परिवार के अन्य सदस्यों में फैला रहे कोरोना
एंटीजन टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने पर आरटीपीसीआर जांच की जा रही है, जिसकी टेस्ट रिपोर्ट आने में देर होने से बड़ा नुकसान यह हो रहा कि जो संक्रमित व्यक्ति है, वह परिवार के अन्य सदस्यों में कोरोना फैला रहा है। इसके साथ-साथ वह आम लोगों के संपर्क में आ रहा है। सात दिनों बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है, तब तक वह बड़ी संख्या में लोगों तक कोरोना के वायरस को फैला देता है। जिला प्रशासन यह तय करे कि जिसने आरटीपीसीआर जांच करवाया है, वह आइसोलेशन में रहेगा। उसे ट्रेस किया जाए कि कहीं मार्केट में घूम तो नहीं रहा है। इससे उसके परिवार के दूसरे सदस्य व आम लोग संक्रमित होने से बच जाएंगे।
आरटीपीसीआर जांच की संख्या कर रहे कम
विशेषज्ञों के मुताबिक सबसे बेहतर जांच आरटीपीसीआर की होती है। जिला में इस वक्त अगर 1400 लोगों की कोरोना जांच की जा रही है, तो इसमें से सिर्फ 200 से 250 लोगों की आरटीपीसीआर जांच कर रहे हैं। कोरोना जांच कराने आम लोग बड़ी संख्या में जिला अस्पताल या लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल का रुख हर दिन कर रहे हैं। वहां अगर वे आरटीपीसीआर जांच करवाने की मांग करते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि तुरंत रिपोर्ट आ जाएगा एंटीजन टेस्ट करवा लो। इसके बाद भी वे कहते हैं कि आरटीपीसीआर ही करवाना है तो निजी लैब कहां खुला है, वह बता दिया जाता है।
क्यों है बेहतर
आरटीपीसीआर का परिणाम दूसरे जांच से अधिक आता है। जैसे 100 लोगों की एंटीजन टेस्ट करवाते हैं, तो 5 अगर संक्रमित मरीज मिलते हैं, वहीं इन 100 की ही अगर आरटीपीसीआर जांच करवाया जाए, तो 40 फीसदी तक पॉजिटिव मिलेंगे। यही वजह है कि मेट्रोसिटी में आरटीपीसीआर जांच ही करवा रहे हैं। राजधानी रायपुर के एम्स में भी सिर्फ आरटीपीसीआर जांच करवा रहे हैं।
इस वजह से हो रही है देरी
रायपुर के एम्स में अगर आरटीपीसीआर जांच करवाते हैं तब वहां इसकी रिपोर्ट 24 से लेकर 48 घंटे में आ जाती है। वहीं दुर्ग या भिलाई में करवाते हैं तो रिपोर्ट आने में लंबा समय लगता है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग का तर्क है कि रायपुर एम्स में इसे भेजा जाता है। वहां जांच होती है। इसके बाद रिपोर्ट मिलती है। वहां रायपुर के अलावा प्रदेशभर से नमूना भेजे जाते हैं। जिसका परिणाम यह होता है कि जांच कर रिपोर्ट भेजने में वक्त लगता है।
एम्स में हर दिन होती है 1000 लोगों की जांच
एम्स के जिम्मेदार ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि एम्स में ही हर दिन करीब 1000 से लोगों के नमूने की जांच की जाती है। यह सभी आरटीपीसीआर हैं। इसके अलावा दुर्ग समेत दूसरे शहर से भी आरटीपीसीआर के नमूना पहुंचता है। जिसकी जांच भी वहां की जाती है। जब से निजी लैब खुल गए हैं, तब से वहां बाहर से आने वाली आरटीपीसीआर से होने वाले जांच को लेकर दबाव घटा है।
निजी लैब की क्षमता हर दिन 800 की
निजी लैब जो शुरू हुए हैं, उनकी प्रतिदिन जांच करन की क्षमता 800 तक है। वर्तमान में करीब 200 लोग जांच कराने पहुंच रहे हैं। निजी लैब के जिम्मेदार बताते हैं कि अगर जांच कराने वालों की संख्या बढ़ेगी तो रिपोर्ट और जल्दी दी जा सकती है। निजी लैब में जांच करवाने का चार्ज अधिक होता है।
अब एक दिन के आड़ में आ रही है आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट
डॉक्टर गंभीर सिंह ठाकुर, चीफ मेडिकल हेल्थ ऑफिसर, दुर्ग ने बताया कि आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट बीच में जाम हो गई थी, जिसकी वजह से विलंब हो रहा था। अब एक दिन के आड़ में जो आरटीपीसीआर टेस्ट करवा रहा है उसकी रिपोर्ट आ रही है।