बता दें कि विदेशी विश्वविद्यालयों में ही यह व्यवस्था होती रही है। यानी अब हमारी शिक्षा एक कदम आगे बढ़कर वैश्विक स्तर पर मुकाम हासिल करेगी। यही नहीं स्कूल एजुकेशन का ढांचा भी अपग्रेड हो जाएगा। नई नीति के बारे में शहर के शिक्षाविदों का मानना है कि इस बदलाव के बाद स्कूल लेवल से लेकर उच्च शिक्षा तक छात्रों को एक नई दिशा मिलेगी। साथ ही छात्रों के स्किल को निखारने संकाय की बाध्यता को खत्म करने से वे अपनी रूचि के विषयों को आसानी से पढ़ सकेंगे।
34 साल बाद हुआ बड़ा बदलाव
कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसले जल्द ही लागू हो जाएंगे। बता दें कि 34 साल बाद भारत की नई शिक्षा नीति आई है। शिक्षा नीति को लेकर 2 समितियां बनाई थीं। एक टीएसआर सुब्रमण्यम समिति और दूसरी डॉ. के कस्तूरीरंगन समिति बनाई गई थी। शहर के शिक्षाविदों का कहना है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा विभाग करना भी सही निर्णय है।
संजय रुंगटा, चेयरमैन संजय रूंगटा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस ने बताया कि 34 साल बाद बदली शिक्षा नीति से शिक्षा की जटिलता खत्म होगी। 10+2 के फार्मेट को खत्म कर ग्रास रूट लेवल से बच्चों पर फोकस और कॉलेज में युवाओं को उनकी पढ़ाई के आधार पर सर्टिफिकेट से लेकर डिग्री तक की सुविधा देना बेहतर निर्णय है। साथ ही मंत्रालय का भी नाम बदलना अच्छा फैसला है। इस नीति से विश्व स्तर पर युवा अपनी पहचान बना सकेंगे।
सालभर पढ़ाई में रहेगा छात्रों का फोकस
आनंद त्रिपाठी, अध्यक्ष प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन भिलाई-दुर्ग ने बताया कि स्कूल स्तर पर शिक्षा नीति में जो बदलाव किया गया है, वह काफी बेहतर है, क्योंकि प्री-प्राइमरी क्लास में फोकस के साथ ही प्राइमरी और मीडिल के कोर्स अब और भी बेहतर होंगे। दसवीं बोर्ड की बाध्यता खत्म करने के बाद बच्चे अब अपनी सालभर की परफार्मेस पर फोकस कर सकेंगे।