scriptढर्रे पर चल रहा BSP का 70 साल पुराना वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, डेढ़ लाख लोगों को पानी नहीं बीमारी सप्लाई कर रहा प्रबंधन | Supply of dirty water from the water treatment plant of BSP | Patrika News

ढर्रे पर चल रहा BSP का 70 साल पुराना वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, डेढ़ लाख लोगों को पानी नहीं बीमारी सप्लाई कर रहा प्रबंधन

locationभिलाईPublished: Jun 01, 2021 12:02:54 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन अगर जल्द ही टाउनशिप में शुद्ध व साफ पानी आपूर्ति सुनिश्चित नहीं कर सका। ढर्रे पर उपचारित कर लोगों को यही पानी पिलाता रहा तो जल्द ही ह्यूमन बॉडी पर इसका दुष्प्रभाव दिखने लगेगा।

ढर्रे पर चल रहा BSP का 70 साल पुराना वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, डेढ़ लाख लोगों को पानी नहीं बीमारी सप्लाई कर रहा प्रबंधन

ढर्रे पर चल रहा BSP का 70 साल पुराना वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, डेढ़ लाख लोगों को पानी नहीं बीमारी सप्लाई कर रहा प्रबंधन

भिलाई. भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन (Bhilai steel Plant) अगर जल्द ही टाउनशिप (Dirty water supply in BSP Township ) में शुद्ध व साफ पानी आपूर्ति सुनिश्चित नहीं कर सका तो यहां के लोगों को न केवल जलजनित व संक्रामक बीमारियांं ,बल्कि कई तरह के गंभीर व बड़े रोग भी घेर सकते हंै। पानी को मानकों पर खरा और बैक्टीरिया रहित दिखाने क्लोरिन और एलम की जो ओवर डोजिंग की जा रही है, उसका भी विपरीत असर लोगों की सेहत पर पड़ेगा। इससे सबसे ज्यादा महिलाएं और छोटे बच्चे प्रभावित होंगे। जानकार बताते हैं कि पूर्व में तांदुला जलाशय से आपूर्ति किए गए पानी में इन आर्गेनिक कंपाउंड अधिक होने के कारण ही पानी पीला व मटमैला है। यह कोलाइडल विलियन अर्थात अकार्बनिक रासायनिक तत्वों का समुच्चय है। यह कंपाउंड संयत्र के मरोदा-2 जलाशय, जहां से पूरे टाउनशिप में पानी सप्लाई होती है, में पूरी तरह घुल गया है। अब खरखरा व गंगरेल किसी भी जलाशय से पानी मंगा लें, इन आर्गेनिक कंपाउंड को पूरी तरह डॉल्यूट होने में कम से कम छह महीने लगेंगे। तब तक बीएसपी प्रबंधन अपने 70 साल पुराने व जर्जर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पहले की तरह ही ढर्रे पर उपचारित कर लोगों को यही पानी पिलाता रहा तो जल्द ही ह्यूमन बॉडी पर इसका दुष्प्रभाव दिखने लगेगा।
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यह मटमैला रंग ही तो इन आर्गेनिक कंपाउंड है और प्रबंंधन कहता है पी लो
बीएसपी प्रबंधन बार-बार यह दावा कर रहा है कि वर्तमान में शहर में जो पानी सप्लाई किया जा रहा है उसमें मटमैले रंग को छोड़कर अन्य कोई भी अतिरिक्त पैरामीटर गुणवत्ता मानदंडों के बाहर नहीं पाया गया है। जानकारों के मुताबिक यह मटमैला रंग ही तो इन आर्गेनिक कंपाउंड है जो सेहत के लिए खतरनाक है। घरों में भरे जाने वाले बर्तन के तल में ही जब गाद की परत खुली आंख से दिखाई देने लगती है तो सोचिए वाटर मैनेजमेंट सिस्टम से प्रॉपर जांच करने पर यह कंपाउंड कितना सघन होता होगा। यही मानव शरीर में प्रवेश कर रहा है।
अधिकारी खुद कह रहे हैं पानी साफ होने में समय लगेगा
