यहां सड़कों पर 3000 से ज्यादा मवेशी
अनुमान का मुताबिक शहर में 3 हजार से ज्यादा आवारा मवेशी हैं। इनमें से अधिकतर 24 घंटे सड़कों पर घूमते रहते हैं। जीई रोड के अलावा इंदिरा मार्केट, पटरीपार सिकोला सब्जी मार्केट व धमधा रोड, पुलगांव के आसपास मवेशियों का जमावड़ा रहता है। सर्वाधिक परेशानी की स्थिति बाजार इलाके में होती है।
धरपकड़ के नाम पर महज खानापूर्ति
निगम द्वारा मवेशियों की धरपकड़ की कार्रवाई तो की जा रही, लेकिन इसके नाम पर महज खानापूर्ति कर ली जाती है। निगम के कर्मचारी बीच-बीच में अभियान चलाकर मवेशियों को पकड़ते हैं, लेकिन इन्हें कहीं बाहर छोडऩे अथवा गौठान में रखने के बजाए दोबारा खुला छोड़ दिया जाता है। इससे मवेशी दोबारा सड़क पर पहुंच जाते हैं।
चार साल में नहीं बना पाए 4 गौठान
सड़कों पर घूमने वाले मवेशियों को नियंत्रित करने राज्य शासन द्वारा गौठान निर्माण का प्रावधान किया गया है, लेकिन इसे लेकर गंभीरता की स्थिति बेहद खराब है। नगर निगम क्षेत्र में 4 गौठान बनाया जाना है, लेकिन 4 साल में केवल 2 गौठान ही बनाए जा सके हैं। इसमें भी केवल पुलगांव का गौठान ही ठीक-ठाक चल रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति भी खराब
आवारा मवेशी और इनके कारण दुर्घटनाएं केवल शहरी क्षेत्र की नहीं बल्कि ग्रामीण इलाकों की भी बड़ी समस्या है। ग्रामीण इलाकों में भी इन पर नियंत्रण के लिए गौठान बनाए गए हैं, लेकिन अधिकतर गौठान की स्थिति बेहद खराब है। इसके कारण मवेशी सड़कों पर घूमते रहते हैं।
आवारा मवेशियों के कारण यह नुकसान
– आवारा मवेशी सड़कों पर भटकते हैं, इससे ट्रैफिक जाम और दुर्घटना का खतरा होता है।
– सड़कों के अलावा, सब्जी व फल बाजार में आवारा मवेशियों का आतंक रहता है।
– मवेशियों से कारण सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी की भी शिकायत रहती है।
– शहर के भीतर अभी भी अवैध खटाल हैं।इन पर नियंत्रण बेहद जरूरी।
महिला को गंवानी पड़ी जान
पिछले दिनों दो सांडों की लड़ाई के कारण शिव नगर डोंगिया तालाब पार निवासी रूखमीन बाई (80 वर्ष) की मौत हो गई थी। महिला अपने घर के दरवाजे में बैठी थी। तब लड़ते हुए दो सांड वहां आ गए। सांडों से बचने की कोशिश में भागने के दौरान महिला दोनों के चपेट में आ गई। सांडों की लड़ाई में एक अन्य महिला के पैर में भी चोट आई।