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सूदखोर के नाम सुसाइड़ल नोट लिख व्यापारी ने लगा ली थी फांसी, अबतक नहीं हुई कार्रवाई

locationभिलाईPublished: May 18, 2019 12:01:11 am

सूदखोरी से परेशान होकर कपड़ा व्यवसायी ने डेढ़ महीने पहले फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। प्रकरण में सुसाइड नोट के साथ पर्याप्त साक्ष्य होने के बावजूद मृतक को परेशान करने वाले व्यक्ति पर कार्रवाई को लेकर पुलिस ने अब तक कोई कदम नहीं उठाए हैं।

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सूदखोर के नाम सुसाइड़ नोट लिख व्यापारी ने लगा ली थी फांसी, अबतक नहीं हुई कार्रवाई

बेमेतरा@Patrika. सूदखोरी से परेशान होकर देवकर के घुघवाडीह वार्ड 2 निवासी कपड़ा व्यवसायी सूरजन निषाद ने डेढ़ महीने पहले फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। प्रकरण में सुसाइड नोट के साथ पर्याप्त साक्ष्य होने के बावजूद मृतक को परेशान करने वाले व्यक्ति पर कार्रवाई को लेकर पुलिस ने अब तक कोई कदम नहीं उठाए हैं। ऐसी स्थिति में परिजन ने देवकर पुलिस पर अनावेदक को संरक्षण देने के साथ मामले को दबाने का आरोप लगाए है।
60 हजार रुपए के कपड़े पर अनाप-शनाप ब्याज लगाकर 5 लाख रुपए डिमांड करने लगा

जानकारी के अनुसार बेमेतरा के थोक कपड़ा व्यापारी मृतक से 60 हजार रुपए के कपड़े पर अनाप-शनाप ब्याज लगाकर 5 लाख रुपए डिमांड करने लगा। मृतक की पत्नी अंजनी निषाद ने बताया कि उसके पति ने राशि वसूली को लेकर संबंधित व्यापारी की प्रताडऩा से परेशान होकर डेढ़ महीने पहले 6-7 अप्रैल की दरमियानी रात घर के पास बरगद के पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने बताया कि मृतक ने आत्महत्या के पहले सुसाइड नोट लिखा, जिसमें बेमेतरा के थोक कपड़ा व्यापारी की ओर से 60 हजार के कपड़े पर 5 लाख रुपए मांगने की बात लिखी है। परिजन ने मामले की त्वरित जांच के साथ संबंधित कपड़ा व्यापारी पर कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
अनाप-शनाप ब्याज लेकर गरीबों को लूट रहे सूदखोर
शहर में सूदखोरों का आतंक दिनों दिन बढ़ता जा रहा है, यहां सूदखोर गरीब व जरूरतमंदों को अनाप-शनाप ब्याज पर उधारी बांटते हंै। राशि नही पटाने की स्थिति में गरीबों को प्रताडि़त किया जाता है। इस संबंध में सिटी कोतवाली में कई शिकायतों के बावजूद प्रभावी कार्रवाई नहीं होने से सूदखोरों के हौसले बुलंद हैं। उनकी प्रताडऩा से परेशान होकर लोग शहर छोडऩे के साथ आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं।
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डेढ़ महीने के बाद भी सिर्फ बयान लेने की खानापूर्ति

मामले में देवकर पुलिस की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि घटना के डेढ़ महीने के बाद भी सिर्फ परिजन के बयान लेने के खानापूर्ति की गई है। परिजन के बार-बार गुहार लगाने के बावजूद पुलिस ने मामले को आगे नहीं बढ़ाया। अब पुलिस की लापरवाही उजागर होने के बाद संबंधित चौकी प्रभारी गोलमोल जवाब दे रहे हैं।
सुसाइड नोट हैंड राइटिंग एक्सपर्ट को नहीं भेजा
मृतक की पत्नी ने बताया कि घटना के पांच दिनों बाद उसके पति के कपड़ा व्यापार के बही खाते में एक चि_ी मिली, जिसमें उसके पति ने बेमेतरा कपड़ा व्यापारी की ओर से परेशान करने का उल्लेख किया है। संबंधित कपड़ा व्यापारी पर कार्रवाई को लेकर सुसाइड नोट व बही खाते को देवकर पुलिस को सौंपा। लेकिन यहां देवकर पुलिस ने सुसाइड नोट को घटना के डेढ़ महीने बाद भी हैंड राइटिंग एक्सपर्ट को नहीं भेजकर अपने पास रखा हुआ है। पुलिस के इस रवैये पर परिवार वालों ने सवाल खड़े किए है।
आर्थिक संकट, बच्चों के पढ़ाई छोडऩे की नौबत
महिला ने बताया कि उसका पति 17 साल से कपड़े का कारोबार कर रहा था, जो गांव-गांव में फेरी कर कपड़ा बेचा करते थे। 11 साल से बेमेतरा के संबंधित थोक व्यापारी से कपड़े की खरीदी कर रहे थे। उनकी आय से ही घर खर्च चलता था। अब उनकी मौत के बाद आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। 13 साल की बेटी कुसुम की तबीयत 10 महीने से खराब चल रही है। इलाज में हजारों रुपए खर्च हो चुके हैं। वहीं बेटा भूषण कॉलेज की पढ़ाई कर रहा है। आर्थिक संकट की वजह से दोनों की पढ़ाई छोडऩे की नौबत आ चुकी है।

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