इसको लेकर सेल के आला अधिकारी विभिन्न यूनिट के उच्च प्रबंधन से चर्चा कर रहे हैं। सेल पर २०१४ में कुल ऋण 24,266 करोड़ था। वह २०१८ में बढ़कर 42,021 हो गया है। सेल की जो इकाइयां नुकसान में चल रही है, उनको केंद्र सरकार ने इस वजह से निजी हाथों को सौंप देना चाहती है। सेल की संपत्ति भी गिरवी में रखी हुई है। ऋण चुकाने के स्थान पर उसमें हर वर्ष इजाफा हो रहा है।
सुरक्षित ऋण संपत्ति के कारण सिक्योर्ड रहते हैं और असुरक्षित ऋण में क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन यह सभी आते हैं। सेल का सुरक्षित ऋण २०१४ में 11,560.89 करोड़ रुपए था। वह २०१८ में बढ़कर 30,180.65 करोड़ रुपए हो चुका है। सुरक्षित लोन की लिमिट अधिक होती है।
सेल के उत्पादन का २० फीसदी रकम यहां के कर्मचारियों व अधिकारियों पर खर्च हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय मानक में कर्मियों पर उत्पादन का कम से कम ७ फीसदी खर्च करने के लिए कहा गया है। १३ फीसदी से अधिक कर्मियों पर खर्च होने पर उसे अलार्मिंग कंडीशन माना है। निजी कंपनी अपने कर्मियों पर महज ३ से ५ फीसदी तक ही खर्च कर रही है। जिसकी वजह से वह अधिक प्राफिट में रहती है।
सुरक्षित ऋण की लिमिट हमेशा असुरक्षित ऋण से ज्यादा होती है।
असुरक्षित ऋण जल्दी से मंजूर हो जाता है और सुरक्षित ऋण मंजूर होने में काफी समय लेता है।
सुरक्षित ऋण में ब्याज दर संपत्ति के कारण कम होती है और असुरक्षित ऋण में ज्यादा।
असुरक्षित ऋण सस्ते होते है और इसमें ज्यादा रिस्क नही होता है।
सुरक्षित ऋण में ब्याज दर असुरक्षित ऋण से कम होती है। लेकिन सिक्योर्ड लोन को लेने में बहुत रिस्क होता है।
उधारकर्ता के लिए सुरक्षित ऋण कम रिस्की होता है, क्योंकि सुरक्षित ऋण अनसिक्योर्ड लोन से सस्ते होते है।
* सुरक्षित ऋण संपत्ति के कारण सिक्योर्ड रहते है और असुरक्षित ऋण में क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन यह सभी आते हैं।