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बीएसपी में धातु के कचरे से बनाएंगे रेत, आधी कीमत पर मिलेगी

locationभिलाईPublished: May 30, 2023 11:11:49 pm

bhilai patrika news बीएसपी से निकलने वाले मटेरियल वेस्ट से अब सिंथेटिक सेंड (रेत) तैयार हो सकेगी। इसका मूल्य नदियों की रेत से बेहद कम होगा। नदियों से अवैध रेत खनन पर भी लगाम लगेगा। बीएसपी में फिलहाल 6 लाख टन मटेरियल वेस्ट जमा हो चुका है, जिससे सिंथेटिक रेत का निर्माण करने में छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय बीएसपी की मदद करेगा।

छह लाख टन मटेरियल वेस्ट से बनेगी सिंथेटिक सेंड, नदियों का दोहन रुकेगा

सीएसवीटीयू

भिलाई . बीएसपी से निकलने वाले मटेरियल वेस्ट से अब सिंथेटिक सेंड (रेत) तैयार हो सकेगी। इसका मूल्य नदियों की रेत से बेहद कम होगा। नदियों से अवैध रेत खनन पर भी लगाम लगेगा। बीएसपी में फिलहाल 6 लाख टन मटेरियल वेस्ट जमा हो चुका है, जिससे सिंथेटिक रेत का निर्माण करने में छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय बीएसपी की मदद करेगा। मटेरियल वेस्ट से रेत बनाने की रिसर्च सीएसवीटीयू की जियोटेक प्रयोशाला में पूरी होगी। मंगलवार को इस प्रयोग शाला का उद्घाटन बीएसपी के प्रभारी निदेशक अनिर्बान दास गुप्ता ने किया। उनके साथ सीएसवीटीयू के कुलपति डॉ. एमके वर्मा, कुलसचिव डॉ. केके वर्मा और बीएसपी के ईडी शामिल हुए।

जियोटेक लैब से फायदे
सीएसवीटीयू बीएसपी के साथ-साथ निजी और शासकीय उपक्रमों में कंसलटेंसी देगा। यह लैब सड़क, पुल-पुलिया, बांध, फ्लाईओवर आदि संरचनाओं के लिए भूमि की मजबूती का परीक्षण करेगी। भू-जल का सर्वेक्षण, भू-जल पुनर्भरण, जलसंरक्षण, जलाशयों की क्षमता विकास प्लानिंग हो सकेगी। जियोटेक लैब आयरन, ऑइल, मिट्टी जैसी हर तरह की टेस्टिंग करेगी। बीएसपी के स्लैग, फ्लाई एश आदि सुव्यवस्थित निपटान के लिए सीएसवीटीयू मदद करेगा।

मरोदा डैम का डीप सर्वे करेगा विवि
संयंत्र की पानी की जरूरत मरोदा जलाशय से पूरी होती है, लेकिन हर बार इसका जलस्तर कम हो जाता है, जिससे संयंत्र को परेशानी झेलनी पड़ती है। इस समस्या को दूर करने बीएसपी ने राज्य शासन से शिवनाथ की पाइपलाइन मरोदा जलाशय तक पहुंचाने का प्रस्ताव दिया है, वहीं इस डैम की क्षमता विस्तार सर्वेक्षण करने सीएसवीटीयू की मदद लेगा। विवि अपने उपकरणों की मदद से बता पाएगा कि मरोदा डैम की गहराई बढ़ाने के लिए क्या जतन करने होंगे।

मटेरियल वेस्ट से बनेगी रेत
भिलाई इस्पात संयंत्र में ब्लास्ट फर्नेस से निकलने वाला वेस्ट तो सीमेंट प्लांट में उपयोग हो रहा है, लेकिन इस्पात गलन शाला से निकलने वाला मटेरियल वेस्ट संयंत्र में बड़े पैमाने पर इक_ा है, जिसका कोई उपयोग नहीं। इस तरह का करीब 6 लाख टन वेस्ट जमा हो गया है, जिससे डंप करने की वजह से संयंत्र में जगह की किल्लत हो रही है। सीएसवीटीयू की मदद से इस वेस्ट का निपटान करने के साथ ही इसका मैनेजमेंट भी आसान हो जाएगा। इससे बनने वाली रेत नदियों की रेत की तरह से काम आएगी। बल्कि इससे निर्माण की लागत को और भी कम किया जा सकेगा। यह रेत बाहर मिल रही रेत से सस्ती होगी, जिससे नदियों की रेत निकालने की जरूरत नहीं पड़ेगी। नदियों का दोहन रुकेगा।

जियोटेक लैब हाईटेक उपकरणों से लैस
सीएसवीटीयू के कुलपति प्रो. एमके वर्मा ने कहा कि जियोटेक लैब हाईटेक उपकरणों से लैस है, जिससे हर तरह की टेस्टिंग की जा सकती है। बीएसपी में स्वॉइल टेस्टिंग से लेकर आयरन ओर तक का परीक्षण अब भिलाई में ही हो सकेगा।

बीएसपी प्रदेश के बाहर की प्रयोशालाओं पर निर्भर
बीएसपी के प्रभारी निदेशक अनिर्बान दास गुप्ता ने कहा कि बीएसपी तमाम तरह की स्वॉइल व आयरन टेस्टिंग के लिए प्रदेश के बाहर की प्रयोशालाओं पर निर्भर था, लेकिन अब ये सुविधा सीएसवीटीयू की लैब में ही मिलेगी। इससे समय की बचत होगी।

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