स्मृति नगर चौकी पुलिस ने बताया कि एक युवक की पहचान हुई। दूसरे युवक के परिजनों के बारे में पता लगा रहे हैं। बाइक चला रहा आकाश सोनकर (24 वर्ष) दुर्ग सिकोलाभाठा का रहने वाला है। बाइक के पीछे बैठे युवक की पहचान की जा रही है। बाइक भी किसी दूसरे व्यक्ति की है।
सालभर पहले शहर के प्रमुख सड़कों में नो एंट्री का समय निश्चित कर दिया था। भारी वाहनों का प्रवेश रोकने लोहे के गर्डर भी लगाए गए थे। बाकी क्षेत्र में सुबह 9 से रात 10 बजे तक नो एंट्री का समय निश्चित किया गया। इस दौरान ट्रैक्टर ट्राली, ट्रक और अन्य भारी वाहन नहीं चल सकते। फिर भी ये दौड़ रही हैं।
सालभर पहले जवाहर नगर में गंभीर दुर्घटना हुई थी। लोगों ने शहर के अंदर भारी वाहनों पर रोक लगाने की मांग पुलिस से की। सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में निर्णय लिया गया। पुलिस प्रशासन ने शहर में भारी वाहन प्रवेश करने वाले 11 प्वॉइंट चिन्हित किए। एसीसी चौक, जामुल बोगदा पुलिया, हाउसिंग बोर्ड नालंदा स्कूल के सामने, 18 नम्बर रोड, जवाहर नगर रोड और आर्य नगर कोहका रोड पर गर्डर लगाए गए।
जेवरा-सिरसा कोहका रोड पर आर्य नगर के पास लोहे के चार गर्डर लगाए गए थे। रेत, ईंट, पत्थर, मुरुम आदि बिल्डिंग मटेरियल सप्लाई करने वालों और ट्रांसपोर्टर्स ने गर्डर को टेढ़ा कर दिया है ताकि उनकी गाड़ी आसानी से निकल सके। लोग पुलिस से कई बार शिकायत कर चुके लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने कभी ध्यान नहीं दिया। पुलिस के जवान कुरुद-कोहका चौक पर भारी वाहनों को रोकते-टोकते तक नहीं।
खाली सड़क में गाड़ी नजर नहीं आ रही तो पुलिस
क्या कर सकती है सवाल – शहर के अंदर नो एंट्री में हैवी वाहन कैसे गुजर रहे है?
जवाब – जहां दुर्घटना हुई है, उस एरिया में नो एंट्री नहीं है। इसलिए वाहन आना-जाना करते हंै।
सवाल – जब नो एंट्री नहीं है तो वहां हैवी वाहनों की रोक के लिए गर्डर क्यों लगाए गए थे?
जवाब – नो एंट्री के नियम समय-समय पर बदलते रहते हैं। जहां हादसा हुआ वह पूरा रास्ता सूना है।
सवाल – ट्रैफिक पुलिस ने ही नगर निगम और बीएसपी के सहयोग से जगह-जगह गर्डर लगाए थे?
जवाब – वह आउटर एरिया है। वाहन तो चलेंगे न। गर्डर कोई लगवा दिया होगा।
सवाल – मौत का जिम्मेदार कौन?
जवाब – जहां घटना हुई है, वहां अंधामोड़ है। वहां पर संकेतक बोर्ड लगाए गए हैं। स्पीड नियंत्रण बोर्ड भी लगा है। अब खाली सड़क पर गाड़ी नजर नहीं आ रही है, उसके लिए क्या कर सकते हैं।