scriptBreaking news ब्लैक फंगस से जिला में दूसरी मौत, इंजेक्शन के लिए वेंटिलेटर के मरीज को करना पड़ा शिफ्ट | Second death due to black fungus, patient had to shift for injection | Patrika News

Breaking news ब्लैक फंगस से जिला में दूसरी मौत, इंजेक्शन के लिए वेंटिलेटर के मरीज को करना पड़ा शिफ्ट

locationभिलाईPublished: May 17, 2021 11:50:00 pm

Submitted by:

Abdul Salam

एक बेटा अमेरिका में.

Breaking news ब्लैक फंगस से जिला में दूसरी मौत, इंजेक्शन के लिए वेंटिलेटर के मरीज को करना पड़ा शिफ्ट

Breaking news ब्लैक फंगस से जिला में दूसरी मौत, इंजेक्शन के लिए वेंटिलेटर के मरीज को करना पड़ा शिफ्ट

भिलाई. सीएम मेडिकल कॉलेज, कचांदुर में दाखिल बी लक्ष्मी (61 साल) ने सोमवार की सुबह ब्लैक फंगस से संघर्ष करते हुए दम तोड़ दिया। चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल, नेहरू नगर के वेंटिलेटर से उसे सीएम मेडिकल कॉलेज में रविवार को सिर्फ इस वजह से शिफ्ट करना पड़ा था क्योंकि इंजेक्शन नहीं मिल रहा था। सरकारी अस्पताल के लिए इंजेक्शन रखा हुआ था, मरीज की हालत बिगड़ रही थी। तब तय किया गया कि सरकारी में दाखिल कर देते हैं जिससे मरीज को इंजेक्शन तो लग सके।

नहीं लग सका इंजेक्शन
मरीज को सीएम मेडिकल कॉलेज में रविवार की शाम दाखिल किए। जहां प्लेट लेट की कमी बताते हुए इंजेक्शन नहीं दिया गया। सोमवार की सुबह बेटा बी राजू दोस्तों के साथ खून देने पहुंचा। इस बीच ही सीएम मेडिकल अस्पताल से फोन आया कि उनकी मां नहीं रही। इस तरह से जिस इंजेक्शन की आस में उसे मरीज को सीएम मेडिकल में दाखिल किए थे, उसे वह इंजेक्शन लगा ही नहीं।

सबसे पहले दाखिल किए रेलवे अस्पताल में
इंदिरा नगर, चरोदा में रहने वाले रेलवे कर्मचारी राजू ने बताया कि उसकी मां को 21 अप्रैल को बीएमवाय, चरोदा के रेलवे अस्पताल में दाखिल किए। जहां दो दिनों तक रखने के बाद कोरोना होने की बात कहते हुए रायपुर के रेलवे अस्पताल भेजा गया। मरीज की स्थिति को देखते हुए रेलवे अस्पताल से 1 मई को नारायणा, रायपुर में दाखिल किए। 4 मई तक रखने के बाद परिजनों ने वहां से चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल, नेहरू नगर लेकर आए।

इंजेक्शन लाने पर्ची दिया
बेटे ने बताया कि अस्पताल में ब्लैक फंगस का इलाज के लिए इंजेक्शन लेकर आने पर्ची दिया गया। एक दिन में तीन समय इंजेक्शन लगना था। तब बाहर से एक-एक इंजेक्शन 8-8 हजार में पांच दिनों तक 15 इंजेक्शन लेकर आया। इसके बाद रविवार को इंजेक्शन नहीं मिला। तब प्रयास किया गया तो बताया गया कि जिला प्रशासन के पास इंजेक्शन है, लेकिन वह केवल सरकारी अस्पताल के लिए रखा गया है। तब शाम को मरीज को सीएम मेडिकल कॉलेज इंजेक्शन के लिए ही वेंटिलेटर में होने के बाद भी शिफ्ट किया गया। इसके लिए विधायक देवेंद्र यादव से बात किए तब उन्होंने अस्पताल में चिकित्सकों से बात किया। वहां लेकर गए तो डॉक्टरों ने कहा कि ठीक हो जाएंगे।

एक बेटा अमेरिका में
रेलवे कर्मी ने बताया कि उनका बड़ा भाई अमेरिका में है। मां के चले जाने से अब वह अकेला हो गया है। वह रेलवे में नौकरी करता है। मां उसके लिए रिश्ता तलाश रही थी। इस बीच कोरोना संक्रमित हुई और इसके पहले उन्हें शुगर के अलावा कोई दूसरी बीमारी भी नहीं थी। समय पर इलाज मिल पाता तो शायद वह बच जाती। इंजेक्शन के लिए जिस तरह से वह परेशान हुआ है, वह जीवनभर भूल नहीं पाएगा। दवा की व्यवस्था करना मरीज के परिजनों का काम है यह सवाल बार-बार मन में उठ रहा है।

ब्लैक फंगस का पहला शिकार हु्आ था सेक्टर-1 में रहने वाला व्यक्ति
जिला में ब्लैक फंगस से पहली मौत सेक्टर-9 अस्पताल में हुई थी। 11 मई को सेक्टर-1 में रहने वाले श्रीनिवास राव 48 ने दम तोड़ा था। तब से ही जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इसको लेकर अल्र्ट है। जिला प्रशासन ने इसके लिए दवा रखा हुआ है। वहीं निजी अस्पताल में इसका टोटा नजर आ रहा है। जिला प्रशासन की ओर से निजी और सरकारी अस्पताल में दाखिल मरीजों की लिस्ट तैयार कर हर अस्पताल में दवा की व्यवस्था करवाने की जरूरत है। मरीज के परिजन जिस तरह से दवा के लिए परेशान हो रहे हैं, यह विभाग की ओर से की जाने वाली व्यवस्था की पोल खोल रहा है।

ब्लैक फंगस के अलावा था दूसरा मर्ज
चीफ मेडिकल हेल्थ ऑफिसर, दुर्ग डॉक्टर गंभीर सिंह ठाकुर ने बताया कि मरीज को ब्लैक फंगस के अलावा दूसरा मर्ज भी था। प्लेट लेट कम होने की वजह से इंजेक्शन भी नहीं लगाया जा सका और उनकी मौत हो गई। निजी अस्पताल से एक दिन पहले ही सीएम मेडिकल कॉलेज में दाखिल किए थे। वेंटीलेटर में थी मरीज।

ट्रेंडिंग वीडियो