खारून नदी के किनारे 15 एकड़ भू-भाग में फैले आनंद मठ के मुख्य मंदिर में विराजमान स्वयंभू शिवलिंग खुदाई करते हुए खंडित हो गई। तब स्वामी मोहनानंद को स्वप्न में महादेव से साक्षात्कार हुआ। स्वयंभू शिवलिंग के साथ मंदिर निर्माण का आदेश प्राप्त हुआ। जिसके बाद स्वामी जी ने जन सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर निर्माण के पूर्व लगभग 20 से 25 फ ीट खुदाई की गई, लेकिन शिवलिंग का अंतिम छोर नहीं मिला।
आंनद मठ मंदिर के अध्यक्ष कौशल तिवारी, रमन टिकरिहा, शिव पांडे, राजेश तिवारी, नारायण साहू, जेठू साहू ने बताया कि हमारे पूर्वजों के अनुसार ग्राम कौही के ही जागीरदार विशाल प्रसाद तिवारी के पुत्र स्वामी मोहनानंद तंत्रविद्या के साधक थे। मोहनानंद ने ही देवी काली की प्राण प्रतिष्ठा की थी। महाकाली के संबंध में जनश्रुति है कि 100 वर्ष पूर्व स्वामी जी की साधना से कोलकाता से चलकर सूक्ष्म रूप में मां काली यहां पहुंचीं। सूक्ष्मरूप में जलमार्ग से होते हुए खारून के तट पर विराजमान हो गई।तब से लेकर आज तक मां काली और महादेव की साथ-साथ पूजा होती है।
राजेश तिवारी, रमन टिकरिहा ने बताया कि इस गांव के नदी किनारे शिव मंदिर प्रांगण में महाशिवरात्रि पर तीन दिनों तक मेला लगता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर लोग अपनी मनोकामना लेकर आते है और स्वम भू शिवलिंग का दर्शन कर मनोकामना पूर्ण के लिए आशीर्वाद लेते है। मेले का शुभारम्भ गुरुवार से हो गया है, जो तीन दिनों तक रहेगा।