बीएसपी प्रबंधन की मांग पर शासन 23 मई से तांदुला की जगह महानदी रिजवार्यर से गंगरेल बांध का पानी दे रहा है। बीएसपी के अधिकारी खुद कह रहे हैं कि गंगरेल से आने वाला पानी पहले से जमा तांदुला के पानी में घुलकर मटमैला हो जा रहा है। 7 एमएमक्यू मीटर तंदुला का मटमैला पानी जमा रहता ही है। वर्तमान में 193 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड की दर से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। यदि 500 क्यूबिक मीटर पर सेकंड पानी लगभग 15 दिन तक उपलब्ध कराया जाए तभी क्लिनिंग लांट में जमा हुआ मटमैला पानी हट पाएगा। अन्यथा पानी को साफ होने में बहुत ज्यादा समय लगेगा। वर्तमान में पानी को साफ करने केमिकल भी उपलब्ध नहीं है।
डेढ़ लाख आबादी के लिए सिर्फ चार टैंकर से पानी आपूर्ति
दुर्ग कलेक्टर की फटकार और नगर निगम द्वारा महामारी एक्ट के तहत कार्रवाई के नोटिस के बाद संयंत्र के नगर सेवाएं विभाग ने विभिन्न सेक्टरों में टैंकर से साफ पानी देना प्रारंभ कर दिया है, लेकिन डेढ़ लाख आबादी के लिए सिर्फ 4 टैंकर लगाए गए हैं। पूर्व पार्षद बशिष्ठ नारायण मिश्रा कहते हैं कि इससे जाहिर है कि प्रबंधन शुद्ध पेयजल आपूर्ति को लेकर बिलकुल गंभीर नहीं है। प्रबंधन का यह कहना कि आवश्यकता होने पर और अधिक टंैकर लगाकर पानी की आपूर्ति की जाएगी, यह लोगों के साथ मजाक है।
ज्यादा क्लोरीनीकृत और एलम युक्त पानी खतरनाक
डीएन शर्मा, रसायन शास्त्री ने बताया कि पानी को उपचारित करने क्लोरीन का निश्चित डोज देना होता है। यह एक सीमा तक ही र्ई कोलाई बैक्टीरिया को मार सकता है जो पीलिया व जलजनित अन्य संक्रामक रोगों का कारण होता है। यदि पानी को बैक्टीरिया रहित दिखाने ज्यादा क्लोरीन का इस्तेमाल करेंगे तो इससे आंतों की परत को क्षति होगी। उल्टी-दस्त, पेट में जलन के साथ ही यह आगे कई बड़ी व गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। यह मित्र जीवाणु को मारेगा जो पाचन में मदद करता है। इसी तरह पानी टर्बिडिटी दूर करने ज्यादा फेरिक एलम डालने से पानी एसिटिक हो जाएगा। पानी का पीएच वैल्यू जो 7 प्रतिशत होना चाहिए वह भी कम हो जाएगा। पानी पूरी तरह रंगहीन हो तभी पीने योग्य है।
जब तक जलाशय का पानी साफ नहीं हो जाता यह करें प्रबंधन
1. पिछले ढाई महीने से तरह-तरह का प्रयोग कर चुके प्रबंधन को अब सुनियोजित तरीके से पानी को उपचारित करने की आधुनिक तकनीक और केमिकल जो ह्यूमन बॉडी फ्रेंडली है उसको इस्तेमाल में लाना होगा।
2. बीएसपी के वाटर मैनेजमेंट सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए एडवांस तकनीक के जानकारों की प्रतिबद्ध टीम को अपने साथ रखना होगा तभी कुछ बात बन सकती है। इसके लिए निजी एजेंसियों की भी मदद लेनी चाहिए।
3. जब तक यह सुनिश्चत न हो जाए कि पानी साफ व पीने योग्य है वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पूरे सेक्टर में टैंकर से पेयजल जलापूर्ति की जाए। इसके लिए टैंकर व उसके फेरों की संख्या के साथ ही स्ट्रीट व ब्लॉकवाइज वितरण सिसटम बनाना होगा।
मानक के अंदर होने पर ही करते हैं जलापूर्ति
जनसंपर्क विभाग, भिलाई इस्पात संयंत्र ने कहा कि बीएसपी प्रबंधन द्वारा भिलाई टाउनशिप में की जा रही पेयजल आपूर्ति की बीएसपी लैब में प्रत्येक पाली में जांच की जाती है। मानक के अंदर होने पर ही जलापूर्ति सुनिश्चित की जाती है। बीएसपी सदैव ही भिलाई के नागरिकों के प्रति एक जिम्मेदार कॉर्पोरेट रहा है। भिलाई नगर निगम व बीएसपी के टीम द्वारा विभिन्न सेक्टरों से पानी का सैंपल लेकर जांच कराने पर यह पाया गया कि यह पानी हल्का मटमैला होने के बावजूद पीने योग्य है।
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