एएसपी विजय पांडेय ने बताया कि मृत कर्मियों की पहचान को और पुख्ता करने के लिए डी ऑक्सीरूबी न्यूक्लीक एसीड (डीएनए) टेस्ट करा रहे हैं। ताकि भविष्य में किसी प्रकार की समस्या न हो। टीआई स्तर की कमेटी इस माले की विवेचना कर रही है। नौ शवों को अलग-अलग नम्बर दिया। इसकी वैैज्ञानिक पद्धति से पहचान कराई जा रही है। इसके लिए शव का अवशेष और परिजनों के ब्लड सैम्पल को फोरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) रायपुर भेजा जा रहा है।
शव डीकंपोज होने लगे हैं। जब तक डीएनए टेस्ट रिपोर्ट नहीं आ जाती शवों को सुरद्विात रखना जरूरी है। इसलिए सभी शव की इंबाल्मिंग कराई गई है। इस प्रक्रिया में शव खराब न हो इसके लिए विशेष लेप लगाया जाता है। अब शव को सप्ताह भर फ्रिजर में रखा जा सकता है। इससे शव डी कंपोज नहीं होंगे।
सैयद अकील अहमद – जॉकी कंपनी का अंडर वियर पहना था। सेफ्टी बेल्ट बंधे होने के कारण कपड़े का अवशेष रह गया था। परिजन मुस्लिम समुदाय के संस्कार (खतना) से भी उन्हें पहचाना।
देवनारायण तारण- पर्स में उसकी पत्नी का फोटो, निर्वाचन कार्ड, आईडी कार्ड और बीएसपी का गेटपास मिला। डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया शुरू
एसएसपी डॉ. संजीव शुक्ला ने बताया कि एक मृत कर्मी के परिजन शव को नहीं पहचान सके। इसलिए अब डीएनए टेस्ट कराने का फैसला किया है। शव की सही शिनाख्त के लिए यह जांच जरूरी है। डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।