकर उसके घर आते हंै,लेकिन कुछ दिनों में भीड़ कम होने लगती है तो वह दूसरे धर्म के प्रतीक चिन्हों के दिखने का दावा करता है। कभी मसीही समाज के क्रूस को दिखाया तो कभी हिन्दू धर्म के प्रतीक चिन्ह होने की बात करता है। धीरे-धीरे इस बैंगन पर इन धर्मों के लोग अपना हक जताना शुरू करते हैं। बस्ती में दंगे शुरू हो जाते हैं। ऐसे में उस व्यक्ति का एक दोस्त भी मारा जाता है। तभी वह व्यक्ति लोगों के बीच बैंगन की हकीकत को बयां करता है। इस नाटक में युवा कलाकार चंद्रकिशोर, कविता पटेल, मनोज जोशी, रोहित, शिवराज, सुचिता मुखर्जी, गौरी, अंशिका, आदित्य, अमिताभ, नरेन्द्र, अमित चौहान, उत्तम, शानिद अहमद और समीर ने खास भूमिका निभाई।
इप्टा भिलाई की प्रस्तुति नाटक थाली का बैंगन में निर्देशक चारू श्रीवास्तव एवं शैलेष कोड़ापे ने लोगों की आस्था से खेलते कुछ लोगों की हकीकत को बयां किया कि किस तरह एक गरीब कम दाम में कीड़े लगे बैंगन खरीद कर लाता है। कीड़े की वजह से बैंगन में तरह-तरह की आकृति उभरती है जिसका वह फायदा उठाता है। कभी उसे मुस्लिम समुदाय के लिए पवित्र बताता है। बस्ती में जब यह बात फैलती है तो लोग चढ़ावा लेकर उसके घर आते हंै,लेकिन कुछ दिनों में भीड़ कम होने लगती है तो वह दूसरे धर्म के प्रतीक चिन्हों के दिखने का दावा करता है। कभी मसीही समाज के क्रूस को दिखाया तो कभी हिन्दू धर्म के प्रतीक चिन्ह होने की बात करता है। धीरे-धीरे इस बैंगन पर इन धर्मों के लोग अपना हक जताना शुरू करते हैं। बस्ती में दंगे शुरू हो जाते हैं। ऐसे में उस व्यक्ति का एक दोस्त भी मारा जाता है। तभी वह व्यक्ति लोगों के बीच बैंगन की हकीकत को बयां करता है। इस नाटक में युवा कलाकार चंद्रकिशोर, कविता पटेल, मनोज जोशी, रोहित, शिवराज, सुचिता मुखर्जी, गौरी, अंशिका, आदित्य, अमिताभ, नरेन्द्र, अमित चौहान, उत्तम, शानिद अहमद और समीर ने खास भूमिका निभाई।
सगीना महतो ने दिखाया आइना
लेखक बादल सरकार के नाटक सगीना महतो में आर्टकॉम के कलाकारों ने मजदूर और उनके सगंठनात्मक लड़ाई की कहानी को दिखाया कि किस तरह संगठन के बड़े नेता अपने स्वार्थ के लिए मजदूरों के हक, उनकी लड़ाई को नजरअंदाज कर संगठन को कमजोर कर देते हैं। इस नाटक के माध्यम से कलाकारों ने संदेश दिया कि एक नेतृत्व के पक्ष में खड़ा होना या विचारों के पक्ष में… पर एक समाज के निर्माण में नए विचारों के साथ चलना जरूरी है। इस नाटक में कलाकारों ने अपने संवाद और अभियन से निर्णायकों का दिल जीत लिया।
लेखक बादल सरकार के नाटक सगीना महतो में आर्टकॉम के कलाकारों ने मजदूर और उनके सगंठनात्मक लड़ाई की कहानी को दिखाया कि किस तरह संगठन के बड़े नेता अपने स्वार्थ के लिए मजदूरों के हक, उनकी लड़ाई को नजरअंदाज कर संगठन को कमजोर कर देते हैं। इस नाटक के माध्यम से कलाकारों ने संदेश दिया कि एक नेतृत्व के पक्ष में खड़ा होना या विचारों के पक्ष में… पर एक समाज के निर्माण में नए विचारों के साथ चलना जरूरी है। इस नाटक में कलाकारों ने अपने संवाद और अभियन से निर्णायकों का दिल जीत लिया।