पुलिस का कहना है कि प्रकरण के कुछ अन्य पहलुओं की जांच की जा रही है। पोटियाकला स्थित खसरा क्रमांक 164,36,37,38,39 क्षेत्रफल 3.72 एकड़ क ा डायवर्सन तो कराया गया, लेकिन मद परिवर्तन नहीं किया। इससे शासन को भारी क्षति हुई है। एसआइटी के जांच अधिकारी एएसआइ नारायण प्रसाद साहू ने 20 दिसंबर 2018 को आइजी को सौंपे जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट कहा है कि इस मामले में संजीव गुप्ता समेत अन्य लोग दोषी है।
जांच में खुलासा हुआ कि इस मामले में पोटिया के तत्कालीन हल्का पटवारी पवन चंद्राकर की महत्वपूर्ण भूमिका है। डायवर्सन मद नहीं बदले जाने के तथ्य को छिपाया है। इस प्रकरण में भूमि स्वामी संजीव गुप्ता जितना दोषी है उतना ही दोषी पटवारी है। पुलिस ने पटवारी को फिर नोटिस जारी किया है।
जांच में खुलासा शासन को 7 करोड़ 40 लाख 95 हजार 560 रुपए का नुकसान हुआ। जांच में छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम की धारा 292(ग) के अतंर्गत भूमिस्वामी व पटवारी को दोषी पाया है। इसी धारा के तहत अपराध दर्ज किया जाना है। पुलिस को यह भी देखना है कि दस्तावेज में किसी तरह की छेडख़ानी तो नहीं की है। अगर छेडख़ानी की गई है तो धारा 420 का समावेश किया जाएगा।
साथ ही भ्रामक जानकारी दी गई कि कालोनी में ओपन लैण्ड व अन्य कार्य के लिए जगह आरक्षित किया गया है। नियमानुसार कमजोर आय वर्ग के लिए 15 प्रतिशत आरक्षित होना बताया। जबकि जांच में ऐसा कुछ नहीं पाया गया। न ओपन लैंड मिला ने 15 प्रतिशत कमजोर वर्ग के लिए आरक्षित जमीन। सीएसपी विवेक शुक्ला ने बताया कि जांच पूरी हो चुकी है। दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। इस मामले में अन्य पहलुओं को देखने के लिए बयान लेने की प्रकिया शेष है।
एक अन्य मामले में पटवारी पवन चंद्राकर का एक और कारनामा सामने आया है। पटवारी ने अपनी मां यशोदा चंद्राकर के नाम से ऐसे जमीन को खरीदा है जिसे ओपन लैंड के नाम से आरक्षित किया था। जमीन की बाजार दर 23 लाख है। इसे महज 5 लाख में खरीदा है। यह जमीन सुरूचि गृह निर्माण मंडल समिति के दस्तावेज व ले आउट में इडब्ल्यूएस ओपन स्पेस के लिए आरक्षित थी। इस प्रकरण में एसआईटी ने समिति के गंजपारा निवासी अध्यक्ष कैलाश नारायण शर्मा को दोषी माना है। शासन को बड़ी क्षति पहुंचाई है।