scriptये हैं CG के संदीप,इसरो के चंद्रयान 2 प्रोजेक्ट में निभाई सबसे बड़ी भूमिका, जानिए क्यों पीएम ने दी शाबासी | Sandeep played the biggest role in Chandrayaan 2 project, PM bestowed | Patrika News

ये हैं CG के संदीप,इसरो के चंद्रयान 2 प्रोजेक्ट में निभाई सबसे बड़ी भूमिका, जानिए क्यों पीएम ने दी शाबासी

locationभिलाईPublished: Sep 10, 2019 11:52:11 am

Submitted by:

Abdul Salam

भारत को विश्व में नई पहचान दिलाने वाले चंद्रयान-2 को आकार देने में वैज्ञानिकों की टीम में भिलाई के होनहार इंजीनियर संदीप कुमार जैन भी शामिल है.

ये हैं CG के संदीप,इसरो के चंद्रयान 2 प्रोजेक्ट में निभाई सबसे बड़ी भूमिका, जानिए क्यों पीएम ने दी शाबासी

ये हैं CG के संदीप,इसरो के चंद्रयान 2 प्रोजेक्ट में निभाई सबसे बड़ी भूमिका, जानिए क्यों पीएम ने दी शाबासी

भिलाई. भारत को विश्व में नई पहचान दिलाने वाले चंद्रयान-2 को आकार देने में वैज्ञानिकों की जिस टीम ने रात-दिन पसीना बहाया उस टीम में भिलाई के होनहार इंजीनियर संदीप कुमार जैन भी शामिल है. चंद्रयान-2 में लगे सालिड बूस्टर को उन्होंने ही मुबंई में तैयार करवाया। जिसके सहारे चंद्रयान-2 ने यह लंबा सफर तय किया। वैज्ञानिकों की इस टीम को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिलकर बधाई दी. अब उनकी टीम मानव रहित अंतरिक्ष यान (गगन) को तैयार करने में जुटी है, जिसे चंद्रमा पर 2022 में भेजा जाएगा।

इसरो के लिए हुआ चयन
इंजीनियर संदीप कुमार जैन ने बीएसपी स्कूल, सेक्टर-4 में शिक्षा हासिल की और 1992 में एनआइटी रायपुर से मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री ली। कुछ समय बाद उनका भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में चयन हो गया। जहां वे अब तक सेवा दे रहे हैं। परिवार वाले बताते हैं कि यह सफर आसान नहीं था, उनकी लगन ने उस मुकाम तक पहुंचाया।

गगन की चल रही है तैयारी
इसरो के डीजीएम संदीप ने पत्रिका को बताया कि चंद्रयान-2 में लगा सालिड बूस्टरसंदीप की देखरेख में तैयार हुआ। चंद्रमा तक पहुंचाने में उसने अपना काम पूरा किया। इस तरह से वे अपने काम में सौ फीसदी सफल रहे। अब गगन का स्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। इस अंतरिक्ष यान में दो व्यक्ति मौजूद रहेंगे, जिनको सात दिनों तक चांद में रहकर लौटना है।

पहले करेंगे अंतरिक्ष के प्रयोगशाला में रिहर्सल
मानव को वहां भेजने से पहले किस तरह से तैयारी की जाती है पर उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में प्रोयगशाला है, जहां कैप्सूल से दो व्यक्ति को पहले भेजा जाएगा। जैसे हालात चांद में है, वैसे ही वहां है। जिनको भेजा जाना है, वे वहां आराम से रिहर्सल के दौरान काम कर लेते हैं, तब चंद्रमा में भेजने को लेकर अंतिम फैसला लिया जाता है। अभियान चंद्रयान-2 हो या गगन सभी टीम वर्क है। इसमें हर इंजीनियर और वैज्ञानिक की अहम भूमिका होती है।
पिता का नाम किया रौशन
संदीप के पिता स्व. एसजैन की सेक्टर-6, बी मार्केट में एक छोटी सी राशन की दुकान थी। जिसके सहारे उन्होंने अपने चारों बच्चों को बेहतर शिक्षा दी। पिता का हाथ बटाने के लिए बड़े बेटे प्रदीप जैन ने आटा चक्की शुरू की। पिता ने शेष तीनों बेटों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवाई। जिसमें बड़े भाई ने भी पिता का साथ दिया। संदीप के एक भाई दिलीप कुमार जैन राजनांदगांव में अभियोजन अधिकारी व इंजीनियर जी जैन पूना की कंपनी में कार्यरत हैं।
भिलाई का गौरव बढ़ाया
बड़े भाई प्रदीप जैन बताते हैं कि पिता ने बच्चों को पढ़ाने में पसीना बहाया, वह रंग दिखा रहा है। परिवार बहुत खुश है। संदीप जब पढ़ रहा था, तब आसपास के बच्चों को मुफ्त में पढ़ाता था। पढ़ाई में बहुत अच्छा है। वहीं पड़ोस में रहने वाले उद्योगपति रमेश रोलावाला बताते हैं कि उनके आंखों के सामने संदीप ने पढ़ाई पूरी की और दिल्ली गया। अब पूरे देश में भिलाई का नाम रौशन किया। यह भिलाई वालों के लिए खुशी की बात है।
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