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देश प्रेम का ऐसा जज्बा जगा कि दो दशक से सैन्य पदकों को सहेज रहेंं कश्यप

locationभिलाईPublished: Aug 14, 2022 10:37:39 pm

Submitted by:

Shiv Singh

bsp बीएसपी टाउनशिप में रहने वाले कश्यप ने इन पदकों को संग्रह करने की शुरुआत से लेकर अब तक के सफर पर चर्चा की। बीएसपी से सेवानिवृत्त हुए कश्यप बताते हैं कि देश की आजादी की रखवाली करने वाली सेना में वीरता प्रदर्शित करने पर सैनिकों व अधिकारियों को दिए जाने वाले विभिन्न पदकों को संग्रह करने का सिलसिला दो दशक से चल रहा है।

देश प्रेम का ऐसा जज्बा जगा कि दो दशक से सैन्य पदकों को सहेज रहेंं कश्यप

भिलाई. पत्रिका टीम को अपने पदक संग्रह के बारे में जानकारी देते एलसी कश्यप।

भिलाई.आजादी की ७५वीं वर्षगांठ के उत्सवी माहौल के बीच ट्विनसिटी में आजादी की विरासत को नयी पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए टाउनशिप के एलसी कश्यप दो दशक से पदक संग्रह में लगे हैं। वे नयी पीढ़ी को इस विरासत से रुबरू करने के लिए इन्होंने सेना में दिए जाने वाले विभिन्न पदकों का एक खूबसूरत संग्रह बनाया है। इनके देश प्रेम के इस मिशन को देखते हुए सेनाध्यक्ष सहित कई बड़ी हस्तियों ने सराहना करते हुए इसे अद्भुत बताया है।
बीएसपी टाउनशिप में रहने वाले कश्यप ने इन पदकों को संग्रह करने की शुरुआत से लेकर अब तक के सफर पर चर्चा की। बीएसपी से सेवानिवृत्त हुए कश्यप बताते हैं कि देश की आजादी की रखवाली करने वाली सेना में वीरता प्रदर्शित करने पर सैनिकों व अधिकारियों को दिए जाने वाले विभिन्न पदकों को संग्रह करने का सिलसिला दो दशक से चल रहा है। अब तक 120 से अधिक पदों को संग्रहीत कर चुके हैं। वे पदक, टोकन, पुरानी घडिय़ों और क्राकरी के संग्रह करते हैं। इन कामों के लिए उनके नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हैं। पदक का एशिया बुक रिकॉर्ड के लिए भेजने की तैयारी में हैं।
खुद खरीदे हैं पदक
एलसी कश्यप बताते हैं कि पदक संग्रह करने की प्रेरणा पटियाला मेडल गैलरी एवं सेना भवन दिल्ली को देख कर मिली। कई पदक उन्होंने सेना के विशेष गैलरी से खरीदे हैं। उन्हें अपने संग्रह के लिए पदक को एकत्रित करने में दो दशक का लंबा समय लगा है। ऐसा करने का उद्देश्य है कि नयी पीढ़ी को सेना के प्रति अधिक आदर प्रदर्शित करने के लिए प्रेरित करने का है। वे अक्सर एनसीसी कैडेट्स के कार्यक्रमों जाकर उनमें देशभक्ति का जज्बा जगाते हैं।
ये हैं खास पदक
स्वतंत्रता पदक 1947, स्वतंत्रता रजत पदक (1947-1972),स्वतंत्रता के 50 वें वर्ष का पदक (1947-1997),सियाचिन ग्लेशियर पदक, आहत, उच्चतुंगता पदक, ऑपेशन विजय, विजय स्टार पदक,(कारगिल युद्ध), संयुक्त राष्ट्र संघ शांति सेना का शांति पदक,ऑपरेशन पराक्रम पदक हैं। एक विशेष पदक नेशनल वॉर मेमेारियल नई दिल्ली है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उद्घाटन किया था। इसके अलावा प्रथम विश्व युद्ध एवं द्वितीय विश्व युद्ध के भी दुर्लभ सैन्य पदक हैं।
टै्रवलिंग का भी शौक
पत्रिका से चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि पदक संग्रह के अलावा ट्रैवलिंग का भी बहुत शौक है। वे देश के प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के जन्म स्थल व उनसे जुड़े स्थलों तक पहुंचने की कोशिश करते हैं। वे देश भर ऐसी जगह पर आना-जाना करते हैं। वे अब गुरु रवींद्र नाथ टैगोर से जुड़े स्थलों को देखना चाहते हैं।

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